लिवर यानी यकृत शरीर की सबसे महत्त्वपूर्ण ग्रंथियों में से एक है, जो भोजन को पचाने, टॉक्सिन्स को बाहर निकालने और शरीर को ऊर्जा देने का काम करता है। लेकिन यही लिवर जब धीरे-धीरे खराब होने लगे तो शरीर समय पर चेतावनी देता है—बशर्ते हम उसे पहचानें। नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिज़ीज़ (NAFLD) अब भारत में एक नया स्वास्थ्य संकट बन चुकी है, जो बिना शराब पिए भी लिवर को क्षतिग्रस्त कर सकती है।


भारत में फैटी लिवर का बढ़ता खतरा

विभिन्न मेडिकल स्टडीज़ के अनुसार, भारत की 9 से 53% आबादी फैटी लिवर से प्रभावित है। यह बीमारी धीरे-धीरे लिवर सिरोसिस जैसी गंभीर अवस्था में पहुंच सकती है, जिसमें लिवर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाता है और रोगी को लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ सकती है।

लक्षण जो बताते हैं लिवर डैमेज


शुरुआती चरण में फैटी लिवर लगभग बिना लक्षण के होता है, लेकिन समय के साथ शरीर चेतावनी देने लगता है:

  • लगातार कमजोरी और थकान
  • खाना खाते ही पेट फूलना या भारीपन
  • पेट और पैरों में सूजन (फ्लूइड रिटेंशन)
  • आंखों या त्वचा में पीलापन (जॉन्डिस)
  • मुंह या नाक से खून आना, उल्टी में खून

गंभीर मामलों में लिवर कोमा यानी चेतना का खत्म हो जाना
फैटी लिवर के कारण क्या हैं?

  • अत्यधिक कैलोरी और तैलीय भोजन
  • बैठे रहने की जीवनशैली
  • मोटापा और डायबिटीज़
  • पेट के आसपास फैट का जमाव
  • कुछ मामलों में जेनेटिक कारण
    महिलाओं में PCOS और पुरुषों में क्रॉनिक किडनी डिजीज का संबंध भी लिवर से जुड़ सकता है कैसे पहचानें लिवर सिरोसिस के संकेत?
  • लिवर पूरी तरह खराब न भी हो, तब भी उसके कामकाज पर असर पड़ने लगता है:
  • ब्लड रिपोर्ट में प्लेटलेट्स की कमी
  • ALT और AST जैसे लिवर एंजाइम का बढ़ना
    अल्ट्रासाउंड या फाइब्रोस्कैन से लिवर में फैट या फाइब्रियोसिस का पता चल सकता है
    शुरुआती स्टेज में ही नियमित जांच, डायट कंट्रोल और व्यायाम से लिवर को बचाया जा सकता है। लिवर को बचाने के उपाय
  • प्रोसेस्ड और शक्करयुक्त भोजन से दूरी
  • नियमित व्यायाम – कम से कम 30 मिनट रोज़
  • डायबिटीज़ और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखें
  • वजन नियंत्रित रखें

शराब, धूम्रपान और अनावश्यक दवाओं से परहेज़

लिवर की बीमारी साइलेंट जरूर होती है, लेकिन शरीर वक्त रहते कई तरीके से संकेत देता है। जरूरी है कि हम समय रहते उन संकेतों को पहचानें और जांच कराएं, ताकि लिवर सिरोसिस या फेल्योर से बचा जा सके।