भारत 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान के लिए अमेरिका से लेगा जीई-414 इंजन, 14 हजार करोड़ की डील में 80% तकनीक ट्रांसफर
14 हजार करोड़ की डील, अमेरिकी कंपनी करेगी 80% तकनीक ट्रांसफर
नई दिल्ली। भारत की रक्षा तैयारियों में बड़ा कदम उठाते हुए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (जीई) के बीच एक ऐतिहासिक रक्षा सौदा अंतिम चरण में पहुँच गया है। इस सौदे के तहत भारत को अपनी 5वीं पीढ़ी के स्वदेशी लड़ाकू विमान एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) के लिए अत्याधुनिक जीई-414 इंजन मिलेगा। यह डील लगभग 14,000 करोड़ रुपये की बताई जा रही है।
सबसे अहम बात यह है कि अमेरिकी कंपनी जीई ने इंजन से जुड़ी 80% तकनीक भारत को ट्रांसफर करने पर सहमति जता दी है। यह कदम भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता (Atmanirbhar Bharat) और स्वदेशी तकनीक को मजबूती देने वाला साबित होगा।
/swadeshjyoti/media/post_attachments/wp-content/uploads/2025/09/image-231.png)
जीई-414 इंजन क्यों है खास?
जीई-414 इंजन दुनिया के सबसे आधुनिक जेट इंजनों में से एक है, जिसे अमेरिका ने अपने लड़ाकू विमानों में इस्तेमाल किया है।
- यह इंजन बेहतर थ्रस्ट और कम ईंधन खपत के लिए जाना जाता है।
- स्टेल्थ क्षमताओं वाले 5वीं पीढ़ी के विमानों के लिए उपयुक्त है।
- अत्यधिक ऊँचाई और विभिन्न मौसम परिस्थितियों में बेहतर प्रदर्शन करता है।
भारत के एएमसीए प्रोजेक्ट को इस इंजन से नई रफ्तार मिलने वाली है।
/swadeshjyoti/media/post_attachments/wp-content/uploads/2025/09/image-232-1024x498.png)
भारत को कितनी मिलेगी तकनीक?
सौदे की शर्तों के अनुसार, जीई कंपनी भारत को इंजन से जुड़ी 80% तकनीक का हस्तांतरण करेगी।
- अभी यह स्पष्ट होना बाकी है कि जीई तकनीक के अन्य पार्टनर्स से खुद सहमति लेगी या एचएएल को इसमें सहयोग करेगी।
- करार होने के बाद भारत में ही जीई-414 इंजन का प्रोडक्शन शुरू किया जाएगा।
- इससे भविष्य में भारत को विदेशी निर्भरता से मुक्ति मिलेगी और घरेलू रक्षा उद्योग को मजबूती मिलेगी।
एचएएल की तैयारी
एचएएल पहले ही 10 जीई-414 इंजन खरीद चुका है, ताकि एएमसीए के विकास कार्य में कोई रुकावट न आए।
- इन इंजनों का इस्तेमाल परीक्षण और शुरुआती प्रोटोटाइप में किया जाएगा।
- करार होने के बाद आने वाले समय में उत्पादन का बड़ा हिस्सा भारत में ही होगा।
भारत के लिए रणनीतिक महत्व
भारत लंबे समय से 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान विकसित करने की दिशा में काम कर रहा है।
- एएमसीए प्रोजेक्ट भारत को उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल करेगा जिनके पास 5वीं जनरेशन के फाइटर जेट्स बनाने की क्षमता है।
- इससे भारतीय वायुसेना की स्ट्राइक पावर और डिफेंस क्षमता में गुणात्मक सुधार होगा।
- साथ ही यह रक्षा क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में ऐतिहासिक उपलब्धि साबित होगी।
टैरिफ वॉर और रक्षा सहयोग
अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक मतभेद और टैरिफ वॉर के बावजूद यह रक्षा सौदा संबंधों की मजबूती को दर्शाता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह सहयोग न केवल रक्षा क्षेत्र बल्कि रणनीतिक और तकनीकी साझेदारी को भी और गहरा करेगा।
आगे की राह
भारत को अब केवल इंजन ही नहीं, बल्कि उसे बनाने और सुधारने की तकनीक भी मिलने वाली है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इस प्रोजेक्ट को समय पर पूरा किया गया, तो आने वाले दशक में भारत अपने दम पर दुनिया के सबसे उन्नत लड़ाकू विमानों का निर्माता बन जाएगा।
स्वदेश ज्योति के द्वारा | और भी दिलचस्प खबरें आपके लिए… सिर्फ़ स्वदेश ज्योति पर!
/swadeshjyoti/media/agency_attachments/2025/11/09/2025-11-09t071157234z-logo-640-swadesh-jyoti-1-2025-11-09-12-41-56.png)
/swadeshjyoti/media/agency_attachments/2025/11/09/2025-11-09t071151025z-logo-640-swadesh-jyoti-1-2025-11-09-12-41-50.png)
/swadeshjyoti/media/post_attachments/wp-content/uploads/2025/09/image-234.png)