पूर्व अमेरिकी उपराष्ट्रपति डिक चेनी का 84 वर्ष की आयु में निधन, इराक युद्ध और अमेरिकी राजनीति के सबसे ताकतवर नेताओं में थे शामिल

वॉशिंगटन, 5 नवंबर (हि.स.)। अमेरिका की राजनीति में एक युग का अंत हो गया है। पूर्व उपराष्ट्रपति डिक चेनी का 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। उनके परिवार ने मंगलवार को एक बयान जारी कर बताया कि उनका निधन निमोनिया और हृदय संबंधी बीमारी के कारण हुआ। चेनी 2001 से 2009 तक राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू. बुश के शासनकाल में उपराष्ट्रपति रहे और उन्हें आधुनिक अमेरिकी इतिहास का सबसे ताकतवर उपराष्ट्रपति माना जाता था।

चेनी को दुनिया उस नेता के रूप में याद करती है, जिनकी सलाह पर अमेरिका ने इराक पर हमला किया था। उन्होंने दावा किया था कि इराक के पास “विनाश के हथियार” (Weapons of Mass Destruction) हैं, और यही वह आधार था, जिस पर 2003 में इराक युद्ध शुरू किया गया। बाद में यह दावा झूठा साबित हुआ, लेकिन उस युद्ध ने मध्य पूर्व की राजनीति को दशकों तक प्रभावित किया।

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पांच बार पड़ा दिल का दौरा, फिर भी जिंदा रहने की मिसाल बने

डिक चेनी का पूरा जीवन मानो चिकित्सा विज्ञान के लिए एक चुनौती था। उन्हें 1978 से 2010 के बीच पांच बार दिल के दौरे पड़े। पहली बार मात्र 37 वर्ष की उम्र में उन्हें हृदयाघात हुआ था। आखिरी बार 2010 में अटैक के बाद डॉक्टरों ने उन्हें हार्ट ट्रांसप्लांट कराने की सलाह दी, जो 2012 में सफलतापूर्वक किया गया।

वे 2001 से एक विशेष मशीन पहनते थे जो उनके दिल की धड़कन को नियंत्रित रखती थी। इसे वे ‘विज्ञान का चमत्कार’ कहा करते थे। डॉक्टरों का कहना था कि सामान्यतः इतनी बार हार्ट अटैक झेलने के बाद कोई मरीज जीवित नहीं रहता, लेकिन चेनी ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से चिकित्सा इतिहास में मिसाल कायम की।

कॉलेज से निकाले गए, लेकिन मेहनत से बने वाशिंगटन के शीर्ष नेता

डिक चेनी का पूरा नाम रिचर्ड ब्रूस चेनी था। उनका जन्म 30 जनवरी 1941 को नेब्रास्का में हुआ। बचपन वायोमिंग राज्य में बीता। पढ़ाई के दौरान वे बहुत मेधावी नहीं थे। उन्होंने येल यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया, लेकिन पढ़ाई में कमजोर प्रदर्शन के कारण उन्हें निकाल दिया गया। इसके बाद उन्होंने मेहनत करके यूनिवर्सिटी ऑफ वायोमिंग से राजनीति विज्ञान में बीए और एमए की डिग्री हासिल की।

चेनी ने अपनी स्कूल की प्रेमिका लिन विन्सेंट से विवाह किया, जो आगे चलकर लेखिका और इतिहासकार बनीं। राजनीति में उनका सफर 1960 के दशक के उत्तरार्ध में शुरू हुआ, जब उन्होंने राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के कार्यकाल में प्रशासनिक भूमिका निभाई। बाद में वे राष्ट्रपति जेराल्ड फोर्ड के चीफ ऑफ स्टाफ बने — एक ऐसा पद, जिसने उन्हें अमेरिकी सत्ता के केंद्र तक पहुंचाया।

