जहरीली हवा कितना नुकसान करती है? दिमाग, दिल और फेफड़ों पर गहरा असर

तेजी से बढ़ते धुएं, धूल, गाड़ियों, कारखानों और खेतों की आग से हवा में जहर भरता जा रहा है। यह हमारे शरीर के हर हिस्से पर धीमे-धीमे असर डालता है, इसलिए इसे आज का बड़ा खतरा माना जाता है।

जहरीली हवा को ‘छुपा खतरा’ क्यों कहा जाता है?

वायु प्रदूषण धीरे-धीरे शरीर को अंदर से कमजोर करता है। सांस, दिल, दिमाग, त्वचा और प्रतिरोधक शक्ति पर इसका असर बिना किसी संकेत के बढ़ता जाता है। इसी वजह से इसे छुपा खतरा कहा जाता है।

दिमाग पर असर: थकान, चक्कर और याददाश्त कम होना

गंदी हवा दिमाग में पहुंचकर खून के बहाव को धीमा कर देती है। इससे चक्कर, सिरदर्द, सुस्ती, चिंता और याददाश्त कमजोर होने जैसी दिक्कतें बढ़ने लगती हैं। बच्चों और बुजुर्गों पर इसका असर ज्यादा देखा जाता है।

दिल पर खतरा: धड़कन बढ़ना और ब्लॉकेज का जोखिम

प्रदूषित हवा दिल की नसों में सूजन और ब्लॉकेज पैदा कर सकती है। लम्बे समय तक इसके संपर्क में रहने से दिल की धड़कन तेज होना, छाती में भारीपन और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

फेफड़ों पर सीधा वार: सांस की दिक्कत और खांसी

धुआं और धूल सीधे फेफड़ों में जमा होकर खांसी, खराश, सांस फूलना और घरघराहट बढ़ा देते हैं। दमा, एलर्जी और फेफड़ों की कमजोरी वाले लोगों को इसका असर जल्दी होता है।

बच्चों पर तेज असर: कमज़ोर फेफड़े और सीखने में कमजोरी

बच्चों के फेफड़े अभी विकसित हो रहे होते हैं, इसलिए जहरीली हवा उन्हें जल्दी प्रभावित करती है। इससे सांस की परेशानी, थकान और पढ़ाई पर ध्यान कम होने जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं।

घर के अंदर की हवा भी उतनी ही खतरनाक हो सकती है

रसोई का धुआं, अगरबत्ती, धूल, नमी और खराब वेंटिलेशन घर की हवा को भी दूषित कर देते हैं। इससे आंखों में जलन, सिरदर्द, थकान और सांस की दिक्कतें बढ़ने लगती हैं। इसलिए घर के अंदर की हवा भी साफ रखना ज़रूरी है।

कैसे बचें इस छुपे खतरे से?

सुबह-शाम घर की खुली हवा, मास्क का उपयोग, पौधों का सहारा, पानी अधिक पीना और शरीर को मजबूत रखने वाली दिनचर्या इस खतरे को कम कर सकती है। जितना कम धुआं और धूल शरीर में जाए, उतना बेहतर स्वास्थ्य बना रहता है।