- केंद्रीय मंत्रिपरिषद की बैठक कल एक ऐसे समय पर होने जा रही है, जब देश आतंकवाद पर सख्त रुख, सामाजिक गणना और आर्थिक विकास के मोड़ पर खड़ा है
नई दिल्ली । भारत सरकार की नीति निर्धारण की धुरी मानी जाने वाली केंद्रीय मंत्रिपरिषद की बैठक कल एक ऐसे समय पर होने जा रही है, जब देश आतंकवाद पर सख्त रुख, सामाजिक गणना और आर्थिक विकास के मोड़ पर खड़ा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल अपराह्न 4:30 बजे से इस उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता करेंगे, जिसमें बीते एक वर्ष की उपलब्धियों की समीक्षा के साथ-साथ आगामी लक्ष्यों का खाका खींचा जाएगा।
ऑपरेशन सिंदूर पर वैश्विक संदेश की तैयारी
बैठक की एक प्रमुख कड़ी बनेगा भारत का हालिया सैन्य अभियान “ऑपरेशन सिंदूर”, जिसने न केवल आतंकवाद पर भारत की आक्रामक नीति को स्पष्ट किया, बल्कि वैश्विक मंच पर देश की रणनीतिक साख को भी मजबूत किया है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस अभियान से जुड़ी कूटनीतिक और सामरिक पहलुओं पर प्रस्तुति देंगे। इस ऑपरेशन को एक “आतंक के विरुद्ध निर्णायक कार्रवाई” के रूप में स्थापित करने के लिए मंत्रिपरिषद स्तर पर व्यापक प्रचार-रणनीति पर चर्चा होगी।

पीएम मोदी पेश करेंगे ‘विकसित भारत 2047’ का रोडमैप
बैठक का केंद्रीय आकर्षण होगा प्रधानमंत्री का संबोधन, जिसमें वे अपने तीसरे कार्यकाल के अगले चरणों की दिशा और दशा को स्पष्ट करेंगे। सूत्रों के अनुसार, पीएम का फोकस भारत को तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनाने, 2047 तक विकसित राष्ट्र के रूप में स्थापित करने और ‘जनता के केंद्र में सरकार’ के मूल मंत्र पर रहेगा। इससे पहले पिछले वर्ष की बैठक में उन्होंने “परफॉर्म, रिफॉर्म, ट्रांसफॉर्म और इंफॉर्म” का मंत्र दिया था। इस बार भी वे मंत्रिपरिषद को नीति, निष्पादन और संवाद की त्रिशक्ति के साथ आगे बढ़ने का आह्वान कर सकते हैं।

जाति जनगणना: सामाजिक संतुलन की नई कड़ी
बैठक में एक और संवेदनशील लेकिन अहम मुद्दा होगा जाति आधारित जनगणना। मोदी सरकार इस निर्णय को राजनीतिक बहस से ऊपर उठाकर सामाजिक न्याय और नीतिगत पारदर्शिता से जोड़ने की तैयारी में है। इसके प्रचार के लिए 25 जून तक राष्ट्रव्यापी अभियान की योजना है, जिसमें सरकार जातीय आंकड़ों के आधार पर योजनाओं की पहुंच और प्रभाव को रेखांकित करेगी।
मंत्रालयों की प्रस्तुति और सरकार की वर्षगांठ
बैठक में कैबिनेट सचिव डॉ. टी.वी. सोमनाथन एक विस्तृत प्रस्तुति के ज़रिए बताएंगे कि कैसे सरकार के विभिन्न मंत्रालयों ने बीते वर्ष क्या-क्या निर्णय लिए और उन फैसलों का मैदान स्तर पर असर क्या रहा। सभी प्रमुख मंत्रालयों से अपने एक वर्ष के कार्यों और उपलब्धियों का ब्यौरा मांगा गया है, ताकि सरकार की 11 वर्षों की निरंतरता और परिवर्तनशीलता को जनता के सामने प्रस्तुत किया जा सके।
निष्कर्ष: 2029 से पहले 2047 की तैयारी
यह बैठक न केवल एक प्रशासनिक औपचारिकता है, बल्कि सरकार की नीति, रणनीति और संवाद का संगम बनकर सामने आ रही है। जाति जनगणना और ऑपरेशन सिंदूर जैसे मुद्दों को प्रधानमंत्री मोदी यदि भविष्य के रोडमैप से जोड़ते हैं, तो यह साफ संकेत होगा कि 2029 की चुनावी रणनीति के साथ-साथ उनकी नजर भारत@2047 के सपने पर भी केंद्रित है।