आज के समय में लोग अपनी सेहत सुधारने के लिए कई प्रकार की भोजन पद्धतियाँ अपनाते हैं। इनमें से एक पद्धति है इंटरमिटेंट फास्टिंग, जिसे बहुत लोग वजन घटाने और शरीर को संतुलित रखने का आसान तरीका मानते हैं। लोग इसे इसलिए भी अपनाते हैं क्योंकि इसे कठिन व्यायाम या जटिल भोजन नियमों की तुलना में सरल समझा जाता है।
लेकिन, जैसा कि प्रसिद्ध चिकित्स विशेषज्ञ कहते हैं—
“इंटरमिटेंट फास्टिंग हर किसी के लिए नहीं है।”
इसका अर्थ यह है कि यह पद्धति कुछ लोगों को लाभ देती है, वहीं कुछ लोगों के लिए यह हानिकारक भी हो सकती है।
इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि इंटरमिटेंट फास्टिंग क्या है, इसके लाभ क्या हैं, नुकसान क्या हो सकते हैं, किन लोगों को इसे बिल्कुल नहीं अपनाना चाहिए और यदि कोई व्यक्ति इसे अपनाना चाहे तो उसे कौन-कौन सी सावधानियाँ रखनी चाहिए।
इंटरमिटेंट फास्टिंग क्या होता है?
इंटरमिटेंट फास्टिंग भोजन और उपवास का एक क्रम है जिसमें व्यक्ति दिन या सप्ताह के कुछ समय में खाना खाता है और बाकी समय उपवास रखता है।
इसके सामान्य रूप इस प्रकार हैं:
घण्टे 14 उपवास और घण्टे 10 भोजन
सप्ताह में 2 दिन उपवास और 5 दिन सामान्य भोजन
हर दूसरे दिन उपवास
उपवास के दौरान शरीर पाचन-क्रिया से मुक्त होकर ऊर्जा को अलग ढंग से प्रयोग करता है और यही परिवर्तन शरीर में कई प्रभाव लाता है।
इंटरमिटेंट फास्टिंग के संभावित लाभ
1. वजन कम करने में सहायक
जब शरीर लम्बे समय तक भोजन नहीं पाता, तो वह जमा ऊर्जा का उपयोग करता है, जिससे वजन धीरे-धीरे घटने लगता है।
2. पाचन में सुधार
भोजन को पूरी तरह पचने का पर्याप्त समय मिलता है, जिससे पेट फूलना, भारीपन और गैस जैसी समस्याएँ कम हो सकती हैं।
3. भूख पर नियंत्रण
उपवास से शरीर भूख के संकेतों को बेहतर ढंग से समझना सीखता है। कई लोग कम भूख महसूस करने लगते हैं।
4. ऊर्जा और एकाग्रता बढ़ना
कुछ लोगों के अनुसार उपवास के दौरान शरीर हल्का और मन अधिक केंद्रित महसूस होता है।
हालाँकि, लाभ मिलना सभी के लिए समान नहीं होता। कुछ लोगों में इसके दुष्प्रभाव भी देखे जाते हैं।
किन लोगों के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग खतरनाक है?
