October 24, 2025 6:34 PM

एक हफ्ते में सोने की कीमत में 8,455 रुपए की गिरावट, 1,22,419 रुपए प्रति 10 ग्राम पर पहुंचा भाव

सोने के दाम में 2 जून को उछाल, चांदी की कीमतों में थोड़ी गिरावट

एक हफ्ते में सोना 8,455 रुपए सस्ता, चांदी में भी 3,700 रुपए की गिरावट

फेस्टिव सीजन खत्म होते ही बाजार में आई ठंडक, चांदी भी 3,700 रुपए टूटी

नई दिल्ली, 24 अक्टूबर। त्योहारी सीजन के बाद अब देश के सोना-चांदी बाजार में तेज गिरावट देखी जा रही है। एक सप्ताह के भीतर सोने की कीमत में 8,455 रुपए प्रति 10 ग्राम की कमी आई है। 17 अक्टूबर को सोना अपने अब तक के सर्वाधिक स्तर 1,29,584 रुपए प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया था, लेकिन अब यह गिरकर 1,22,419 रुपए प्रति 10 ग्राम पर आ गया है।

इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) के आंकड़ों के अनुसार, 24 अक्टूबर को सोना 935 रुपए सस्ता हुआ। इससे पहले 23 अक्टूबर को इसका भाव 1,23,354 रुपए प्रति 10 ग्राम था। वहीं, चांदी में भी बड़ी गिरावट दर्ज की गई है — यह अब 1,47,750 रुपए प्रति किलोग्राम पर बिक रही है, जो एक दिन पहले 1,51,450 रुपए प्रति किलो थी।

चांदी अपने उच्चतम स्तर से अब तक 30,350 रुपए टूट चुकी है।


IBJA के रेट्स और शहरों के रेट्स में फर्क क्यों?

गौरतलब है कि IBJA द्वारा जारी गोल्ड रेट्स में 3% जीएसटी, मेकिंग चार्ज और ज्वेलर्स का मार्जिन शामिल नहीं होता। यही वजह है कि इन रेट्स में शहरों के रेट्स से कुछ अंतर रहता है।
RBI इन्हीं दरों के आधार पर सोवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) के रेट तय करता है और कई बैंक इन्हीं से गोल्ड लोन की दरें निर्धारित करते हैं।


देश के प्रमुख ज्वेलर्स पर 22 कैरेट सोने के रेट (24 अक्टूबर)

  • तनिष्क: ₹1,15,400 प्रति 10 ग्राम
  • कल्याण ज्वेलर्स: ₹1,14,000 प्रति 10 ग्राम
  • मालाबार गोल्ड: ₹1,14,000 प्रति 10 ग्राम
  • कार्टलेन: ₹1,16,590 प्रति 10 ग्राम
  • भीमा ज्वेलर्स: ₹1,13,180 प्रति 10 ग्राम

ये दरें क्षेत्रीय करों और मेकिंग चार्ज के हिसाब से थोड़ी अलग-अलग हो सकती हैं।


सोना-चांदी के दाम गिरने के 3 प्रमुख कारण

1. फेस्टिव सीजन खत्म होने से मांग घटी

दीवाली और धनतेरस जैसे पर्वों के बाद भारत में पारंपरिक रूप से सोने-चांदी की मांग घट जाती है। लोग त्योहारों और शादियों के दौरान की गई भारी खरीद के बाद कुछ समय तक बाजार से दूरी बना लेते हैं।

2. वैश्विक तनाव में कमी

सोना और चांदी को दुनिया भर में ‘सेफ हेवन’ यानी सुरक्षित निवेश माना जाता है। जब वैश्विक राजनीतिक या आर्थिक तनाव बढ़ता है, तो निवेशक सोने की ओर रुख करते हैं। हाल के दिनों में मध्य पूर्व और यूरोप के तनावों में कमी आई है, जिससे निवेशकों ने सोने से दूरी बनाई और कीमतों में गिरावट दर्ज हुई।

3. मुनाफावसूली और ओवरबॉट सिग्नल

पिछले कुछ हफ्तों में तेजी से उछाल के बाद अब निवेशक प्रॉफिट बुकिंग यानी मुनाफावसूली कर रहे हैं।
टेक्निकल संकेतक जैसे रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI) बता रहे थे कि सोना ‘ओवरबॉट जोन’ में पहुंच चुका था। ऐसे में डीलर्स और ट्रेडर्स ने बड़ी बिकवाली शुरू कर दी, जिससे सोने और चांदी दोनों में गिरावट देखी गई।

gold-silver-price-25-september-2025
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सोने-चांदी के वार्षिक दामों की स्थिति — अब भी सालाना बढ़त कायम

हालांकि पिछले एक सप्ताह में कीमतों में गिरावट आई है, लेकिन पूरा साल अब भी सोने और चांदी के लिए लाभकारी रहा है।

  • सोना: इस साल अब तक ₹46,257 रुपए प्रति 10 ग्राम महंगा हुआ है।
  • 31 दिसंबर 2024 को 24 कैरेट सोने का भाव ₹76,162 था,
  • जो अब ₹1,22,419 रुपए प्रति 10 ग्राम पर पहुंच चुका है।
  • चांदी: इस साल ₹61,733 रुपए प्रति किलोग्राम महंगी हुई है।
  • 31 दिसंबर 2024 को चांदी की कीमत ₹86,017 प्रति किलो थी,
  • जो अब ₹1,47,750 प्रति किलो हो गई है।

यानी, मौजूदा गिरावट के बावजूद दोनों की वार्षिक बढ़त मजबूत बनी हुई है।


सोना खरीदते समय रखें ये दो अहम सावधानियां

1. सर्टिफाइड और हॉलमार्क्ड गोल्ड ही खरीदें

हमेशा ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (BIS) का हॉलमार्क लगा सोना ही खरीदें।
हर ज्वेलरी पर एक 6-अंकीय अल्फान्यूमेरिक कोड (जैसे AZ4524) लिखा होता है, जिससे उसकी शुद्धता प्रमाणित होती है।
यह बताता है कि सोना 24 कैरेट, 22 कैरेट या 18 कैरेट का है।

2. कीमत को क्रॉस-चेक करें

सोना खरीदने से पहले वजन और शुद्धता के आधार पर दरों की तुलना करें।
इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन की वेबसाइट या विश्वसनीय ऑनलाइन स्रोतों से दैनिक दरें देखें।
ध्यान रखें कि 24 कैरेट, 22 कैरेट और 18 कैरेट सोने के दामों में अंतर होता है, इसलिए खरीदते समय सही कैरेट का चयन जरूरी है।


विशेषज्ञों का अनुमान — नवंबर में बाजार स्थिर रह सकता है

विश्लेषकों का कहना है कि नवंबर के पहले सप्ताह तक सोने और चांदी के दामों में थोड़ी और गिरावट संभव है, जिसके बाद बाजार स्थिर होने की संभावना है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिकी डॉलर की मजबूती और कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव का असर कीमती धातुओं पर भी दिख सकता है।


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