विशाखापट्टनम में बनेगा एशिया का सबसे बड़ा डेटा सेंटर, गूगल करेगा 50 हजार करोड़ का निवेश
विशेष संवाददाता, विशाखापट्टनम।
भारत डिजिटल बुनियादी ढांचे की दिशा में एक बड़ी छलांग लगाने जा रहा है। विश्व की अग्रणी तकनीकी कंपनी गूगल ने आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में एशिया का सबसे बड़ा डेटा सेंटर बनाने का निर्णय लिया है। यह डेटा सेंटर 1 गीगावॉट क्षमता का होगा, जो कि वर्तमान में देश भर में संचालित सभी डेटा सेंटर्स की कुल संयुक्त क्षमता (1.4 गीगावॉट) के लगभग बराबर है।
यह परियोजना 50 हजार करोड़ रुपये के भारी-भरकम निवेश के साथ स्थापित की जाएगी। खास बात यह है कि इस निवेश में से 16 हजार करोड़ रुपये केवल नवीकरणीय ऊर्जा (रिन्युएबल एनर्जी) के लिए निर्धारित किए गए हैं, जिससे यह डेटा सेंटर पूरी तरह हरित ऊर्जा से संचालित होगा। इस तरह गूगल भारत में न केवल तकनीकी आधार मजबूत करेगा, बल्कि पर्यावरणीय जिम्मेदारी भी निभाएगा।
गूगल का दीर्घकालिक दृष्टिकोण: वैश्विक निवेश का हिस्सा
अप्रैल 2025 में गूगल की मूल कंपनी अल्फाबेट ने ऐलान किया था कि वह वैश्विक स्तर पर अपने डेटा सेंटर्स की क्षमता बढ़ाने के लिए 6.25 लाख करोड़ रुपये का निवेश करेगी। विशाखापट्टनम की यह परियोजना उसी रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य है तेजी से बढ़ रही डेटा मांगों को पूरा करना और एशिया में अपनी डिजिटल पकड़ मजबूत करना।

राज्य सरकार की बड़ी उपलब्धि: हाई-स्पीड केबल नेटवर्क भी होगा
आंध्र प्रदेश के आईटी मंत्री नारा लोकेश ने बताया कि डेटा सेंटर के साथ ही विशाखापट्टनम में तीन अंतरराष्ट्रीय केबल लैंडिंग स्टेशन भी स्थापित किए जाएंगे। इसका उद्देश्य देश और विदेश के बीच तेज और निर्बाध डेटा ट्रांसफर सुनिश्चित करना है। मंत्री के अनुसार, राज्य में पहले ही 1.6 गीगावॉट क्षमता के डेटा सेंटर निवेश को अंतिम मंजूरी दी जा चुकी है, और अगले 5 वर्षों में 6 गीगावॉट क्षमता तक पहुंचने का लक्ष्य है।
डेटा सेंटर क्या होता है और क्यों जरूरी है?
डेटा सेंटर असल में उन विशाल भवनों या परिसरों को कहा जाता है, जहां हजारों सर्वर एक साथ काम करते हैं। यही सर्वर हमारी सोशल मीडिया एक्टिविटी, ऑनलाइन बैंकिंग, ई-कॉमर्स, स्वास्थ्य सेवाओं, और अन्य डिजिटल सेवाओं के पीछे का आधार बनते हैं।
सोचिए, जब आप गूगल सर्च करते हैं, यूट्यूब वीडियो देखते हैं या इंस्टाग्राम पर स्क्रॉल करते हैं, तो सारी जानकारी इन्हीं डेटा सेंटर्स के माध्यम से आपके डिवाइस तक पहुंचती है। ये सेंटर एक कंपनी के आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर का केंद्र होते हैं।

डेटा स्टोरेज की तीन परतें: तकनीक की बारीक समझ
गूगल जैसे बड़े प्लेटफॉर्म अपने डेटा को तीन अलग-अलग लेयर (परतों) में संभालते हैं:
- मैनेजमेंट लेयर: यह परत यूजर के डेटा की निगरानी और नियंत्रण करती है। यहीं पर तय होता है कि कौन सी जानकारी कहां और कैसे भेजी जाएगी।
- वर्चुअल लेयर: इसमें यूजर के प्रश्नों का विश्लेषण होता है और SQL जैसी तकनीकों से उत्तर तैयार किया जाता है।
- फिजिकल लेयर: यह सर्वर, हार्ड ड्राइव, नेटवर्किंग हार्डवेयर जैसे भौतिक संसाधनों से संबंधित होती है, जहां असल में डेटा संग्रहीत होता है।
सुरक्षा सबसे बड़ी प्राथमिकता: डेटा सेंटर को कैसे सुरक्षित रखा जाता है?
डिजिटल दुनिया में साइबर हमले सबसे बड़ी चुनौती हैं। इसलिए आधुनिक डेटा सेंटरों को अब इस तरह डिज़ाइन किया जा रहा है कि वे बिना ज़रूरत के किसी भी हार्डवेयर/सॉफ्टवेयर को शामिल न करें, ताकि हमलों की संभावना न्यूनतम हो।
इसके अतिरिक्त:

भारत को क्या मिलेगा इस परियोजना से?
- हजारों नई नौकरियां, विशेषकर आईटी और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग क्षेत्र में।
- डिजिटल बुनियादी ढांचे का विकास, जिससे छोटे-बड़े उद्यमों को डिजिटल सेवाओं में सहूलियत होगी।
- हरित ऊर्जा को बढ़ावा, जिससे देश की ऊर्जा नीति को मजबूती मिलेगी।
- भारत को डेटा संप्रभुता (डेटा सोवरेनिटी) में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा कदम।
गूगल की यह परियोजना केवल एक तकनीकी निवेश नहीं, बल्कि भारत के डिजिटल भविष्य की नींव है। विशाखापट्टनम में बनने वाला यह एशिया का सबसे बड़ा डेटा सेंटर न केवल तकनीक का चमत्कार होगा, बल्कि पर्यावरण के प्रति संवेदनशील, ऊर्जा-कुशल और सुरक्षा की दृष्टि से अति आधुनिक सुविधा भी होगी।
यह कदम भारत को डिजिटल महाशक्ति बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ सिद्ध होगा।
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