गणेश चतुर्थी 2025: गणपति स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान श्रीगणेश का जन्मोत्सव गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष गणेश चतुर्थी का पावन पर्व 27 अगस्त, बुधवार को मनाया जाएगा। इस दिन श्रद्धालु पूरे हर्षोल्लास के साथ गणपति बप्पा को अपने घर और पांडालों में स्थापित करते हैं और उनकी विधिवत पूजा-अर्चना कर सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं। यह उत्सव गणेश चतुर्थी से प्रारंभ होकर अनंत चतुर्दशी तक चलता है, जब भगवान गणेश का विसर्जन किया जाता है।

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गणेश चतुर्थी का महत्व

भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, मंगलकर्ता और बुद्धि-विवेक के देवता माना जाता है। मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन विधि-विधान से गणपति की स्थापना और पूजन करने से घर-परिवार की सभी बाधाएँ दूर होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।


गणेश स्थापना के शुभ मुहूर्त (27 अगस्त 2025)

गणपति स्थापना के लिए पंचांग में बताए गए विशेष मुहूर्त इस प्रकार हैं:

  • प्रातः शुभ मुहूर्त – सुबह 10:45 से
  • वृश्चिक लग्न मुहूर्त – दिन 12:08 से
  • कुंभ लग्न मुहूर्त – शाम 5:14 से
  • लाभ मुहूर्त – शाम 5:12 से
  • शुभ मुहूर्त – रात्रि 8:12 से
  • अमृत मुहूर्त – रात 9:35 से

इन मुहूर्तों में से किसी में भी गणपति बप्पा की स्थापना करने से पूजा का फल श्रेष्ठ और कल्याणकारी माना जाता है।


गणपति स्थापना और पूजन विधि

गणेश चतुर्थी पर भगवान गणपति की स्थापना घर अथवा पांडाल में वैदिक विधि से की जाती है। पूजन क्रम इस प्रकार है –

  1. ध्यान और आवाहन – गणेश जी का ध्यान कर उनका आवाहन करें।
  2. स्थापन – कलश और मूर्ति की स्थापना करें।
  3. पाद्य, अर्घ और स्नान – मूर्ति को पाद्य और अर्घ अर्पित करें तथा पंचामृत स्नान कराएँ।
  4. वस्त्र और आभूषण – गणपति को वस्त्र और यज्ञोपवीत पहनाएँ।
  5. सुगंध और पुष्प अर्पण – चंदन, अक्षत, पुष्पमाला, दूर्वा, सिंदूर, गुलाल अर्पित करें।
  6. नैवेद्य और प्रसाद – मोदक, लड्डू, नारियल और फल अर्पित करें।
  7. आरती और पुष्पांजलि – आरती गाएँ और पुष्पांजलि अर्पित कर सर्वकल्याण की प्रार्थना करें।

गणेश जी के द्वादश नामों का महत्व

नारद पुराण में वर्णित संकटनाशन गणपति स्तोत्र में भगवान गणेश के बारह नाम बताए गए हैं। इनमें से किसी भी नाम से पूजा करने पर भक्तों की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। ये नाम इस प्रकार हैं –

  1. वक्रतुंड
  2. एकदन्त
  3. कृष्णपिंगाक्ष
  4. गजवक्त्र
  5. लम्बोदर
  6. विकट
  7. विघ्नराज
  8. धूम्रवर्ण
  9. भालचन्द्र
  10. विनायक
  11. गणपति
  12. गजानन


गणपति स्थापना के अवसर पर कई ऐसे शुभ और फलदायक मंत्र बताए गए हैं, जिनके जाप से जीवन में सुख-समृद्धि, बुद्धि और विघ्नों से मुक्ति मिलती है। यहाँ कुछ प्रमुख और सरल मंत्र दिए जा रहे हैं जिन्हें आप गणेश पूजन में शामिल कर सकते हैं –

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1. गणेश बीज मंत्र

"ॐ गं गणपतये नमः"
👉 यह मंत्र सर्वाधिक प्रचलित है। इसके जप से सभी विघ्न दूर होते हैं और कार्यों में सफलता मिलती है।


2. सिद्धि विनायक मंत्र

"ॐ श्री गणेशाय नमः"
👉 यह मंत्र धन, वैभव और समृद्धि की प्राप्ति कराता है।


3. विघ्नहर्ता मंत्र

"वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥"
👉 इस मंत्र के जाप से जीवन के सभी कार्य बिना रुकावट के पूरे होते हैं।


4. लंबोदर स्तुति मंत्र

"ॐ एकदंताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि। तन्नो दंती प्रचोदयात्॥"
👉 यह गणेश गायत्री मंत्र है, जिसके जाप से ज्ञान, बुद्धि और शक्ति की प्राप्ति होती है।


👉 इन मंत्रों का जप गणपति स्थापना या पूजा के समय शुद्ध भाव से 11, 21 या 108 बार किया जाए तो विशेष फलदायी माना जाता है।


मोदक और प्रसाद का महत्व

गणेश जी को मोदक विशेष प्रिय है। पूजा के दौरान मोदक का भोग लगाने से भगवान गणपति अति प्रसन्न होते हैं और भक्त की सभी इच्छाएँ पूरी करते हैं। इसी कारण प्रत्येक गणेशोत्सव में मोदक प्रमुख प्रसाद के रूप में बनाया जाता है।


अनंत चतुर्दशी तक गणेशोत्सव

गणेश चतुर्थी से आरंभ यह पर्व 10 दिनों तक चलता है और अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति विसर्जन के साथ समाप्त होता है। इस दौरान घर-घर और पांडालों में भजन, कीर्तन, आरती और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है।