गाजियाबाद में फर्जी दूतावास का भंडाफोड़, ₹44 लाख नकद व डिप्लोमैटिक गाड़ियां बरामद
- 44.70 लाख नकद, विदेशी मुद्राएं, डिप्लोमैटिक गाड़ियां और फर्जी दस्तावेज बरामद**
गाजियाबाद।
उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए गाजियाबाद के कविनगर क्षेत्र में चल रहे फर्जी दूतावास का पर्दाफाश किया है। एसटीएफ ने मंगलवार रात इस कथित दूतावास के संचालक हर्षवर्धन जैन को गिरफ्तार किया है, जो खुद को ‘वेस्ट आर्कटिका’, ‘सोबोरगा’, ‘पॉल’ जैसे माइक्रोनेशन देशों का एम्बेसडर बताकर लोगों को भ्रमित करता था। आरोपी के पास से नकद ₹44.70 लाख, विदेशी मुद्रा, डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट लगी चार लग्जरी गाड़ियां और कई फर्जी दस्तावेज बरामद हुए हैं।
गाजियाबाद बना साइबर और धोखाधड़ी गतिविधियों का अड्डा
दिल्ली से सटे नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में ऑनलाइन धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और साइबर अपराधों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। इसी कड़ी में गाजियाबाद के पॉश इलाकों में से एक कविनगर की कोठी नंबर केबी-45 पर एसटीएफ ने छापा मारकर एक बेहद चौंकाने वाला मामला उजागर किया।
कैसे हुआ खुलासा?
मंगलवार रात लगभग 10 बजे एसटीएफ की नोएडा यूनिट, कविनगर थाने के एक सब इंस्पेक्टर और एक सिपाही के साथ कथित दूतावास पर पहुंची। छापे के समय कोठी में आरोपी हर्षवर्धन जैन के अलावा उसके ससुर आनंद जैन, भाटिया मोड़ निवासी ईश्वर सिंह और एक घरेलू सहायक हेमंत कुमार राजवंशी मौजूद थे। ईश्वर सिंह और हेमंत कुमार को एसटीएफ ने गवाह बनाकर कार्रवाई को आगे बढ़ाया।
एडीजी ने दी जानकारी
उत्तर प्रदेश एसटीएफ के एडीजी अमिताभ यश ने बताया कि आरोपी हर्षवर्धन जैन खुद को ‘वेस्ट आर्कटिका’ जैसे काल्पनिक देशों का राजदूत बताता था। उसने फर्जी कूटनीतिक पहचान बनाकर लोगों को भ्रमित किया। वह प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ एडिट की गई तस्वीरों का उपयोग कर अपना प्रभाव बढ़ाने का प्रयास करता था।

बरामद हुआ आपत्तिजनक सामान
एसटीएफ की कार्रवाई में कई चौंकाने वाली वस्तुएं बरामद हुईं, जो इस फर्जीवाड़े की गंभीरता को दर्शाती हैं। इनमें शामिल हैं:
- ₹44,70,000 नकद राशि
- कई देशों की विदेशी मुद्राएं
- 20 डिप्लोमैटिक गाड़ियों की नंबर प्लेट
- 4 डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट लगीं गाड़ियां
- माइक्रोनेशन देशों के 12 डिप्लोमैटिक पासपोर्ट
- विदेश मंत्रालय की मोहर लगे फर्जी दस्तावेज
- दो कूटरचित पैनकार्ड
- 34 विभिन्न देशों व कंपनियों की फर्जी मोहरें
- दो फर्जी प्रेस कार्ड
- अन्य संदिग्ध इलेक्ट्रॉनिक व दस्तावेजी सामग्री
क्या हैं माइक्रोनेशन?
‘वेस्ट आर्कटिका’ और ‘सोबोरगा’ जैसे नाम काल्पनिक या माइक्रोनेशन कहे जाने वाले ऐसे तथाकथित देशों के हैं, जो वास्तविक अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त देशों की श्रेणी में नहीं आते। कई बार ये नकली पहचान और फर्जी राजनयिक गतिविधियों के लिए उपयोग किए जाते हैं।
थाने में मुकदमा दर्ज, जांच जारी
आरोपी के खिलाफ गाजियाबाद के कविनगर थाने में विधिवत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। एसटीएफ ने प्रारंभिक जांच में मामला गंभीर पाया है और आरोपी से विस्तृत पूछताछ की जा रही है। जांच एजेंसियों का मानना है कि इस फर्जी दूतावास का उपयोग कई प्रकार के वित्तीय व प्रशासनिक लाभ उठाने के लिए किया जा सकता था।
राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियां सतर्क
मामले की गंभीरता को देखते हुए केंद्रीय एजेंसियां भी जांच से जुड़ सकती हैं। नकली कूटनीतिक गतिविधियां न केवल आर्थिक अपराध की श्रेणी में आती हैं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा बन सकती हैं।
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