• दो साल बाद इजरायल-हमास में बनी सहमति, पहले चरण में 20 बंधकों की रिहाई, रेडक्रॉस की निगरानी में चल रही प्रक्रिया

इजरायल। दो वर्षों से जारी खूनी संघर्ष और तनाव के बीच आखिरकार इजरायल और हमास के बीच एक अस्थायी शांति समझौता हुआ है। इस समझौते के तहत आज (सोमवार) को हमास ने अपने कब्जे में रखे गए इजरायली बंधकों की रिहाई शुरू कर दी है। पहले चरण में सात इजरायली बंधकों को रिहा किया गया है, जबकि बाकी 13 लोगों को आज ही छोड़े जाने की उम्मीद है। हमास ने अपनी ओर से 20 बंधकों की सूची जारी की है, जिनके आज मुक्त किए जाने की बात कही गई है। हालांकि, इस सूची में नेपाल के नागरिक बिपिन जोशी का नाम शामिल नहीं है। बिपिन जोशी उन विदेशी नागरिकों में से एक हैं, जिन्हें 2023 में गाजा संघर्ष के दौरान हमास ने बंधक बना लिया था। इसी तरह, इजरायली सेना के एक सैनिक तामिर का नाम भी इस सूची में नहीं है।


शांति समझौते के तहत हुई बंधकों की रिहाई की शुरुआत

इजरायली सेना और हमास के बीच लंबे तनाव के बाद इस समझौते पर सहमति बनी। इसके अनुसार, हमास पहले चरण में अपने कब्जे से कुल 20 इजरायली बंधकों को रिहा करेगा, जबकि इजरायल अपनी जेलों में बंद लगभग 1,900 फलस्तीनी कैदियों को रिहा करेगा।

इजरायल डिफेंस फोर्स (आईडीएफ) के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय रेडक्रॉस समिति (ICRC) की देखरेख में यह प्रक्रिया चल रही है। रेडक्रॉस के अधिकारी उत्तरी गाजा पट्टी के एक गुप्त स्थान पर पहुंचे, जहां से बंधकों को सुरक्षित निकालकर इजरायली अधिकारियों को सौंपा जा रहा है।


पहले सात बंधक सुरक्षित घर लौटे

इजरायली मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रेडक्रॉस ने बीस जीवित बंधकों में से पहले सात को उत्तरी गाजा में इजरायली सेना के हवाले कर दिया है। रिहा किए गए लोगों में गली बर्मन, ज़िव बर्मन, मतन अंगरेस्ट, एलन ओहेल, ओमरी मीरान, एतान मोर और गाय गिल्बोआ-दलाल शामिल हैं।

जैसे ही इन बंधकों की रिहाई की खबर सार्वजनिक हुई, तेल अवीव और यरूशलम में लोगों ने खुशी मनाई। बंधक चौक पर सैकड़ों नागरिक इकट्ठे हुए और “वापसी की उम्मीद” के नारे लगाए। कई परिवारों की आंखों में राहत और खुशी के आंसू थे, जो महीनों से अपने अपनों की सुरक्षित वापसी की दुआ कर रहे थे।


13 और बंधकों की रिहाई की संभावना

हमास ने घोषणा की है कि वह अगले कुछ घंटों में शेष 13 बंधकों को भी रिहा करेगा। बताया जा रहा है कि ये सभी नागरिक हैं और इनमें कुछ बुजुर्ग व महिलाएं भी शामिल हैं। इजरायली सुरक्षा एजेंसियां और रेडक्रॉस अधिकारी संयुक्त रूप से उनकी सुरक्षित वापसी की व्यवस्था कर रहे हैं।

इस पूरी प्रक्रिया के दौरान गाजा और इजरायल की सीमाओं पर भारी सुरक्षा तैनात की गई है। इजरायली सेना ने यह स्पष्ट किया है कि किसी भी स्थिति में हमास की ओर से हिंसक गतिविधि दोबारा शुरू होने पर जवाबी कार्रवाई की जाएगी।


नेपाल के बिपिन जोशी और इजरायली सैनिक तामिर अभी भी लापता

हमास द्वारा जारी की गई 20 नामों की सूची में नेपाल के नागरिक बिपिन जोशी का नाम शामिल नहीं है। बिपिन जोशी नेपाल के एक कृषि कार्यक्रम के तहत इजरायल में कार्यरत थे, जब 2023 के हमास हमले के दौरान वे लापता हो गए। उनके परिवार ने नेपाल और इजरायल दोनों सरकारों से लगातार अपील की है कि उन्हें सुरक्षित वापस लाया जाए।

इसी तरह, इजरायली सेना के सैनिक तामिर का नाम भी सूची में नहीं है, जिससे उनके परिवार में निराशा फैल गई है। इजरायल सरकार ने कहा है कि सभी बंधकों को सुरक्षित वापस लाने के प्रयास जारी रहेंगे और आने वाले चरणों में अन्य नामों की घोषणा की जा सकती है।


हमास और इजरायल दोनों की ओर से रिहाई की तैयारी

इजरायल ने अपनी ओर से भी 1,900 फलस्तीनी कैदियों की सूची जारी की है, जिन्हें क्रमवार रिहा किया जाएगा। इनमें अधिकतर ऐसे कैदी हैं जिन पर कम गंभीर आरोप हैं या जिन्होंने सजा पूरी कर ली है। इस रिहाई को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थ देशों — विशेष रूप से कतर और मिस्र — की निगरानी में अमल में लाया जा रहा है।

इस बीच, संयुक्त राष्ट्र ने इस समझौते का स्वागत करते हुए कहा है कि यह कदम “मानवीय राहत” की दिशा में एक महत्वपूर्ण शुरुआत है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, “बंधकों की सुरक्षित रिहाई और कैदियों की वापसी दोनों पक्षों के लिए शांति बहाली की दिशा में अहम हैं।”


दो साल पुराने संघर्ष में अब तक हजारों मौतें

गाजा में पिछले दो वर्षों में इजरायल और हमास के बीच चले संघर्ष में 10,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। हजारों लोग घायल हुए और लाखों को अपने घर छोड़ने पड़े। इस हिंसा ने मध्य पूर्व में स्थिरता को गंभीर रूप से प्रभावित किया।

अब जब बंधकों की रिहाई का यह समझौता हुआ है, अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसे संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में पहली ठोस पहल के रूप में देख रहा है।