July 5, 2025 2:40 AM

पूर्वोत्तर में भीषण बारिश और बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त, जेपी नड्डा और अमित शाह ने जताई चिंता

  • मूसलधार बारिश और बाढ़ ने लोगों के जीवन को संकट में डाल दिया
  • पार्टी कार्यकर्ताओं को राहत कार्यों में पूरी सक्रियता के साथ जुटने का निर्देश दिया
  • पूर्वोत्तर में भीषण बारिश और बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त

नई दिल्ली । पूर्वोत्तर भारत में पिछले कुछ दिनों से जारी मूसलधार बारिश और बाढ़ ने लोगों के जीवन को संकट में डाल दिया है। असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा और नागालैंड जैसे राज्यों में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। आपदा प्रबंधन एजेंसियों के अनुसार 29 मई से अब तक 34 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें असम में 10, अरुणाचल में 9, मेघालय और मिजोरम में 6-6, त्रिपुरा में 2 और नागालैंड में 1 मौत शामिल है। इन मौतों के पीछे मुख्य कारण भूस्खलन, डूबना और जलभराव बताए गए हैं। कई जिलों में संपर्क मार्ग टूट गए हैं, बिजली आपूर्ति ठप है और हजारों लोग राहत शिविरों में शरण लेने को मजबूर हैं।

जेपी नड्डा का निर्देश: भाजपा कार्यकर्ता राहत में उतरें

ऐसे कठिन समय में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर प्रभावित लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त की और पार्टी कार्यकर्ताओं को राहत कार्यों में पूरी सक्रियता के साथ जुटने का निर्देश दिया। उन्होंने लिखा: “पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ हिस्सों में लगातार हो रही भारी बारिश से प्रभावित लोगों के लिए मैं बहुत चिंतित हूं… सभी से आग्रह है कि सावधानी बरतें और प्रशासन की सलाह मानें।” नड्डा के निर्देशों के बाद भाजपा की राज्य इकाइयां राहत शिविरों, भोजन वितरण और चिकित्सा सहायता में जुट गई हैं। भाजपा के इस सक्रिय हस्तक्षेप को स्थानीय स्तर पर सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है।

अमित शाह की राज्यों से बात, केंद्र सरकार की मदद का भरोसा

इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने भी असम, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और मणिपुर के मुख्यमंत्रियों और राज्यपाल से फोन पर बात कर स्थिति की जानकारी ली और केंद्र की ओर से हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा: “मोदी सरकार पूर्वोत्तर के लोगों के साथ चट्टान की तरह खड़ी है।” केंद्र सरकार ने एनडीआरएफ और अन्य राहत एजेंसियों को अलर्ट पर रखा है। साथ ही, प्रभावित इलाकों में आवश्यक सामग्री की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए हवाई मार्ग से भी सहायता पहुंचाई जा रही है।

चुनौती: जलवायु संकट और बुनियादी ढांचे की कमजोरी

यह संकट न केवल एक मौसमी आपदा है, बल्कि यह पूर्वोत्तर राज्यों में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और बुनियादी ढांचे की कमजोरी को उजागर करता है। हर वर्ष मानसून में ऐसी आपदाएं आम हो चुकी हैं, लेकिन उनके समाधान के लिए दीर्घकालिक योजनाएं अब भी अधूरी हैं। स्थानीय संगठनों और विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को जल निकासी प्रणाली, तटीय सुरक्षा, और आपदा पूर्व चेतावनी तंत्र को और सशक्त करने की जरूरत है।

मानवीय पहलू: राहत से पहले ज़रूरत भरोसे की

पूर्वोत्तर भारत की भौगोलिक और सामाजिक विविधता को ध्यान में रखते हुए राहत और पुनर्वास प्रयासों में स्थानीय समुदायों की भागीदारी को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। जेपी नड्डा और अमित शाह की सक्रियता जहां राजनीतिक नेतृत्व की प्रतिबद्धता को दर्शाती है, वहीं अब असली चुनौती है राहत को ज़मीन पर असरकारी रूप में उतारना।

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