भारत-भूटान के बीच पहली बार रेल सेवा शुरू, 4,033 करोड़ की दो परियोजनाओं को मिली मंजूरी

नई दिल्ली। भारत और भूटान के बीच संबंधों में एक नया ऐतिहासिक अध्याय जुड़ने जा रहा है। दोनों देशों के बीच पहली बार सीधी रेल सेवा शुरू की जा रही है। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दी कि इसके तहत भारत दो नई रेल लाइनों का निर्माण करेगा। ये लाइनें भारत के असम के कोकराझार से भूटान के गेलेफू और पश्चिम बंगाल के बनरहाट से भूटान के सामत्से तक बिछाई जाएंगी।


दोनों परियोजनाओं की लागत और महत्व

दोनों रेल परियोजनाओं की कुल लंबाई 89 किलोमीटर होगी और इन पर लगभग ₹4,033 करोड़ खर्च किए जाएंगे। यह पहली बार होगा जब भूटान सीधे भारत के रेल नेटवर्क से जुड़ जाएगा। अभी तक पश्चिम बंगाल के हासीमारा तक ही रेल मार्ग था, लेकिन अब यह सीधे भूटान के गेलेफू तक पहुंचेगा।


मोदी की भूटान यात्रा में बनी थी सहमति

विदेश सचिव मिसरी ने बताया कि इन परियोजनाओं के लिए पिछले वर्ष प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भूटान यात्रा के दौरान समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर हुए थे।

  • समझौते के अनुसार भारत सरकार इन परियोजनाओं में पूरी तरह सहयोग करेगी।
  • भारत की सीमा के अंदर रेलवे लाइन का खर्च भारतीय रेल मंत्रालय वहन करेगा।
  • भूटान की तरफ का हिस्सा भारत सरकार की मदद से भूटान की पंचवर्षीय योजना के तहत विकसित किया जाएगा।
  • इस परियोजना में किसी तीसरे देश की कोई भागीदारी या हस्तक्षेप नहीं होगा।

पड़ोसी देशों में रेल नेटवर्क पर भारत का फोकस

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि भारत लगातार अपने पड़ोसी देशों के साथ रेल नेटवर्क के विस्तार पर काम कर रहा है।

  • भारत और बांग्लादेश के बीच अगरतला-अखौरा रेलमार्ग लगभग पूरा हो चुका है। हालांकि इसका उद्घाटन बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद अटक गया।
  • भारत-म्यांमार के बीच मोरे-तामु रेल लिंक पर भी योजना बनी थी, लेकिन 2021 में म्यांमार में हुए सैन्य तख्तापलट के बाद परियोजना ठप हो गई।
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ट्रांस-एशियाई रेल लिंक का हिस्सा

विशेषज्ञों के अनुसार, भारत-भूटान रेल परियोजना को केवल द्विपक्षीय नहीं, बल्कि व्यापक दृष्टिकोण से भी देखा जा रहा है। यह पहल ट्रांस-एशियाई रेल लिंक परियोजना का हिस्सा है, जिसका लक्ष्य भारत को म्यांमार, थाईलैंड, कंबोडिया और अन्य दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों से रेल नेटवर्क के जरिए जोड़ना है। इससे न केवल व्यापार और पर्यटन को बल मिलेगा, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक संबंध भी मजबूत होंगे।

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रणनीतिक और आर्थिक महत्व

भूटान जैसे भू-आबद्ध (Landlocked) देश के लिए यह रेल सेवा आर्थिक गतिविधियों का नया द्वार खोलेगी। वहीं भारत को पूर्वोत्तर राज्यों में कनेक्टिविटी मजबूत करने और रणनीतिक दृष्टि से क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने का अवसर मिलेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इस परियोजना से भारत-भूटान संबंध और प्रगाढ़ होंगे और दोनों देशों के बीच पारंपरिक मित्रता और सहयोग को नई ऊंचाई मिलेगी।