एचएएल बढ़ाएगा एलसीए तेजस का उत्पादन, इंजन आपूर्ति बनी चुनौती
नई दिल्ली। भारत के स्वदेशी लड़ाकू विमान निर्माण कार्यक्रम को गति देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने 97 अतिरिक्त लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) मार्क-1ए ‘तेजस’ खरीदने को मंजूरी दे दी है। इससे भारतीय वायु सेना के लिए कुल 180 तेजस विमान तैयार किए जाएंगे। यह सौदा देश की सामरिक ताकत बढ़ाने और रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
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उत्पादन क्षमता दोगुनी करने की तैयारी
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने इससे पहले 83 विमानों के ऑर्डर मिलने के बाद प्रति वर्ष 16 जेट तैयार करने का लक्ष्य रखा था। लेकिन अब 97 विमानों का अतिरिक्त ऑर्डर मिलने के बाद एचएएल प्रति वर्ष 30 जेट तक उत्पादन बढ़ाने की योजना पर काम कर रहा है। यह वृद्धि भारतीय वायु सेना के आधुनिकीकरण और उसके बेड़े को समय पर मजबूत करने के लिए आवश्यक कदम है।
इंजन आपूर्ति बनी सबसे बड़ी बाधा
हालांकि, उत्पादन क्षमता बढ़ाने की योजना के बीच इंजन की उपलब्धता सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। तेजस विमानों के लिए अमेरिका से जीई-404 इंजन मिलने थे, लेकिन अब तक केवल दो इंजन ही भारत को प्राप्त हुए हैं। बाकी इंजनों की आपूर्ति का इंतजार जारी है। इस देरी से उत्पादन प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है और समय पर वायुसेना को विमान सौंपने में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
सौदे का महत्व और लागत
भारतीय वायु सेना के साथ 83 तेजस मार्क-1ए फाइटर जेट का सौदा 3 फरवरी, 2021 को बेंगलुरु में एयरो इंडिया शो के दौरान एचएएल और रक्षा मंत्रालय के बीच हुआ था। इसके बाद रक्षा मंत्रालय ने वायुसेना की बढ़ती ज़रूरतों को देखते हुए करीब डेढ़ साल पहले 97 और विमानों के लिए 65,000 करोड़ रुपये का टेंडर जारी किया।
अब प्रधानमंत्री की अगुवाई वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) ने मंगलवार को 97 अतिरिक्त तेजस जेट और छह उन्नत एयरबोर्न अर्ली-वार्निंग एंड कंट्रोल (अवाक्स) विमान खरीद को मंजूरी दे दी है। इस सौदे की कुल लागत 85,500 करोड़ रुपये आंकी गई है।
आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम
एलसीए तेजस का निर्माण भारत की मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत नीति का अहम हिस्सा है। स्वदेशी तकनीक से विकसित यह हल्का लड़ाकू विमान चौथी पीढ़ी की आधुनिक तकनीक से लैस है और वायु सेना की युद्ध क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
रणनीतिक महत्व
तेजस मार्क-1ए की संख्या बढ़ने से भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता और हवाई निगरानी तंत्र को मजबूती मिलेगी। चीन और पाकिस्तान से लगती सीमाओं पर बढ़ते तनाव के बीच यह सौदा भारत की सामरिक जरूरतों को पूरा करने के लिहाज से अहम माना जा रहा है। वहीं, अवाक्स विमानों के जुड़ने से भारत की वायु चेतावनी प्रणाली और निगरानी क्षमता और अधिक सुदृढ़ होगी।
भविष्य की राह
हालांकि, उत्पादन गति और समय पर आपूर्ति के लिए इंजन उपलब्ध कराना सबसे महत्वपूर्ण होगा। रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत को इंजन निर्माण में भी आत्मनिर्भरता हासिल करनी होगी, ताकि इस तरह की विदेशी निर्भरता से बचा जा सके।
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