सौराष्ट्र क्षेत्र को मिल सकता है बड़ा प्रतिनिधित्व
गुजरात मंत्रिमंडल विस्तार की आधिकारिक घोषणा, कल गांधीनगर में होगा शपथ ग्रहण समारोह
भूपेंद्र पटेल सरकार के विस्तार से पहले भाजपा में मंथन तेज, वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी और क्षेत्रीय संतुलन पर हाईकमान की निगाह
गांधीनगर, 16 अक्टूबर। गुजरात में लंबे समय से प्रतीक्षित मंत्रिमंडल विस्तार की आधिकारिक घोषणा बुधवार को हो गई। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में यह पहला बड़ा राजनीतिक पुनर्गठन माना जा रहा है। शुक्रवार, 17 अक्टूबर को सुबह 11:30 बजे गांधीनगर स्थित महात्मा मंदिर में शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया जाएगा। इस दौरान राज्यपाल आचार्य देवव्रत नव-नियुक्त मंत्रियों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे।
इस कार्यक्रम में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की मौजूदगी रहने की संभावना है। दिल्ली से वरिष्ठ नेता और संगठन महामंत्री सुनील बंसल गुरुवार शाम तक गांधीनगर पहुंचेंगे, जबकि मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल आज मुंबई के एक कार्यक्रम से लौटने वाले हैं।

🔹 भाजपा विधायकों को गांधीनगर बुलाया गया
राज्य सूचना विभाग ने कहा है कि मुख्यमंत्री के मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सभी व्यवस्थाएं पूरी कर ली गई हैं। पार्टी ने अपने सभी विधायकों और मंत्रियों को दो दिनों तक गांधीनगर में मौजूद रहने का निर्देश दिया है।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, 15 अक्टूबर को निर्धारित कैबिनेट बैठक रद्द की गई थी, क्योंकि मंत्रिमंडल विस्तार की तैयारियां अंतिम चरण में थीं। भाजपा ने आज दोपहर तक सभी विधायकों को राजधानी पहुंचने के निर्देश दिए हैं।
🔹 सौराष्ट्र क्षेत्र को मिल सकता है अधिक प्रतिनिधित्व
राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार, इस विस्तार में क्षेत्रीय और जातीय संतुलन को साधने की कोशिश की जाएगी। खासतौर पर सौराष्ट्र क्षेत्र को इस बार अधिक प्रतिनिधित्व मिलने की संभावना है।
हाल ही में भाजपा ने अहमदाबाद के जगदीश विश्वकर्मा को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया था, जिसके बाद पार्टी के अंदर यह चर्चा तेज हो गई थी कि सौराष्ट्र की अनदेखी हुई है।
उपचुनाव में आम आदमी पार्टी के नेता गोपाल इटालिया की सक्रियता और उनकी बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए भाजपा इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है। माना जा रहा है कि इस विस्तार में सौराष्ट्र से कई नए चेहरे मंत्री बनाए जा सकते हैं।
🔹 वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी और रणनीतिक समायोजन
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, भाजपा के कुछ वरिष्ठ और पुराने नेता नाराज बताए जा रहे हैं। उनमें से कुछ ने असंतोष जताते हुए अपने भविष्य को लेकर नए विकल्पों पर भी विचार किया है।
खबरें यह भी हैं कि कुछ नेता भविष्य में आम आदमी पार्टी में शामिल हो सकते हैं, जिसकी जानकारी भाजपा हाईकमान तक पहुंच चुकी है।
ऐसे में पार्टी 2027 के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए कोई जोखिम नहीं लेना चाहती। इसलिए संगठन ने यह तय किया है कि उन प्रभावशाली, लेकिन अब तक उपेक्षित नेताओं को भी जिम्मेदारी दी जाए।
साथ ही कुछ पुराने और अनुभवी मंत्रियों को दोबारा मौका देकर पार्टी संतुलन बनाए रखना चाहती है।

🔹 राज्यपाल आचार्य देवव्रत का कार्यक्रम बदला
राज्यपाल आचार्य देवव्रत इन दिनों हरियाणा के कुरुक्षेत्र दौरे पर थे, जो मूल रूप से 16 अक्टूबर तक निर्धारित था। लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार को देखते हुए उनका कार्यक्रम छोटा कर दिया गया है, ताकि वे शपथ ग्रहण समारोह में उपस्थित रह सकें।
🔹 2021 में भी हुआ था बड़ा बदलाव
गौरतलब है कि सितंबर 2021 में भाजपा हाईकमान ने अचानक मुख्यमंत्री विजय रूपाणी सहित पूरे मंत्रिमंडल को बदल दिया था, जिसने सभी को चौंका दिया था।
विजय रूपाणी ने तत्काल राजभवन जाकर इस्तीफा दिया था, जिसके बाद भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया गया।
भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में भाजपा ने 2022 के विधानसभा चुनावों में 156 सीटें जीतकर ऐतिहासिक प्रदर्शन किया था।
🔹 मंत्रिमंडल विस्तार से भाजपा का मकसद
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा का यह मंत्रिमंडल विस्तार केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि राजनीतिक संतुलन साधने की रणनीति है।
सौराष्ट्र, आदिवासी और उत्तर गुजरात क्षेत्र के नेताओं को शामिल कर पार्टी 2027 के चुनावों से पहले संगठन को और मजबूती देना चाहती है।
इसके साथ ही महिला प्रतिनिधित्व बढ़ाने और युवा विधायकों को मौका देने की भी संभावना जताई जा रही है।
गुजरात में भाजपा लगातार आठ बार सत्ता में रह चुकी है, और पार्टी चाहती है कि यह विजय सिलसिला भविष्य में भी जारी रहे। इसीलिए यह विस्तार आने वाले वर्षों की राजनीतिक रणनीति का अहम हिस्सा माना जा रहा है।
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