न्यूयॉर्क, 16 फरवरी (आईएएनएस)। शोधकर्ताओं ने एक महत्वपूर्ण खोज में पाया है कि हमारी जीभ की तरह ही हमारे हृदय की मांसपेशियों में भी ‘मीठे स्वाद’ के रिसेप्टर (स्वाद ग्रहण करने वाली संरचनाएं) मौजूद होते हैं। अध्ययन के अनुसार, जब ये रिसेप्टर्स मीठे पदार्थों के संपर्क में आते हैं, तो वे हृदय गति और मांसपेशियों के संकुचन की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं।
कैसे काम करते हैं ये ‘मीठे स्वाद’ रिसेप्टर्स?
वैज्ञानिकों ने इंसानों और चूहों की हृदय कोशिकाओं पर शोध करते हुए पाया कि जब इन रिसेप्टर्स को कृत्रिम मिठास (जैसे एस्पार्टेम) से उत्तेजित किया गया, तो हृदय की मांसपेशियों की संकुचन शक्ति बढ़ गई और कैल्शियम नियंत्रण की प्रक्रिया तेज हो गई।
लोयोला यूनिवर्सिटी, शिकागो के शोधकर्ता माइका योडर ने बताया, “जब हम भोजन करते हैं, तो हृदय गति और रक्तचाप बढ़ जाता है। पहले यह माना जाता था कि यह केवल तंत्रिका तंत्र के कारण होता है, लेकिन अब हमें पता चला है कि भोजन में मौजूद मीठे तत्व सीधे हृदय पर प्रभाव डाल सकते हैं।”
क्या हृदय रोगों से जुड़ा है यह रिसेप्टर?
अध्ययन में यह भी सामने आया कि हृदय रोगियों के हृदय में इन मीठे स्वाद रिसेप्टर्स की संख्या अधिक पाई गई। यह इंगित करता है कि इनका हृदय संबंधी बीमारियों से कोई संबंध हो सकता है।
इसके अलावा, शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि कृत्रिम मिठास, विशेष रूप से एस्पार्टेम, इन रिसेप्टर्स को अत्यधिक उत्तेजित कर सकता है, जिससे हृदय की धड़कन अनियमित हो सकती है।
क्या यह खोज हृदय रोगों के इलाज में मदद कर सकती है?
वैज्ञानिक अब यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या इन रिसेप्टर्स को नियंत्रित कर हृदय की बीमारियों के इलाज में मदद ली जा सकती है। हालांकि, इस विषय पर अभी और शोध किए जाने की जरूरत है।
इस अध्ययन ने पहली बार पुष्टि की है कि मीठे स्वाद वाले रिसेप्टर्स केवल जीभ तक सीमित नहीं हैं, बल्कि हृदय की मांसपेशियों में भी सक्रिय भूमिका निभाते हैं। यह खोज भविष्य में हृदय स्वास्थ्य और कृत्रिम मिठास के प्रभावों पर किए जाने वाले शोधों के लिए नई दिशा प्रदान कर सकती है।