नई दिल्ली। देश के बहुचर्चित 2002 गोधरा ट्रेन अग्निकांड मामले में एक बार फिर कानूनी बहस तेज होने वाली है। सर्वोच्च न्यायालय ने इस संवेदनशील मामले की सुनवाई 6 और 7 मई को करने का निर्णय लिया है। जस्टिस जे.के. माहेश्वरी की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले में कई याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।
इस केस में एक दोषी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े को कोर्ट ने निर्देश दिया है कि वे 3 मई तक विस्तृत हलफनामा दाखिल करें। गौरतलब है कि यह मामला न केवल अपराध की गंभीरता बल्कि इसके बाद देशभर में उपजे तनाव और हिंसा की वजह से भी संवेदनशील बना रहा है।
क्या है मामला?
27 फरवरी 2002 को अयोध्या से लौट रही साबरमती एक्सप्रेस की एस-6 बोगी में गोधरा स्टेशन के पास आग लगा दी गई थी, जिसमें 58 लोग, जिनमें अधिकांश कारसेवक थे, जिंदा जल गए थे। इस दिल दहला देने वाली घटना के बाद गुजरात में भीषण सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे।
अदालतों में अब तक की स्थिति
2011 में ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में 31 लोगों को दोषी ठहराया था। इनमें 11 को फांसी और 20 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी, जबकि 63 अन्य को बरी कर दिया गया था।
बाद में 2017 में गुजरात हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया, हालांकि बाकी 20 दोषियों की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा गया। अब गुजरात सरकार सुप्रीम कोर्ट में इन 11 दोषियों के लिए पुनः फांसी की सज़ा की मांग कर रही है।
इस प्रकरण में जहां राज्य सरकार फांसी की सजा की बहाली की मांग कर रही है, वहीं दोषियों की ओर से सज़ा को चुनौती दी गई है। कोर्ट का यह फैसला न केवल कानूनी दृष्टिकोण से अहम होगा, बल्कि देश के सामाजिक ताने-बाने और न्याय व्यवस्था की दिशा पर भी प्रभाव डालेगा।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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