जगदलपुर। कभी देश के सबसे खतरनाक और नक्सलियों के लिए ‘सुरक्षित गढ़’ माने जाने वाले छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में बदलाव की हवा चल रही है। वर्षों तक डर और खामोशी की जमीन रहे नक्सली कमांडर हिड़मा के गांव पूवर्ती में अब पहली बार यात्री बस पहुंची है, जो न सिर्फ विकास की ओर बढ़ते कदमों की गवाही देती है, बल्कि नक्सल आतंक के खत्म होने के संकेत भी दे रही है।
जहां जाने से कांपते थे लोग, अब चल रही हैं बसें
अबूझमाड़, टेकलगुडम और पूवर्ती जैसे गांव कभी ऐसे नाम थे, जिन्हें सुनते ही लोगों की रूह कांप उठती थी। इन इलाकों में जाना तो दूर, लोग सोचने से भी डरते थे। पूवर्ती, नक्सलियों के मिलिट्री दलम कमांडर हिड़मा और बारसा देवा का गांव रहा है, जहां इनामी नक्सलियों का राज चलता था। लेकिन अब यहां की तस्वीर बदल चुकी है।
सड़कों के साथ बदली सुरक्षा की रणनीति
पूवर्ती तक अब 189 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण सीमा सड़क संगठन (BRO) द्वारा किया जा रहा है, जो सुकमा और बीजापुर को जोड़ती है। सिलगेर से पूवर्ती के बीच करीब 13 किलोमीटर सड़क भी लगभग तैयार हो चुकी है। निर्माण कार्य 1000 से ज्यादा सुरक्षा जवानों की निगरानी में हो रहा है, जो यह दिखाता है कि अब शासन-प्रशासन का नियंत्रण इस क्षेत्र पर मजबूत हो रहा है।
सुरक्षाबलों के शिविर और सड़क निर्माण से मिला भरोसा
बीआरओ ने पहले भी बस्तर में सड़कें बनाईं हैं और अब हिड़मा के गांव में भी यही जिम्मेदारी संभाली है। नक्सलियों से दशकों तक त्रस्त इस इलाके में अब सुरक्षाबलों के कैंप स्थापित किए गए हैं, जिससे ग्रामीणों में विश्वास बढ़ा है। अब गांवों तक वाहन, यात्री बसें और जरूरी सेवाएं पहुंचने लगी हैं।
इन रूटों पर शुरू हुई बस सेवाएं
चार प्रमुख मार्गों पर पहली बार यात्री बसें शुरू की गई हैं:
- दोरनापाल से जगरगुंडा
- किष्टारम से पूवर्ती
- सिलगेर से बासागुड़ा
- बासागुड़ा से पूवर्ती और कोंडापल्ली तक
इन रूट्स पर बसों की शुरुआत से अब ग्रामीणों को जिला एवं ब्लॉक मुख्यालय तक सुलभ परिवहन सुविधा मिलने लगी है।
बदले सुर, बदले हालात
स्थानीय ग्रामीणों का व्यवहार भी अब बदलने लगा है। जो गांव पहले नक्सली दबाव में थे, वहां के लोग अब विकास की बात कर रहे हैं, बच्चों को स्कूल भेज रहे हैं और शासन की योजनाओं में हिस्सा ले रहे हैं। लोक निर्माण विभाग के अनुसार, दोरनापाल से जगरगुंडा 58 किमी और सिलगेर से बासागुड़ा 80 किमी की सड़कों का निर्माण तेजी से चल रहा है।
अधिकारी का बयान
क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी डीसी बंजारे ने बताया,
“जिला प्रशासन के निर्देश पर जहां अब तक बसें नहीं चलती थीं, वहां सुविधा दी जा रही है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों जैसे सुकमा, पूवर्ती, दोरनापाल, सिलगेर में अब नियमित यात्री बसें चल रही हैं, जिससे लोगों को बड़ी राहत मिली है।”
नक्सलवाद के गढ़ में अब दिख रही उम्मीद की किरण
पूवर्ती और उसके आसपास के क्षेत्रों में यह बदलाव केवल यातायात का नहीं, बल्कि एक सोच और युग परिवर्तन का प्रतीक है। नक्सलियों की पकड़ कमजोर पड़ रही है, और ग्रामीणों को अब डर की नहीं, विकास की आदत लग रही है।
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