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June 2, 2025 2:45 PM

गाजा में खाने के लिए मची भगदड़, कई की मौत, दर्जनों घायल – इजरायली फायरिंग और अमेरिकी निगरानी पर उठे सवाल

गाजा में राहत वितरण के दौरान मची भगदड़ में कई की मौत

राफा।
गाजा के राफा क्षेत्र में मंगलवार को राहत सामग्री के वितरण के दौरान हालात बेकाबू हो गए। खाना लेने पहुंचे हजारों फिलिस्तीनियों के बीच मची भगदड़ में कई लोगों की मौत हो गई, जबकि कम से कम 46 लोग घायल और 7 अब भी लापता बताए जा रहे हैं।

अल-जज़ीरा की रिपोर्ट के अनुसार, इस भगदड़ की शुरुआत तब हुई जब इजरायली सैनिकों ने कथित तौर पर चेतावनी स्वरूप हवाई फायरिंग की। हालांकि इजरायली सेना का कहना है कि गोलियां वितरण स्थल के बाहर चलाई गई थीं, लेकिन इसके बाद मची अफरातफरी ने एक मानवीय त्रासदी का रूप ले लिया।

Israeli tanks enter Israel from Gaza, in Israel, March 18, 2025. REUTERS/Amir Cohen

जानबूझकर नरसंहार का आरोप

गाजा के सरकारी मीडिया कार्यालय ने घटना को “जानबूझकर किया गया नरसंहार और युद्ध अपराध” बताया है। उनका कहना है कि यह सिर्फ एक दुर्घटना नहीं बल्कि एक सुनियोजित कृत्य था, जिसमें निहत्थे और भूखे लोगों को निशाना बनाया गया।

यूएन नहीं, अमेरिका की मदद से हो रहा वितरण

गाजा में इस समय जो राहत सामग्री वितरित की जा रही है, वह संयुक्त राष्ट्र की बजाय अमेरिकी कंपनियों के जरिए की जा रही है। अमेरिका की मदद से इजराइल गाजा में नए वितरण केंद्र बना रहा है, जो इजरायली सेना की निगरानी में काम करेंगे।

इन केंद्रों के संचालन का जिम्मा अमेरिकी एजेंसियों को सौंपा गया है और गाजा ह्यूमैनिटेरियन फाउंडेशन (GHF) के ज़रिए मदद दी जा रही है। हालांकि इस नई व्यवस्था की कई अंतरराष्ट्रीय सहायता एजेंसियों ने आलोचना की है।

उनका कहना है कि अमेरिकी एजेंसियों और इजरायली सेना की निगरानी में राहत वितरण कराना न केवल पक्षपातपूर्ण है, बल्कि इससे मानवीय सहायता की निष्पक्षता और सुरक्षा पर भी सवाल उठते हैं।

अंतरराष्ट्रीय निंदा और चिंता

घटना के बाद संयुक्त राष्ट्र समेत कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने चिंता जताई है और घटना की स्वतंत्र जांच की मांग की है। यूएन ने इस पूरे घटनाक्रम की निंदा की है और कहा है कि राहत वितरण के दौरान नागरिकों की सुरक्षा सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।

गौरतलब है कि गाजा में फिलहाल भयंकर खाद्य संकट है और राफा उन क्षेत्रों में से एक है जहां लाखों लोग विस्थापन और भुखमरी की कगार पर हैं।

इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या युद्धक्षेत्र में सहायता वितरण के लिए सैन्य निगरानी वास्तव में सुरक्षित समाधान है, या यह आम नागरिकों के लिए और अधिक संकट का कारण बन रही है।


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