किंग कोहली और हिटमैन रोहित की शानदार पारियों से भारत की 9 विकेट से जीत, हर्षित राणा बने गेंदबाजी के हीरो

गिल के आउट होते ही गूँज उठा ‘कोहली-कोहली’ — सिडनी में किंग और हिटमैन ने रचा ऐतिहासिक पल, हर्षित राणा बने गेंदबाजी के हीरो

सिडनी। क्रिकेट का मैदान अक्सर भावनाओं का रंगमंच बन जाता है — जहाँ एक पल में निराशा होती है और अगले ही पल उल्लास। ऐसा ही कुछ हुआ सिडनी क्रिकेट ग्राउंड (SCG) पर जब भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच वनडे श्रृंखला का तीसरा और अंतिम मुकाबला खेला गया। 237 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए जब भारतीय कप्तान शुभमन गिल 69 के स्कोर पर आउट हुए तो एक पल के लिए माहौल शांत हो गया। लेकिन अगले ही क्षण, स्टेडियम में मौजूद 30 हजार भारतीय समर्थक खुशी से झूम उठे — क्योंकि क्रीज पर उतर रहे थे भारतीय क्रिकेट के “किंग” — विराट कोहली

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‘किंग’ के स्वागत में गूँजा सिडनी

गिल के आउट होने के बाद कोहली जब मैदान पर उतरे, तो दर्शकों ने उन्हें वैसे ही स्वागत दिया जैसे किसी योद्धा के लिए राजमहल के द्वार खुलते हैं। सामने थे टीम इंडिया के एक और दिग्गज — रोहित शर्मा। यह दृश्य भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के लिए किसी उत्सव से कम नहीं था। दोनों महान बल्लेबाजों ने मिलकर एक ऐसी साझेदारी की, जिसने न केवल भारत को जीत दिलाई, बल्कि दर्शकों के दिलों में अविस्मरणीय याद छोड़ दी।

रोहित शर्मा ने शानदार 121 रनों की पारी खेली, जबकि विराट कोहली ने धैर्यपूर्ण 74 रन बनाकर एक और रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया। इसी के साथ कोहली ने कुमार संगकारा को पीछे छोड़कर वनडे इतिहास में दूसरे सबसे सफल बल्लेबाज बनने का गौरव हासिल किया। उनसे आगे अब केवल सचिन तेंदुलकर हैं।

भारतीय टीम ने इस मुकाबले को 9 विकेट से जीत लिया। भले ही सीरीज पहले ही ऑस्ट्रेलिया के नाम हो चुकी थी, लेकिन यह जीत भारतीय फैंस के लिए भावनात्मक ‘सांत्वना ट्रॉफी’ जैसी थी।

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दो घंटे ऑस्ट्रेलिया का दबदबा, अगले छह घंटे भारत का जलवा

मैच की शुरुआत में ऑस्ट्रेलिया पूरी तरह हावी दिखाई दी। शुभमन गिल लगातार तीसरा टॉस हार गए — जो वनडे क्रिकेट में भारत का लगातार 18वां टॉस पराजय रिकॉर्ड भी बना। ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए पहले 33 ओवर में 180 रन बना डाले। तब ऐसा लग रहा था कि कंगारू टीम 350 रन तक पहुँच जाएगी।

लेकिन क्रिकेट की खूबसूरती यही है — बाज़ी पलटते देर नहीं लगती। इसके बाद भारत के गेंदबाजों ने ऐसा कहर बरपाया कि पूरी ऑस्ट्रेलियाई टीम केवल 236 रन पर ढेर हो गई। मैच के पहले दो घंटे भले ऑस्ट्रेलिया के नाम रहे हों, लेकिन अगले छह घंटे पूरी तरह भारत के कब्ज़े में थे।

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‘गंभीर का चमचा’ कहलाने वाले हर्षित राणा बने टीम इंडिया के नायक

जब भारतीय टीम की घोषणा हुई थी, तो युवा तेज़ गेंदबाज़ हर्षित राणा का नाम देखकर कई क्रिकेट विशेषज्ञों ने हैरानी जताई थी। पूर्व कप्तान कृष्णमाचारी श्रीकांत ने तो यहाँ तक कह दिया था कि “हर्षित को टीम में सिर्फ इसलिए चुना गया क्योंकि वो कोच गौतम गंभीर के चमचे हैं।”

लेकिन सिडनी में इसी ‘चमचे’ ने आलोचकों को करारा जवाब दिया। हर्षित ने अपनी सटीक और आक्रामक गेंदबाजी से ऑस्ट्रेलिया की रीढ़ तोड़ दी। उन्होंने एलेक्स कैरी, कूपर कोनोली, मिचेल ओवेन और अंत में जोश हेजलवुड को बोल्ड कर कंगारुओं की पारी समेट दी।

उनके स्पेल की बदौलत ऑस्ट्रेलिया जो एक समय 3 विकेट पर 183 रन बना चुका था, वह अगले 53 रन जोड़ने में ही पूरा ऑलआउट हो गया। हर्षित का यह प्रदर्शन उनके करियर का अब तक का सबसे शानदार पल रहा।

सभी छह गेंदबाजों का योगदान

टीम इंडिया की जीत केवल हर्षित राणा की वजह से नहीं, बल्कि सामूहिक प्रयास का नतीजा थी। कप्तान शुभमन गिल ने 6 गेंदबाजों का इस्तेमाल किया और सभी ने विकेट झटके।

  • वाशिंगटन सुंदर ने 2 विकेट लिए
  • मोहम्मद सिराज, प्रसिद्ध कृष्णा, कुलदीप यादव और अक्षर पटेल ने 1-1 विकेट लिया।

कुलदीप और प्रसिद्ध को पहली बार इस सीरीज में मौका मिला था, और दोनों ने अपनी काबिलियत साबित की।

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भावनात्मक पल — शायद आखिरी बार ऑस्ट्रेलिया में साथ

फैंस के लिए यह मुकाबला भावनाओं से भरा था। क्योंकि संभवतः यह आखिरी मौका था जब विराट कोहली और रोहित शर्मा ऑस्ट्रेलियाई जमीन पर साथ खेलते दिखे। जब दोनों बल्लेबाज रन बनाते हुए पिच पर मुस्कुराते, तो दर्शक दीर्घा में मौजूद भारतीय फैंस खुशी से उछल पड़ते। हर चौका और हर छक्का उन्हें उस सुनहरे दौर की याद दिला रहा था, जब भारत की जीत का दूसरा नाम ही ‘रोहित-विराट’ जोड़ी हुआ करता था।

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जीत भले सांत्वना की, लेकिन गर्व से भरी

हालांकि यह जीत श्रृंखला नहीं जिता सकी, लेकिन इसने भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के दिल जीत लिए। खिलाड़ियों के लिए भी यह मनोबल बढ़ाने वाली जीत साबित हुई — खासतौर पर उन युवा खिलाड़ियों के लिए, जिन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।

इस जीत ने यह साबित कर दिया कि जब टीम इंडिया की भावना, अनुभव और जोश एक साथ मैदान पर उतरते हैं, तो किसी भी चुनौती को मात देना असंभव नहीं।