- खाने में जायका बढ़ाने वाले लहसुन का आयुर्वेद में खास स्थान है
चमकीले और सफेद छिलकों वाला लहसुन जितना दिखने में खूबसूरत होता है, उसमें प्रकृति ने कूट-कूटकर कई गुण भी भरे हैं। खाने में जायका बढ़ाने वाले लहसुन का आयुर्वेद में खास स्थान है। अस्थमा, लकवा समेत यह कई रोगों की रोकथाम और उपचार में तो फायदेमंद होता ही है, बल्कि लहसुन खाने से शरीर की कमजोरी भी दूर होती है। लहसुन का वैज्ञानिक नाम एलियम सैटिवम एल है। पुरातन काल से ही इसका इस्तेमाल औषधीय प्रयोजन के लिए किया जा रहा है। खासियत इसकी गंध होती है, जो स्वाद में तीखा होता है और खाने में पकाने से काफी हद तक सॉफ्ट हो जाता है। इसे कई रोगों की रोकथाम और उपचार में अत्यंत प्रभावी माना जाता है। आयुर्वेद और रसोई दोनों के नजरिए से लहसुन एक बहुत ही महत्वपूर्ण मसाला (सब्जी भी) है। बताया जाता है कि लहसुन को पीसने से ऐलिसिन नामक यौगिक प्राप्त होता है, जो प्रतिजैविक विशेषताओं से भरा होता है। इसके अलावा इसमें प्रोटीन, एंजाइम और विटामिन बी, सैपोनिन, फ्लैवोनॉइड जैसे पदार्थ पाए जाते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि लहसुन खाने से शरीर में ताकत का इजाफा होता है, जो प्राकृतिक एंटीबायोटिक की तरह काम करता है। इसका सेवन करने से लकवा, गठिया (मुंह का लकवा), सायटिका, जोड़ का दर्द, हाथ-पैरों में निष्क्रियता या सननता, झुकाव, दर्द, गर्दन और पीठ का दर्द, अस्थमा, खांसी जैसी बीमारियों में आराम मिलता है। लहसुन का इस्तेमाल भोजन में किया जाता है, जिससे न केवल खाने का स्वाद बढ़ता है, बल्कि यह शरीर को भी लाभ पहुंचाता है। कहते हैं कि लहसुन का सेवन करने से रक्त संचार और हृदय को फायदा पहुंचता है और लीवर तथा ब्लेडर को सुचारू रूप से काम करने में मदद मिलती है।
लहसुन के सेवन से भूख भी बढ़ती है और पाचन तंत्र पूरी तरह ठीक रहता है। यही नहीं, मधुमेह, टीयूएफएस, डिप्रेशन और कैंसर जैसी बीमारियों में भी लहसुन कारगर माना गया है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक (मेटा एनालिसिस पर आधारित) लहसुन खाने से उपवास के समय रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) कम हो सकती है। ये रिपोर्ट 2015 में छपी थी। जो अलग-अलग अध्ययनों पर आधारित थी। जिसमें साबित हुआ कि लहसुन का सेवन करने से शुगर स्तर में सुधार हो सकता है, जो डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद हो सकता है।
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