हिमाचल प्रदेश: किन्नौर में बादल फटा, शिमला में भूस्खलन, 552 सड़कें बंद, अब तक 424 मौतें
शिमला, 19 सितंबर। हिमाचल प्रदेश में मानसून का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। गुरुवार देर रात किन्नौर जिले में बादल फटने और शिमला में भारी भूस्खलन ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में सड़कों के अवरुद्ध होने, पेयजल और बिजली आपूर्ति ठप पड़ने से आम जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
किन्नौर में बादल फटने से तबाही
किन्नौर जिले के प्रवेश द्वार तरंडा पंचायत के थाच गांव के ऊपर कंडे में गुरुवार मध्यरात्रि बादल फट गया। अचानक चार नालों में आई भीषण बाढ़ ने पूरे गांव को अपनी चपेट में ले लिया। खेत और सेब के बगीचे बह गए, दो गाड़ियां बाढ़ के पानी में बह गईं और कई मकान क्षतिग्रस्त हो गए। ग्रामीणों ने जान बचाने के लिए अपने घर छोड़कर जंगलों की ओर शरण ली।
गांव के मस्तान की दोगरी (कच्चा मकान) और पक्के मकान को भारी नुकसान पहुंचा, जबकि कई घर ढहने की कगार पर हैं। नालों में आए मलबे के कारण एनएच-5 निगुलसरी के पास बंद हो गया, जिससे वाहनों की आवाजाही पूरी तरह ठप पड़ गई है।
शिमला में भारी भूस्खलन
राजधानी शिमला में भी हालात गंभीर हैं। कार्टरोड क्षेत्र के सेंट एडवर्ड स्कूल के सामने हिमलैंड इलाके में भारी भूस्खलन हुआ। प्रशासन ने सुरक्षा के मद्देनजर स्कूल को दो दिनों (19 और 20 सितंबर) के लिए बंद कर दिया है। भूस्खलन से पास का बहुमंजिला भवन भी खतरे की जद में है। मुख्य सड़क बंद हो जाने के कारण वाहनों को वैकल्पिक मार्ग से भेजा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि तीन दिन पहले भी इसी क्षेत्र में बड़ा भूस्खलन हुआ था।

मौसम विभाग का अलर्ट
मौसम विभाग ने किन्नौर को छोड़कर शेष 11 जिलों में बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है। 20 और 21 सितंबर को भी खराब मौसम बने रहने की संभावना है, जबकि 22 और 23 सितंबर को सुधार के आसार जताए गए हैं। बीती रात से शुक्रवार सुबह तक बिलासपुर के नैना देवी में 158 मिमी बारिश, सिरमौर मुख्यालय नाहन में 38 मिमी और चंबा के चुआड़ी में 37 मिमी वर्षा दर्ज हुई।
यातायात और जनजीवन पर असर
बारिश और भूस्खलन से 3 नेशनल हाईवे और 552 सड़कें बंद हो गई हैं। इनमें किन्नौर, कुल्लू और ऊना जिले के नेशनल हाईवे भी शामिल हैं। सबसे ज्यादा 202 सड़कें कुल्लू, 158 मंडी, 50 शिमला और 40 कांगड़ा जिले में बंद हैं। बिजली और पेयजल आपूर्ति भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। प्रदेशभर में 162 ट्रांसफार्मर और 197 पेयजल योजनाएं ठप पड़ी हैं। अकेले मंडी जिले में 68 ट्रांसफार्मर और 126 पेयजल योजनाएं प्रभावित हुई हैं।
अब तक का भारी नुकसान
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस मानसून सीजन में अब तक 424 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 481 लोग घायल और 45 लापता हैं। मौतों में मंडी जिले में सबसे ज्यादा 66, कांगड़ा में 57, चंबा में 50 और शिमला में 47 लोगों की जान गई है।
- 1,604 मकान पूरी तरह ढह गए
- 7,025 मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त
- 2,458 मवेशियों और 26 हजार से अधिक पोल्ट्री पक्षियों की मौत हुई है

आर्थिक क्षति
राज्य सरकार के प्रारंभिक आकलन के मुताबिक, अब तक का कुल नुकसान 4,749 करोड़ रुपये से अधिक पहुंच गया है। इसमें सबसे ज्यादा नुकसान लोक निर्माण विभाग की सड़कों और पुलों को हुआ है। इस मानसून सीजन में अब तक 146 भूस्खलन, 98 फ्लैश फ्लड और 46 बादल फटने की घटनाएं दर्ज की जा चुकी हैं।
प्रशासन की चुनौती
राज्य सरकार और प्रशासन के सामने राहत और बचाव कार्यों को तेज करने की चुनौती है। ग्रामीण क्षेत्रों में बंद सड़कों को खोलने के लिए मशीनरी लगाई गई है। बिजली और पेयजल आपूर्ति बहाल करने के प्रयास जारी हैं।
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