October 16, 2025 1:14 AM

अमेरिका के गाजा शांति प्रस्ताव पर हमास की सहमति, ट्रंप ने इजराइल को कार्रवाई रोकने का दिया आदेश

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हमास ने स्वीकारा गाजा शांति प्रस्ताव, ट्रंप ने इजराइल को बमबारी रोकने का दिया आदेश

वॉशिंगटन, 4 अक्टूबर।
मध्य पूर्व में लंबे समय से चले आ रहे खूनी संघर्ष को खत्म करने की दिशा में एक बड़ा मोड़ उस समय आया जब फिलिस्तीनी उग्रवादी संगठन हमास ने अमेरिका के गाजा शांति प्रस्ताव पर अपनी सहमति जता दी। इस समझौते के तहत हमास ने जीवित या मृत, सभी 48 इजरायली बंधकों को रिहा करने का ऐलान किया है। यह निर्णय अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा तय डेडलाइन के कुछ ही घंटे बाद आया। इसके तुरंत बाद ट्रंप ने इजराइल सरकार को आदेश दिया कि गाजा में जारी हवाई और जमीनी सैन्य कार्रवाई को तत्काल रोक दिया जाए।

ट्रंप का दबाव और हमास की सहमति

डोनाल्ड ट्रंप ने हमास को रविवार शाम 6 बजे तक का समय दिया था कि वह शांति योजना को स्वीकार कर ले और बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करे। ट्रंप ने चेतावनी दी थी कि यदि हमास इस प्रस्ताव पर सहमति नहीं जताता है, तो इसके गंभीर और घातक परिणाम होंगे। इस दबाव के चलते हमास ने वार्ता के लिए तैयार होने का संकेत दिया और बंधकों की रिहाई की घोषणा कर दी।

ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “ट्रुथ सोशल” पर लिखा कि “हमास के इस कदम से संकेत मिलता है कि वे स्थायी शांति की दिशा में आगे बढ़ने को तैयार हैं। इजराइल को भी तत्काल बमबारी रोकनी चाहिए ताकि बंधकों की सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित हो सके।”

शांति वार्ता में शामिल होने की तैयारी

हमास ने कहा है कि वह अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थों के जरिए तत्काल शांति वार्ता में शामिल होने को तैयार है। साथ ही, उसने पहली बार यह संकेत भी दिया है कि वह गाजा प्रशासन को स्वतंत्र फिलिस्तीनी तकनीकी विशेषज्ञों की संस्था को सौंप देगा। यह बयान इसलिए अहम माना जा रहा है क्योंकि अब तक गाजा का प्रशासन पूरी तरह हमास के हाथों में था।

बंधकों की रिहाई और कैदियों का आदान-प्रदान

इजरायली अखबार द टाइम्स ऑफ इजराइल के अनुसार, योजना के तहत हमास 72 घंटों के भीतर सभी 48 बंधकों को रिहा करेगा। इनमें लगभग 20 बंधक जीवित होने की संभावना है। बदले में इजराइल 2,000 से अधिक फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा करेगा, जिनमें आजीवन कारावास की सजा काट रहे 250 कैदी भी शामिल हैं। इसके अलावा, गाजा में मारे गए लोगों के शव भी परिवारों को सौंपे जाएंगे। इसके बाद इजराइल गाजा से अपनी सेना को चरणबद्ध तरीके से हटाना शुरू करेगा।

अरब देशों का समर्थन

30 सितंबर को मिस्र, जॉर्डन, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, तुर्की, इंडोनेशिया और पाकिस्तान सहित आठ देशों ने संयुक्त बयान जारी कर ट्रंप की गाजा शांति योजना का समर्थन किया था। यही कारण है कि इस समझौते को मध्य पूर्व में स्थायी शांति की दिशा में ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।

गाजा शांति योजना के प्रमुख बिंदु

ट्रंप द्वारा पेश किए गए बीस सूत्रीय गाजा शांति प्रस्ताव में कई महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल हैं। इनमें मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं –

  • इजराइल गाजा में तत्काल सैन्य कार्रवाई रोककर चरणबद्ध तरीके से सेना को हटाएगा।
  • हमास 72 घंटे के भीतर सभी बंधकों को रिहा करेगा।
  • इजराइल 250 आजीवन कारावास भुगत रहे कैदियों सहित कुल 2000 से अधिक फिलिस्तीनी कैदियों को छोड़ेगा।
  • हिरासत में लिए गए 1700 गाजावासियों को भी रिहा किया जाएगा।
  • जो हमास सदस्य शांतिपूर्ण जीवन जीने की शपथ लेंगे, उन्हें माफी दी जाएगी।
  • गाजा में रोजाना कम से कम 600 ट्रक राहत सामग्री पहुंचाई जाएगी।
  • हमास को गाजा की शासन व्यवस्था में कोई भूमिका नहीं मिलेगी, उसकी सभी सुरंगें और सैन्य ढांचे नष्ट किए जाएंगे।
  • गाजा का प्रशासन फिलिस्तीनी तकनीकी विशेषज्ञों को सौंपा जाएगा और इसकी निगरानी अंतरराष्ट्रीय समिति करेगी।
  • गाजा को आतंक मुक्त क्षेत्र घोषित कर पुनर्निर्माण और विकास कार्य तेजी से शुरू किए जाएंगे।
  • इजराइल न तो गाजा का विलय करेगा और न ही स्थायी कब्जा करेगा।
  • अमेरिका इजराइल-फिलिस्तीन विवाद के राजनीतिक समाधान की दिशा में आगे बातचीत कराएगा।

हालिया संघर्ष की पृष्ठभूमि

गौरतलब है कि अक्टूबर 2023 में हमास ने इजराइल पर बड़े पैमाने पर आतंकी हमला किया था। इसके जवाब में इजराइल ने गाजा पट्टी में सैन्य कार्रवाई शुरू कर दी थी। बीते एक साल से अधिक समय में लगातार बमबारी और जमीनी हमलों ने गाजा को खंडहर में बदल दिया है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, गाजा की करीब 20 लाख आबादी मानवीय संकट का सामना कर रही है।

आगे की राह

अब जबकि हमास ने शांति प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है, अंतरराष्ट्रीय समुदाय उम्मीद जता रहा है कि यह कदम स्थायी समाधान की दिशा में एक नई शुरुआत साबित होगा। इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी अमेरिका दौरे के दौरान इस योजना पर सहमति जताई थी। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह शांति समझौता लागू होता है तो दशकों से चले आ रहे इजराइल-फिलिस्तीन विवाद को सुलझाने की दिशा में यह सबसे अहम पड़ाव होगा।


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