नई दिल्ली। त्योहारों के मौसम से पहले उपभोक्ताओं के लिए खुशखबरी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को घोषणा की कि 22 सितंबर से 375 वस्तुओं और सेवाओं पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) दरों में कटौती की जाएगी। इस कदम का उद्देश्य सीधे तौर पर आम आदमी, किसानों और छोटे कारोबारियों तक राहत पहुंचाना है। वित्त मंत्री ने स्पष्ट कहा कि कंपनियों को जीएसटी दरों में कटौती का पूरा लाभ ग्राहकों तक पहुंचाना अनिवार्य होगा और इसका उल्लंघन करने वाले व्यवसायों के खिलाफ सरकार कड़ी कार्रवाई कर सकती है।
जीएसटी सुधार: आम आदमी के हित में
निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह सुधार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर किए गए हैं और इसका उद्देश्य कर ढांचे को सरल बनाना, महंगाई को नियंत्रित करना और उपभोक्ताओं की जेब पर बोझ कम करना है। उन्होंने बताया कि कई कंपनियां पहले ही कीमतों में कटौती का एलान कर चुकी हैं, और सरकार इस प्रक्रिया पर नजर रख रही है। सांसदों को भी अपने-अपने क्षेत्रों में कीमतों पर निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं।
वित्त मंत्री ने बताया कि इस बार ज्यादातर चीजें कम टैक्स दायरे में लाई गई हैं। अब केवल 13 सामान 'लग्जरी और सिन गुड्स' (जैसे सिगरेट, पान मसाला, तंबाकू) के तहत उच्च कर दर में रहेंगे। इसका मतलब यह है कि आम जनता की रोजमर्रा की जरूरत की चीजों पर टैक्स बोझ कम होगा और उपभोक्ताओं को सीधे तौर पर बचत का लाभ मिलेगा।
कंपनियों को सख्त निर्देश
सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेस एंड कस्टम्स (CBIC) के चेयरमैन संजय कुमार अग्रवाल ने कंपनियों को निर्देश दिए हैं कि वे अपनी बिलिंग और अकाउंटिंग सिस्टम को तुरंत अपडेट करें, ताकि 22 सितंबर से नई दरें प्रभावी हो सकें। अग्रवाल ने साफ कहा कि कंपनियां इस राहत का फायदा अपने पास नहीं रख सकतीं। यदि कोई कंपनी कीमतें घटाने में देरी करती है या ग्राहकों तक लाभ नहीं पहुंचाती है, तो सरकार संबंधित उद्योग संगठनों से बातचीत करके कड़ी कार्रवाई कर सकती है।
विशेष ध्यान बीमा और ऑटो सेक्टर पर रखा गया है। इन सेक्टरों को पिछली बार बड़ी राहत मिली थी, लेकिन सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस राहत का पूरा लाभ ग्राहकों तक पहुंचाना अनिवार्य है। इसका मतलब है कि बीमा प्रीमियम और वाहन खरीद की कीमतों में ग्राहकों को तत्काल फायदा मिलेगा।
अमेरिकी टैरिफ से प्रभावित निर्यातकों के लिए राहत पैकेज
वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि केंद्र सरकार अमेरिकी टैरिफ से प्रभावित निर्यातकों के लिए राहत पैकेज पर काम कर रही है। इस कदम का मकसद भारत के निर्यातकों की प्रतिस्पर्धात्मकता को बनाए रखना और वैश्विक बाजार में उनके उत्पादों को सस्ती कीमत पर उपलब्ध कराना है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे छोटे और मध्यम उद्यमों को भी फायदा होगा, जो अमेरिका सहित अन्य देशों को सामान भेजते हैं।
उपभोक्ताओं को होगा लाभ
विशेषज्ञों का मानना है कि इस जीएसटी कटौती का असर सीधे तौर पर उपभोक्ताओं की जेब पर दिखाई देगा। रोजमर्रा की चीजें जैसे कपड़े, जूते, घरेलू सामान, और कुछ इलेक्ट्रॉनिक उपकरण अब कम टैक्स स्लैब में आएंगे। इससे त्योहारों के मौसम में खरीदारी में वृद्धि होने की संभावना है।
अधिकारियों ने बताया कि सरकार कीमतों पर नजर रखेगी और यदि कोई व्यवसाय नियमों का पालन नहीं करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि जीएसटी कटौती का लाभ सीधे तौर पर उपभोक्ताओं तक पहुंचे।
व्यापारियों और उद्योगों की प्रतिक्रिया
वाणिज्य और उद्योग संगठनों ने इस कदम का स्वागत किया है। उनका कहना है कि यह सुधार बाजार में पारदर्शिता लाएगा और महंगाई को नियंत्रित करने में मदद करेगा। हालांकि, कुछ व्यापारियों ने चिंता जताई कि नई बिलिंग प्रणाली को लागू करने में उन्हें तकनीकी और प्रशासनिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम न केवल घरेलू बाजार के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धा क्षमता को भी बढ़ाएगा। निर्यातकों को राहत देने के साथ-साथ घरेलू उपभोक्ताओं के लिए खरीदारी सस्ती होगी, जिससे आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने की उम्मीद है।
/swadeshjyoti/media/agency_attachments/2025/11/09/2025-11-09t071157234z-logo-640-swadesh-jyoti-1-2025-11-09-12-41-56.png)
/swadeshjyoti/media/agency_attachments/2025/11/09/2025-11-09t071151025z-logo-640-swadesh-jyoti-1-2025-11-09-12-41-50.png)
/swadeshjyoti/media/post_attachments/wp-content/uploads/2025/09/nirmala.jpg)