- जम्मू-कश्मीर के शोपियां में दो हाइब्रिड आतंकियों ने सरेंडर किया
- सुरक्षाबलों ने दहशतगर्दों के पास से भारी मात्रा में हथियार बरामद किए
जम्मू/श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में आतंक के विरुद्ध भारत की रणनीतिक पकड़ अब और मजबूत होती दिख रही है। एक ओर शोपियां में दो हाइब्रिड आतंकियों ने आत्मसमर्पण कर दिया, वहीं दूसरी ओर जम्मू के सिविल क्षेत्र में तीन मोर्टार मिलने की घटना ने सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क रहने का संकेत दिया है। यह घटनाएं न केवल आतंकवाद की बदलती प्रवृत्तियों को दिखाती हैं, बल्कि भारत की जवाबी नीति की प्रभावशीलता को भी उजागर करती हैं।
शोपियां: आतंक छोड़ने लगे हथियार, दो हाइब्रिड आतंकियों ने किया आत्मसमर्पण
दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले में लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े दो हाइब्रिड आतंकियों — इरफान बशीर और उजैर सलाम — ने गुरुवार को आत्मसमर्पण कर दिया। विशेष सूचना पर बसकुचन इलाके में सर्च ऑपरेशन चलाया गया था। जब सुरक्षाबलों ने बाग क्षेत्र को घेरा, तो दोनों आतंकियों ने बिना संघर्ष के सरेंडर कर दिया। इनके पास से बरामद हुआ भारी हथियार जखीरा इस बात का संकेत है कि हाइब्रिड आतंकवाद, जो अब तक समाज में छिपे चेहरों के रूप में काम करता रहा है, अब मानसिक और रणनीतिक रूप से टूटने लगा है। बरामद हथियारों में दो AK-56 राइफल, चार मैगजीन, 102 राउंड, दो ग्रेनेड और पाउच शामिल हैं। पुलिस ने UAPA सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
जम्मू: सिविल एरिया में मिले तीन मोर्टार, बड़ा हादसा टला
इसी दिन जम्मू शहर के व्यस्त नरवाल ट्रांसपोर्ट नगर इलाके में तीन जंग लगे मोर्टार मिलने से सनसनी फैल गई। ये मोर्टार सड़क किनारे कचरे में पड़े हुए थे। सूचना मिलते ही बम निरोधक दस्ते और पुलिस मौके पर पहुंचे और इन्हें सुरक्षित रूप से नष्ट किया गया। एसपी साउथ अजय शर्मा ने स्पष्ट किया कि ये पुराने और निष्क्रिय मोर्टार सेना के कबाड़ का हिस्सा हो सकते हैं। हालांकि, सवाल यह उठता है कि ऐसे संवेदनशील वस्तुएं सिविल इलाकों तक कैसे पहुंचती हैं? जहां मोर्टार मिले, वहां सैकड़ों वाहन, दुकानें और ढाबे थे। यदि इनमें विस्फोट होता, तो बड़ी जनहानि से इनकार नहीं किया जा सकता था।
विश्लेषण: बदलते कश्मीर में आतंक की धार कुंद होती जा रही है
शोपियां में हाइब्रिड आतंकियों का सरेंडर इस बात का प्रतीक है कि स्थानीय युवाओं को आतंकी संगठनों का झूठा प्रोपेगैंडा अब आकर्षित नहीं कर पा रहा। भारत की स्मार्ट और जनसंवेदनशील नीति — जिसमें ऑपरेशन से पहले सरेंडर का विकल्प दिया जाता है — अब असर दिखा रही है। वहीं जम्मू में मोर्टार मिलने की घटना से यह स्पष्ट होता है कि सिविल सुरक्षा के मोर्चे पर भी हमें अधिक प्रोएक्टिव और सावधान होने की जरूरत है। चाहे ये कबाड़ के हिस्से हों या असावधानी का परिणाम — सिविल स्पेस में ऐसे सैन्य अवशेषों की मौजूदगी अस्वीकार्य है।