डॉ सौरभ सेठी स्पष्ट रूप से बताते हैं कि नीचे दिए गए लोग इंटरमिटेंट फास्टिंग से दूरी रखें—
1. गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएँ
इस समय शरीर को पोषण और ऊर्जा की अधिक आवश्यकता होती है। उपवास से पोषक तत्वों की कमी हो सकती है, जो माता और शिशु दोनों के लिए हानिकारक है।
2. मधुमेह के रोगी
विशेष रूप से वे लोग जिन्हें दवा के माध्यम से शर्करा नियंत्रित करनी होती है।
लम्बा उपवास करने से शर्करा अचानक बहुत कम हो सकती है, जिससे चक्कर, कमजोरी, पसीना और बेहोशी जैसी स्थितियाँ बन सकती हैं।
3. अत्यधिक कम वजन वाले लोग
जिनका वजन पहले ही सामान्य से कम है, उन्हें उपवास करने पर शरीर में ऊर्जा और पोषण की और कमी हो सकती है, जो मांसपेशियों को नुकसान पहुँचाती है।
4. पेट और आँतों की समस्याओं वाले लोग
जैसे:
अल्सर
आंतों की सूजन
लगातार गैस या उल्टी-दस्त
ऐसे लोगों के लिए उपवास स्थिति और बिगाड़ सकता है।
5. थायराइड की समस्या वाले लोग
थायराइड शरीर की ऊर्जा प्रक्रिया को नियंत्रित करता है। उपवास इसका संतुलन बिगाड़ सकता है और थकान, सर्दी, कमजोरी जैसी समस्याएँ बढ़ सकती हैं।
6. मानसिक तनाव या अवसाद से पीड़ित लोग
लम्बे समय तक भूखे रहने से मनोदशा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। ऐसे लोगों में चिड़चिड़ापन और बेचैनी बढ़ सकती है।
7. हृदय रोगी
हृदय को संतुलित और समय पर ऊर्जा की आवश्यकता होती है। उपवास करने से रक्तचाप में उतार-चढ़ाव हो सकता है।
8. बहुत अधिक शारीरिक श्रम करने वाले लोग
जैसे:
खिलाड़ी
मजदूर
भारी काम करने वाले लोग
इन लोगों के शरीर को लगातार ऊर्जा की आवश्यकता होती है। उपवास करने से उनकी कार्यक्षमता घट सकती है।
इंटरमिटेंट फास्टिंग करते समय महत्वपूर्ण सावधानियाँ
1. धीरे-धीरे शुरुआत करें
सीधे घण्टे 16 उपवास शुरू न करें।
पहले घण्टे 12 से शुरुआत करके धीरे-धीरे बढ़ाएँ।
2. पानी और तरल पदार्थ पर्याप्त मात्रा में लें
उपवास के दौरान पानी, नींबू पानी और अन्य हल्के तरल शरीर को संतुलित रखते हैं।
3. उपवास तोड़ते समय हल्का भोजन करें
भारी और तैलीय भोजन करने पर पाचन तंत्र पर अचानक दबाव पड़ता है।
4. पोषण का ध्यान रखें
भोजन अवधि में यह अवश्य शामिल करें:
दालें
अनाज
फल
सब्जियाँ
मेवे
बीज
5. शरीर के संकेतों को नज़रअंदाज़ न करें
यदि कमजोरी, चक्कर, तेज धड़कन, घबराहट या अत्यधिक थकान महसूस हो, तो उपवास तुरंत रोक दें।
डॉ सौरभ सेठी की मुख्य सलाह
इंटरमिटेंट फास्टिंग एक जीवनशैली पद्धति है, कोई त्वरित उपाय नहीं।
इसे अपनाने से पहले अपनी स्वास्थ्य स्थिति समझें।
यदि कोई पुरानी बीमारी है, तो डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है।
हर तरीका सभी के लिए नहीं होता, इसलिए किसी भी ट्रेंड में बहने से बचना चाहिए।
क्या इंटरमिटेंट फास्टिंग सबके लिए फायदेमंद है?
नहीं।
इसके लाभ और नुकसान दोनों ही व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करते हैं।
कुछ लोगों को इससे अद्भुत लाभ मिलता है, जबकि कुछ की सेहत इससे तेजी से बिगड़ सकती है।
निष्कर्ष
इंटरमिटेंट फास्टिंग एक उपयोगी और प्रभावशाली पद्धति हो सकती है, लेकिन यह तभी लाभ देती है जब इसे सही तरीके से और सही व्यक्ति अपनाता है।
जैसा कि डॉ सौरभ सेठी कहते हैं—
“इंटरमिटेंट फास्टिंग हर किसी के लिए नहीं है।”
इसलिए, इसे अपनाने से पहले अपनी स्वास्थ्य स्थिति को समझें और आवश्यक होने पर विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।
अपनी सेहत और जीवनशैली को संतुलित रखना ही जीवन का सबसे महत्वपूर्ण निवेश है।
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