September 17, 2025 1:57 AM

भारत की आत्मा, संस्कृति और जनमानस की पहचान है हिन्दी

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भारत की आत्मा है हिन्दी: जानिए हिन्दी दिवस का महत्व और चुनौतियाँ

श्वेता गोयल


प्रस्तावना

आधुनिकता की ओर तेजी से अग्रसर कुछ भारतीय ही आज भले ही अंग्रेजी बोलने में अपनी आन, बान और शान समझतें हों, परन्तु सच यही है कि हिन्दी ऐसी भाषा है जिसे आज दुनिया के अनेक देशों में भी सम्मानजनक दर्जा मिल रहा है। हमारी राजभाषा हिन्दी प्रत्येक भारतीय को वैश्विक स्तर पर सम्मान दिलाती है।

हिन्दी विश्व की प्राचीन, समृद्ध एवं सरल भाषा है, जो न केवल भारत में बल्कि दुनिया के कई देशों में बोली जाती है। हिन्दी भाषा को और ज्यादा समृद्ध बनाने के लिए ही प्रतिवर्ष 14 सितम्बर को ‘हिन्दी दिवस’ मनाया जाता है और अगले 15 दिनों तक हिन्दी पखवाड़ा आयोजित किया जाता है।


हिन्दी दिवस क्यों मनाया जाता है?

भारत लंबे समय तक अंग्रेजों का गुलाम रहा और उस दौरान भारतीय भाषाओं पर अंग्रेजी दासता का गहरा असर पड़ा। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हिन्दी को जनमानस की भाषा बताते हुए 1918 के ‘हिन्दी साहित्य सम्मेलन’ में इसे राष्ट्रभाषा बनाने की वकालत की थी।

स्वतंत्रता के बाद 12 सितम्बर 1947 को संविधान सभा में हिन्दी को राजभाषा बनाने का प्रस्ताव रखा गया। तीन दिन तक चली बहस के बाद 14 सितम्बर 1949 को हिन्दी को राजभाषा बनाने का निर्णय लिया गया।

भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की धारा 343 (1) में स्पष्ट उल्लेख किया गया कि—

“संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी।”

इसके बाद 1953 से प्रतिवर्ष 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस मनाने की परंपरा शुरू हुई।


हिन्दी का विरोध और चुनौतियाँ

हिन्दी को राजभाषा का दर्जा दिए जाने पर कुछ गैर-हिन्दी भाषी राज्यों ने विरोध किया और अंग्रेजी की वकालत की। परिणामस्वरूप अंग्रेजी को भी सह-राजभाषा का दर्जा देना पड़ा।

आज सबसे बड़ी चुनौती यह है कि युवा वर्ग अंग्रेजी की ओर तेजी से आकर्षित हो रहा है। रोजगार और आधुनिकता की पहचान अंग्रेजी से जोड़ दी गई है।


गांधी जी की दृष्टि

महात्मा गांधी हमेशा हिन्दी को जनसम्पर्क और संवाद की सबसे उपयुक्त भाषा मानते थे। उनका मानना था कि

“अपने लोगों के दिलों तक हम वास्तव में अपनी ही भाषा के जरिये पहुंच सकते हैं।”


साहित्यकारों की राय

  • मृदुला गर्ग – हिन्दी के सामने सबसे बड़ी चुनौती युवाओं का अंग्रेजी की ओर झुकाव है।
  • अशोक वाजपेयी – हिन्दी संख्याबल के आधार पर विश्वभाषा बन सकती है, लेकिन बिना साहित्य, विचार और आर्थिकी के यह संभव नहीं है।

हिन्दी का भविष्य और हमारी जिम्मेदारी

हिन्दी का लगभग 1.2 लाख शब्दों का समृद्ध भाषा-कोष है, लेकिन इसके बावजूद लोग अंग्रेजी शब्दों का धड़ल्ले से उपयोग करते हैं। समाज में यह मानसिकता बन चुकी है कि अंग्रेजी बोलने वाले आधुनिक और हिन्दी बोलने वाले पिछड़े माने जाते हैं।

इसीलिए हिन्दी दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों को जागरूक करना और उन्हें यह याद दिलाना है कि हिन्दी हमारी पहचान है। इसके सम्मान और प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी प्रत्येक भारतीय की है।

जब तक हम सब मिलकर इसका उपयोग नहीं करेंगे, हिन्दी का विकास संभव नहीं है।


(लेखिका शिक्षिका हैं और डेढ़ दशक से भी अधिक समय से शिक्षण क्षेत्र में सक्रिय हैं)

श्वेता गोयल


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