हरियाणा के अंकित और विजय रूस-यूक्रेन युद्ध में फंसे, परिवार ने सरकार से लगाई गुहार
फतेहाबाद। हरियाणा के फतेहाबाद जिले के कुम्हारिया गांव के दो युवक, अंकित जांगड़ा (23) और विजय पूनिया (25), रूस-यूक्रेन युद्ध की भयावह परिस्थितियों में फंस गए हैं। दोनों युवक स्टडी वीजा पर रूस गए थे, लेकिन धोखे से उन्हें रूसी सेना में भर्ती कर यूक्रेन सीमा पर भेज दिया गया। अब दोनों ने वीडियो और व्हाट्सएप कॉल के जरिए भारत सरकार और विदेश मंत्रालय से तुरंत मदद की गुहार लगाई है।

कैसे फंसे जाल में?
अंकित और विजय दोनों फरवरी 2025 में स्टडी वीजा लेकर रूस गए थे। अंकित ने मॉस्को के एमएसएलयू कॉलेज में भाषा कोर्स में दाखिला लिया था। विजय भी इसी तरह अध्ययन के लिए गया था। लेकिन पढ़ाई शुरू होने से पहले ही एक महिला एजेंट ने उन्हें बहकाया और कहा कि वे रशियन आर्मी में शामिल होकर बड़ी कमाई कर सकते हैं।
युवकों को बताया गया कि यदि वे कॉन्ट्रेक्ट साइन करते हैं तो तीन महीने की ट्रेनिंग के बाद उन्हें ढाई लाख रुपये प्रतिमाह वेतन मिलेगा। इसी लालच में उनसे दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर करवा लिए गए। बाद में उन्हें एहसास हुआ कि यह सब छलावा था और वे सीधे युद्ध क्षेत्र में धकेल दिए गए।

मौत का मंजर
परिवार के अनुसार, अंकित ने बताया कि 15-15 युवकों के तीन बैच बनाए गए हैं। पहले बैच में अंकित और विजय भी शामिल हैं। इस बैच के 15 में से पांच युवकों की मौत युद्ध क्षेत्र में हो चुकी है। यह खबर सुनकर गांव में मातम पसर गया है और परिवार दहशत में है।
परिजनों की व्यथा
अंकित के भाई रघुवीर जांगड़ा ने बताया कि उनके पिता चुनाई मिस्त्री हैं और मां सुशीला देवी गृहिणी हैं। परिवार ने बड़े अरमानों के साथ अंकित को पढ़ाई के लिए विदेश भेजा था। लेकिन अब उनका बेटा युद्ध क्षेत्र में फंसा हुआ है।
रघुवीर ने बताया कि अंकित ने फोन पर रोते हुए कहा—
“हमें धोखे से फंसा दिया गया है, कृपया हमें यहां से निकालने में मदद कीजिए।”
प्रशासन और सरकार से गुहार
परिजनों ने जिले के डीसी से लेकर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी तक गुहार लगाई है। उन्होंने आग्रह किया कि केंद्र सरकार और विदेश मंत्रालय इस मामले को गंभीरता से लें और दोनों युवकों को सुरक्षित भारत वापस लाने की कार्रवाई करें।
प्रशासन ने मामले की रिपोर्ट विदेश मंत्रालय को भेज दी है और कहा जा रहा है कि अब केंद्र स्तर पर बातचीत शुरू हो चुकी है।
ग्रामीणों में आक्रोश और चिंता
गांव कुम्हारिया में इस घटना को लेकर गुस्सा और चिंता का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि पढ़ाई के नाम पर बच्चों को विदेश भेजा जाता है, लेकिन ऐसे एजेंटों के जाल में वे युद्ध का हिस्सा बन जाते हैं। इस घटना ने विदेश पढ़ाई का सपना देखने वाले युवाओं और उनके परिवारों को गहरी चिंता में डाल दिया है।
सरकार पर उम्मीदें
परिवार और ग्रामीणों को विश्वास है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस मामले को गंभीरता से उठाएंगे। उन्हें उम्मीद है कि दोनों युवकों को जल्द सुरक्षित भारत वापस लाया जाएगा।
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