
महाकुंभ में सनातन धर्म विरोधी नैरेटिव हुआ ध्वस्त
महाकुंभनगर, ब्यूरो, प्रयागराज: महाकुंभ 2025 के दौरान अब तक 57 करोड़ से अधिक श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद गंगा जल की शुद्धता में कोई गिरावट नहीं आई है। देश के शीर्ष वैज्ञानिकों के शोध में यह सिद्ध हो चुका है कि गंगा जल न केवल स्नान योग्य है, बल्कि यह अल्कलाइन वाटर की तरह अत्यंत शुद्ध और स्वास्थ्यवर्धक भी है।
देश के प्रसिद्ध वैज्ञानिक पद्मश्री डॉ. अजय कुमार सोनकर, जिन्होंने मिसाइल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के साथ भी वैज्ञानिक विमर्श किया है, ने इस तथ्य को प्रयोगशाला में परीक्षण करके प्रमाणित किया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि जो कोई भी गंगा जल की शुद्धता पर सवाल उठाता है, वह खुद उनके साथ प्रयोगशाला में आकर गंगा जल की जांच कर सकता है।
गंगा जल की शुद्धता पर वैज्ञानिक प्रमाण
डॉ. सोनकर ने संगम और अरैल सहित पांच प्रमुख घाटों से गंगा जल के नमूने इकट्ठा किए और लगातार तीन महीने तक प्रयोगशाला में शोध किया। इस दौरान यह साबित हुआ कि:
- गंगा जल में किसी भी प्रकार के हानिकारक बैक्टीरिया की वृद्धि नहीं हुई।
- 57 करोड़ श्रद्धालुओं के स्नान के बाद भी जल में कोई दूषित तत्व नहीं मिला।
- गंगा जल का pH स्तर 8.4 से 8.6 के बीच पाया गया, जो इसे सुरक्षित और स्वच्छ बनाता है।
- जल में 1100 प्रकार के बैक्टीरियोफेज मौजूद हैं, जो किसी भी हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट कर देते हैं।
डॉ. सोनकर का यह शोध उन लोगों को करारा जवाब है, जो गंगा जल को प्रदूषित और स्नान के लिए असुरक्षित बताते रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स में फैलाई गई भ्रामक जानकारी
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और संगठनों ने गंगा जल को आचमन और स्नान के लिए अयोग्य बताया था, लेकिन वैज्ञानिक शोध ने इस दावे को पूरी तरह झूठा साबित कर दिया। डॉ. सोनकर के अनुसार,
- गंगा जल की अम्लीयता (pH) सामान्य से बेहतर है।
- इसमें कोई दुर्गंध या हानिकारक जीवाणु नहीं पाए गए।
- प्रयोगशाला में 14 घंटों तक इन्क्यूबेशन तापमान पर रखने के बावजूद किसी भी हानिकारक बैक्टीरिया की वृद्धि नहीं हुई।
गंगा जल स्वास्थ्य के लिए लाभकारी
वैज्ञानिक परीक्षणों से यह भी सिद्ध हुआ कि गंगा जल केवल स्नान के लिए ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। शोध में यह सामने आया कि गंगा जल के संपर्क में आने से त्वचा संबंधी रोग नहीं होते, बल्कि यह कई संक्रामक बीमारियों से बचाने में भी सहायक है।
डॉ. सोनकर ने सभी को खुली चुनौती दी है कि जो भी गंगा जल की शुद्धता पर संदेह करता है, वह स्वयं उनके साथ जाकर घाटों से जल के नमूने एकत्र कर सकता है और प्रयोगशाला में उसकी शुद्धता की पुष्टि कर सकता है।
महाकुंभ के दौरान गंगा स्नान को लेकर उठाए गए सभी सवालों का जवाब वैज्ञानिक परीक्षणों ने दे दिया है। 57 करोड़ श्रद्धालुओं के स्नान के बाद भी गंगा जल अत्यंत स्वच्छ, सुरक्षित और स्वास्थ्यवर्धक है। इस शोध से यह स्पष्ट हो गया कि गंगा जल की प्राकृतिक शुद्धिकरण क्षमता अद्भुत है, और इस पर लगाए गए आरोप पूरी तरह बेबुनियाद हैं।