भरतपुर (राजस्थान)। राजस्थान में गुर्जर समाज की आरक्षण को लेकर आहूत महापंचायत रविवार को शांतिपूर्ण ढंग से समाप्त हो गई थी, लेकिन शाम होते-होते माहौल फिर से तनावपूर्ण हो गया। भरतपुर के पीलूपुरा स्थित शहीद स्मारक के पास समाज के नाराज युवाओं ने अचानक दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक पर धावा बोल दिया और कोटा-मथुरा पैसेंजर ट्रेन को रोक दिया।
ट्रैक को शाम 4:30 बजे से लेकर 6:30 बजे तक जाम रखा गया, जिससे रेल संचालन दो घंटे तक बाधित रहा।
पटरी उखाड़ने की कोशिश, पुलिस-प्रशासन अलर्ट
सूत्रों के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने पटरियों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश भी की। हालांकि समय रहते प्रशासन सक्रिय हो गया। भरतपुर कलेक्टर और एसपी मौके पर पहुंचे और प्रदर्शनकारियों को समझाकर शाम 6:30 बजे तक ट्रैक खाली करवाया। इस दौरान ट्रैक के आसपास बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा।

ट्रैक जाम क्यों हुआ?
इससे पहले रविवार को पीलूपुरा में गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के बैनर तले महापंचायत आयोजित की गई थी। इसमें सरकार की ओर से भेजा गया आरक्षण मसौदा विजय बैंसला ने महापंचायत में पढ़कर सुनाया। शुरू में समाज के लोगों ने मसौदे पर सहमति जताई और महापंचायत शांति से समाप्त हो गई।
लेकिन कुछ समय बाद ही समाज के भीतर से ही विरोध के स्वर उठने लगे। कुछ लोगों ने सरकार के ड्राफ्ट को अधूरा और अस्पष्ट बताते हुए नाराजगी जाहिर की और ट्रैक की ओर कूच कर दिया। नाराज युवकों ने ट्रैक को घेरते हुए ट्रेन को रोक दिया।
सिर्फ 150 मीटर दूर था ट्रैक
दिलचस्प बात यह है कि जहां महापंचायत हुई, वहां से रेलवे ट्रैक की दूरी मात्र 150 मीटर है। यही ट्रैक पूर्व में भी गुर्जर आंदोलनों में कई बार बाधित हो चुका है। इसलिए प्रशासन पहले से ही अलर्ट था, लेकिन ट्रैक जाम की यह कार्रवाई अचानक हुई और स्थिति कुछ देर के लिए बेकाबू हो गई।
सरकार को अल्टीमेटम, फिर भी असंतोष
गुर्जर समाज की ओर से राज्य सरकार को रविवार दोपहर तक फैसला लेने का अल्टीमेटम दिया गया था। सरकार ने समयसीमा से पहले ही मसौदा भेज दिया था। लेकिन कुछ समाज प्रतिनिधि इसे ठोस आश्वासन नहीं मान रहे।

मंत्री का बयान: जब बात टेबल पर हो सकती है तो महापंचायत क्यों?
गुर्जर आंदोलन पर राज्य सरकार की ओर से गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा,
“कुछ लोग किसी भी स्थिति में सरकार के खिलाफ ही रहना चाहते हैं। जब सरकार बिना आंदोलन के संवाद के लिए तैयार है, तो फिर महापंचायत की जरूरत क्यों?”
उन्होंने यह भी कहा कि लोकतंत्र में सभी को अपनी बात कहने का अधिकार है, लेकिन संवाद की पहल का जवाब ट्रैक जाम से देना उचित नहीं है।
राजस्थान में गुर्जर समाज की आरक्षण की मांग वर्षों पुरानी है, लेकिन बार-बार आश्वासन और आधे-अधूरे निर्णयों से समाज के भीतर गहरी नाराजगी और असंतोष पनप चुका है। रविवार को हुए घटनाक्रम ने यह साफ कर दिया है कि महज मसौदे से समाज संतुष्ट नहीं है, बल्कि उन्हें स्पष्ट, प्रभावी और क्रियान्वित करने योग्य फैसले चाहिए। यदि जल्द समाधान नहीं हुआ, तो हालात फिर बड़े आंदोलन का रूप ले सकते हैं।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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