हरिद्वार कांवड़ मेला: अब तक 2.50 करोड़ शिव भक्तों ने भरा गंगाजल, शहर हुआ भगवामय
हरिद्वार।
श्रावण मास के पावन अवसर पर हरिद्वार में चल रहे कांवड़ मेले ने आस्था और श्रद्धा की नई मिसाल कायम कर दी है। मेला शुरू हुए नौ दिन हो चुके हैं, और अब तक करीब 2 करोड़ 50 लाख शिवभक्तों ने गंगाजल भरकर अपने गंतव्य की ओर प्रस्थान किया है।
हर ओर गूंजते “बोल बम” के नारों और केसरिया रंग की आभा से हरिद्वार पूरी तरह भगवामय हो गया है। श्रद्धालुओं की आस्था और ऊर्जा से शहर में उत्सव जैसा माहौल बना हुआ है।

डाक कांवड़ की धूम, भारी वाहनों पर रोक
शनिवार से हरिद्वार में डाक कांवड़ की धूम भी शुरू हो गई है। डाक कांवड़िए तेज गति से दौड़ते हुए जल लेकर अपने शिवालयों की ओर बढ़ते हैं। उनके दलों में ढोल-नगाड़ों, स्पीकरों और झांकियों की भरमार रहती है, जिससे हर गली-मोहल्ला शिवमय हो जाता है।
कांवड़ियों की भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने भारी वाहनों के प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। स्थायी बस अड्डा भी बंद कर दिया गया है, जिससे आम यातायात प्रभावित न हो।

48 लाख कांवड़िए एक ही दिन में निकले जल लेकर
पुलिस अधीक्षक प्रमेंद्र डोबाल ने जानकारी दी कि शनिवार शाम 6:00 बजे तक ही 48 लाख कांवड़िए हरिद्वार से गंगाजल भरकर अपने गंतव्य की ओर रवाना हुए। अब तक कुल 2 करोड़ 48 लाख 90 हजार शिवभक्त जल भर चुके हैं।
यह संख्या इस बात का प्रमाण है कि कांवड़ मेला केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि जनसागर और प्रशासनिक संयोजन का अद्भुत उदाहरण बन गया है।

गंगा में डूबते 22 कांवड़ियों को बचाया गया
एसडीआरएफ और सेना की रेस्क्यू टीमों ने सतर्कता बरतते हुए शनिवार को गंगा में डूब रहे 22 कांवड़ियों को सुरक्षित बाहर निकाला। इसके अलावा, भारी भीड़ के बीच खोए हुए 112 लोगों में से 94 को उनके परिजनों से मिलाया गया।
प्रशासन ने दावा किया है कि भीड़ के बावजूद कानून व्यवस्था पूरी तरह सामान्य रही, और सभी मार्गों पर यातायात नियंत्रित तरीके से संचालित हो रहा है।

रंग-बिरंगी कांवड़ झांकियों से शहर में उत्सव का माहौल
हरिद्वार की गलियों और सड़कों पर कांवड़ियों द्वारा सजाई गई रंग-बिरंगी कांवड़ झांकियां किसी उत्सव से कम नहीं लगतीं। भक्ति संगीत, ढोल-नगाड़े, ट्रकों पर लगे झंडे, रोशनी और बजते भोले के भजन श्रद्धालुओं की श्रद्धा को और गहरा बना रहे हैं।
हर कांवड़ यात्रा केवल यात्रा नहीं, बल्कि शिवभक्ति और सेवा भावना का प्रतीक बन गई है।

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