वाशिंगटन की राजनीति में मजबूती से जमाया कदम

1978 में चेनी वायोमिंग से कांग्रेस के लिए चुने गए और लगातार छह बार जीत दर्ज की। 1989 में उन्हें राष्ट्रपति जॉर्ज एच. डब्ल्यू. बुश ने रक्षा मंत्री नियुक्त किया। इसी दौरान उन्होंने 1991 के खाड़ी युद्ध (Gulf War) में अहम भूमिका निभाई, जब अमेरिका ने कुवैत से इराकी सेना को पीछे हटाने में निर्णायक कदम उठाया।

उनकी रणनीतिक सोच और कठोर निर्णयों ने उन्हें वाशिंगटन के सबसे प्रभावशाली नेताओं में शामिल कर दिया। रक्षा मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल को अमेरिका की सैन्य शक्ति के पुनर्संरचना के दौर के रूप में देखा जाता है।

कॉर्पोरेट जगत से उपराष्ट्रपति पद तक का सफर

बिल क्लिंटन के राष्ट्रपति बनने के बाद चेनी ने राजनीति से अस्थायी दूरी बनाई और अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी हॉलिबर्टन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) बने। वहीं से उन्होंने अंतरराष्ट्रीय तेल और ऊर्जा नीतियों की गहरी समझ विकसित की।

साल 2000 में जॉर्ज डब्ल्यू. बुश जब राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बने, तो उन्होंने चेनी को अपना साथी उम्मीदवार बनाया। बुश की जीत के बाद चेनी संयुक्त राज्य अमेरिका के 46वें उपराष्ट्रपति बने।

‘सबसे ताकतवर उपराष्ट्रपति’

चेनी को “अमेरिका का सबसे शक्तिशाली उपराष्ट्रपति” कहा जाता था, क्योंकि वे राष्ट्रपति बुश के बेहद करीबी सलाहकार थे। उन्होंने न सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा नीतियों बल्कि विदेश नीति के फैसलों पर भी गहरा प्रभाव डाला।
9/11 के आतंकवादी हमले के बाद अमेरिका की ‘वार ऑन टेरर’ (आतंकवाद पर युद्ध) की नीति तैयार करने में उनका बड़ा योगदान रहा। उन्होंने ग्वांतानामो बे जेल की स्थापना और कठोर सुरक्षा कानूनों के समर्थन में अहम भूमिका निभाई।

ट्रम्प के आलोचक और रिपब्लिकन पार्टी में अलग-थलग

जीवन के अंतिम वर्षों में चेनी अपनी पार्टी में अलग-थलग पड़ गए थे। उन्होंने डोनाल्ड ट्रम्प को “कायर” और “अमेरिका के लिए सबसे बड़ा खतरा” कहा था। 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार की बजाय डेमोक्रेट नेता कमला हैरिस को वोट देने की घोषणा की थी।

चेनी की इस स्थिति ने यह साफ कर दिया कि वे सत्ता की राजनीति से ऊपर, लोकतांत्रिक मूल्यों और संस्थागत संतुलन के पक्षधर थे।

अमेरिकी राजनीति में उनकी विरासत

डिक चेनी का जीवन अमेरिकी राजनीति के उतार-चढ़ाव का प्रतीक रहा। वे एक तरफ राष्ट्रीय सुरक्षा के कट्टर समर्थक थे, तो दूसरी तरफ उन्होंने सत्ता के केंद्रीकरण की नीति के कारण आलोचनाएं भी झेलीं।
उनकी नीतियों ने अमेरिका की विदेश नीति की दिशा तय की, और उनके समर्थक आज भी उन्हें “मजबूत अमेरिका का निर्माता” मानते हैं।

डिक चेनी के निधन के साथ अमेरिकी राजनीति ने एक ऐसे युग को खो दिया, जिसने वाशिंगटन की सत्ता के सबसे ऊंचे गलियारों में अपनी अलग पहचान बनाई थी।