हरितालिका तीज 2025: व्रत की तिथि, पूजा विधि, कथा, महत्व और व्रत से जुड़े उपाय - जानिए संपूर्ण जानकारी

हरितालिका तीज 2025: जानें व्रत की तिथि, पूजा विधि, कथा, महत्त्व और उपाय

नई दिल्ली। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाने वाली हरितालिका तीज इस वर्ष 26 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी। यह पर्व स्त्री श्रद्धा, प्रेम, और तपस्या का प्रतीक माना जाता है। हरितालिका तीज खासतौर पर विवाहित और अविवाहित महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत है, जिसमें महिलाएं निर्जल रहकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं।


📅 हरितालिका तीज 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

  • व्रत की तिथि: मंगलवार, 26 अगस्त 2025
  • तृतीया तिथि प्रारंभ: 25 अगस्त को दोपहर 12:34 बजे
  • तृतीया तिथि समाप्त: 26 अगस्त को दोपहर 1:54 बजे
  • व्रत तिथि: उदया तिथि के अनुसार व्रत 26 अगस्त को रखा जाएगा
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🙏 हरितालिका तीज व्रत की पूजा विधि (Puja Vidhi)

  1. प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में स्नान:
    स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को स्वच्छ करें।
  2. व्रत संकल्प:
    "उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये" मंत्र के साथ व्रत का संकल्प लें।
  3. पूजा की तैयारी:
    पूजा के लिए चौकी पर लाल या पीले कपड़े बिछाकर शिव-पार्वती एवं गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। मिट्टी से गौरी-शंकर की प्रतिमा बनाएं।
  4. कलश स्थापना:
    जल से भरे कलश में आम के पत्ते डालें और ऊपर नारियल रखें। कलश को पूजा स्थल पर स्थापित करें।
  5. पूजन सामग्री:
    धूप, दीप, चंदन, अक्षत, फूल, बेलपत्र, शमी पत्र, पान, सुपारी, नारियल, कुमकुम, सिंदूर, मेहंदी, चूड़ियां, बिंदी, वस्त्र, श्रृंगार सामग्री आदि तैयार रखें।
  6. पूजा और कथा:
    शिव-पार्वती को गंगाजल से स्नान कराएं, धूप-दीप से पूजन करें। तीज व्रत की कथा सुनें और रात भर भजन-कीर्तन करें।
  7. व्रत पारण:
    अगले दिन सूर्योदय के बाद माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाकर व्रत का पारण करें।

📖 हरितालिका तीज व्रत कथा (Vrat Katha)

पुराणों के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठिन तप किया। उनके पिता राजा हिमालय ने उन्हें विष्णु से विवाह हेतु वचनबद्ध कर दिया, लेकिन पार्वती जी ने इस विवाह को अस्वीकार कर दिया। अपनी सखी (मित्रा) के साथ वह घने जंगल में चली गईं और वहां कठोर तप कर शिवजी को प्रसन्न किया।

तप से प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। जिस दिन यह तपस्या पूर्ण हुई, वह दिन भाद्रपद शुक्ल तृतीया था। तभी से इस दिन को "हरितालिका तीज" कहा जाने लगा — हरि का अर्थ "हरण" और तालिका का अर्थ "सखी", यानी वह सखी जो पार्वती को विवाह से बचाकर तप के लिए ले गई थी।

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🌟 व्रत का धार्मिक और सामाजिक महत्व (Significance)

  • विवाहित महिलाएं: अपने पति की लंबी उम्र, सुखद वैवाहिक जीवन और अखंड सौभाग्य के लिए यह व्रत करती हैं।
  • कन्याएं: मनचाहा और योग्य वर पाने के लिए यह कठिन व्रत करती हैं।
  • यह व्रत नारी शक्ति, समर्पण और ईश्वर भक्ति का अद्भुत उदाहरण है।
  • यह पर्व जीवन में संयम, संकल्प और श्रद्धा के महत्त्व को दर्शाता है।
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🪔 व्रत के विशेष उपाय (Upay)

  1. माता पार्वती को सोलह श्रृंगार समर्पित करें: इससे वैवाहिक जीवन में स्थायित्व और सौंदर्य बना रहता है।
  2. शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाएं: इससे जीवन में शांति और समृद्धि आती है।
  3. रात्रि जागरण और कीर्तन करें: यह मन और आत्मा को शुद्ध करता है और शुभ फल देता है।
  4. सिंदूर, चूड़ियां और मेहंदी माता को अर्पित करें: ये वस्तुएं अखंड सौभाग्य का प्रतीक होती हैं।
  5. कन्याएं पीले वस्त्र पहनकर व्रत करें: इससे योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होती है।

हरितालिका तीज व्रत स्त्री शक्ति, प्रेम और ईश्वर के प्रति अटूट विश्वास का प्रतीक है। यह व्रत जहां विवाहिताओं के लिए सौभाग्य और प्रेम का संकल्प है, वहीं कुंवारी कन्याओं के लिए यह विश्वास और आशा की अभिव्यक्ति है। व्रत की कठिनता जितनी अधिक है, उसका फल भी उतना ही श्रेष्ठ माना गया है।

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