यह रहा नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिज़ीज (NAFLD) पर आधारित एक गहन और समर्पित फीचर लेख, स्वदेश ज्योति की शैली में—


जब शरीर बिना शराब के भी थकने लगे: भारत में फैटी लिवर डिज़ीज़ की खामोश दस्तक

हर 10 में से 4 भारतीय इस बीमारी की चपेट में हैं, मगर ज़्यादातर को इसकी भनक तक नहीं होती। न लक्षण, न दर्द—लेकिन अंदर ही अंदर जिगर ख़ामोशी से चुपचाप थकता जाता है। हम बात कर रहे हैं नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिज़ीज़ (NAFLD) की, जो आज भारत की सबसे गंभीर मूक बीमारियों में से एक बन चुकी है।


क्या है नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिज़ीज़?

यह बीमारी तब होती है जब लीवर (यकृत) में वसा (फैट) जमा हो जाती है, लेकिन इसका कारण शराब नहीं होता। शराब पीने वालों में लीवर डैमेज आम है, लेकिन अब बिना शराब पीए ही लोगों के लीवर फैटी हो रहे हैं। यही स्थिति NAFLD कहलाती है। इसे दो श्रेणियों में बांटा जाता है—

  1. Simple fatty liver – इसमें फैट तो होता है, लेकिन लीवर को नुकसान नहीं पहुंचता।
  2. NASH (Non-Alcoholic Steatohepatitis) – इसमें फैट के साथ लीवर में सूजन और डैमेज भी होता है। समय रहते इलाज न हो तो यह सिरोसिस या लीवर कैंसर का कारण बन सकता है।
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भारत में क्यों बढ़ रही है NAFLD?

  1. अत्यधिक चीनी और तेलयुक्त भोजन – जंक फूड और मीठे पेय पदार्थों की अधिकता से शरीर में अनावश्यक फैट जमा होता है।
  2. निष्क्रिय जीवनशैली – घंटों बैठकर काम करना, शारीरिक गतिविधि की कमी।
  3. मोटापा और डायबिटीज़ – मोटे लोगों और टाइप-2 डायबिटीज़ मरीजों में NAFLD का खतरा सबसे ज्यादा होता है।
  4. हाइपरटेंशन और हाई कोलेस्ट्रॉल – ये मेटाबॉलिक समस्याएं लीवर पर सीधा असर डालती हैं।
  5. आनुवांशिक कारण – कई बार परिवार में यह समस्या पीढ़ियों से चली आ रही होती है।

कैसे पहचानें लीवर थक रहा है?

NAFLD अक्सर बिना लक्षण के होती है, लेकिन कुछ संकेतों से इसके बारे में अनुमान लगाया जा सकता है:

  • लगातार थकान और कमजोरी
  • पेट के ऊपरी हिस्से में भारीपन या हल्का दर्द
  • वजन बढ़ना या पेट निकलना
  • भूख कम लगना
  • त्वचा या आंखों में पीलापन (गंभीर मामलों में)

क्या है इलाज? कौन से हैं नए समाधान?

1. एलोपैथिक दृष्टिकोण

  • Lifestyle modification सबसे प्रभावी उपचार है।
  • डॉक्टर वजन कम करने, एक्सरसाइज़ और संतुलित आहार की सलाह देते हैं।
  • यदि बीमारी NASH स्तर तक पहुँच चुकी है, तो विटामिन ई और कुछ विशेष दवाइयाँ दी जाती हैं।

2. आयुर्वेद की राह

आयुर्वेद में लीवर को "यकृत" कहा जाता है और इसे पित्त दोष से जुड़ा माना जाता है। फैटी लिवर को नियंत्रित करने के लिए निम्नलिखित नुस्खे कारगर माने जाते हैं—


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आयुर्वेदिक नुस्खे: जिगर को दें जीवन

🌿 भृंगराज रस / चूर्ण
लीवर टॉनिक के रूप में प्रसिद्ध है। रोज़ सुबह 1 चम्मच शहद के साथ लें।

🌿 त्रिफला चूर्ण
रात को गर्म पानी के साथ लेने से पाचन सुधरता है और लीवर की सफाई होती है।

🌿 अरोग्यवर्धिनी वटी
यह आयुर्वेदिक गोली लीवर और त्वचा रोगों के लिए विशेष मानी जाती है। चिकित्सक की सलाह से लें।

🌿 गिलोय + हल्दी का काढ़ा
रोज़ सुबह पीने से इम्यूनिटी बढ़ती है और लिवर को डिटॉक्स करता है।

🌿 नीम और करेला का रस
हर दूसरे दिन सेवन करने से वसा घटती है और लीवर एक्टिव होता है।


क्या खाएं और क्या नहीं?

सेवन करें:

  • हरी सब्जियाँ, दलिया, लो फैट दूध
  • नींबू पानी, आंवला, हल्दी
  • मुनक्का, छुहारा, भीगे बादाम

बचें:

  • तला-भुना, फास्ट फूड
  • बेकरी आइटम्स, सॉफ्ट ड्रिंक्स
  • प्रोसेस्ड मीट, रेड मीट
  • अत्यधिक नमक व चीनी

रोकथाम ही इलाज है

NAFLD का कोई जादुई इलाज नहीं, लेकिन समय रहते जीवनशैली में बदलाव कर इसे पूरी तरह रोका और उल्टा भी किया जा सकता है।

✅ रोज़ाना कम से कम 45 मिनट तेज़ वॉक या योग
✅ स्क्रीन टाइम घटाएं, शरीर को चलाएं
✅ नींद पूरी करें
✅ 3 महीने में एक बार लीवर फंक्शन टेस्ट करवाएं
✅ वजन नियंत्रित रखें


लीवर को नज़रअंदाज़ नहीं करें

लीवर हमारे शरीर का "साइलेंट हीरो" है—चुपचाप काम करता है, लेकिन जब थकता है तो बहुत देर हो जाती है। भारत में फैटी लिवर डिज़ीज़ अब शहरों से गाँवों तक फैल रही है। इसे रोकने का एक ही उपाय है—जागरूकता, अनुशासन और समर्पण।


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