मुंबई:
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले, भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस ने आध्यात्मिक शक्ति का आह्वान करते हुए विभिन्न देवी-देवताओं के दर्शन किए और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। यह न केवल उनकी व्यक्तिगत आस्था का प्रतीक है, बल्कि महाराष्ट्र की संस्कृति और परंपराओं को दर्शाने वाला कदम भी है।
'राज्यमाता' गोमाता का पूजन
देवेंद्र फडणवीस ने शपथ ग्रहण समारोह से पहले गोमाता, जिसे भारतीय संस्कृति में 'सर्वदेवमयी' माना गया है, का विधिवत पूजन किया। उन्होंने कहा,
"गाय हमारी संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है। 'सर्वे देवा: स्थिता देहे, सर्वदेवमयी हि गौ:' मंत्र के अनुसार, गाय में सभी देवताओं का वास होता है। गोमाता का आशीर्वाद लेकर मैं अपने कर्तव्यों का पालन करूंगा।"
मुंबई की ग्रामदेवता 'माँ मुंबादेवी' के दर्शन
फडणवीस ने शपथ ग्रहण से पहले मुंबई की आराध्य देवी माँ मुंबादेवी के दर्शन किए और आशीर्वाद प्राप्त किया।
उन्होंने माँ मुंबादेवी के चरणों में प्रार्थना करते हुए कहा,
"आदि शक्ति माँ कात्यायनी से प्रार्थना करता हूँ कि वह मुंबई और महाराष्ट्र को सुख-समृद्धि और शांति प्रदान करें। उनके आशीर्वाद से ही हम महाराष्ट्र को प्रगति के पथ पर आगे ले जा सकते हैं।"
इस दौरान उन्होंने देवी के मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की और राज्य की समृद्धि व खुशहाली के लिए प्रार्थना की।
श्री सिद्धिविनायक मंदिर में दर्शन
देवेंद्र फडणवीस ने श्री सिद्धिविनायक गणपति के दर्शन कर अपना आशीर्वाद लिया। यह मंदिर महाराष्ट्र में गणपति बप्पा की अपार महिमा के लिए प्रसिद्ध है।
उन्होंने कहा,
"गणपति बप्पा ज्ञान और शक्ति के प्रतीक हैं। उनकी कृपा से ही मैं इस जिम्मेदारी को निभाने की ताकत और विवेक प्राप्त करूंगा। महाराष्ट्र की जनता की भलाई के लिए मैंने बप्पा के चरणों में प्रार्थना की।"
फडणवीस ने यह भी कहा कि गणपति बप्पा का आशीर्वाद हमेशा उनके लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा।
राजनीतिक यात्रा में आध्यात्मिकता का महत्व
देवेंद्र फडणवीस ने हमेशा अपने राजनीतिक जीवन में आध्यात्मिकता और परंपराओं को महत्व दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी यह आस्था उन्हें उनकी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के लिए नैतिक बल और ऊर्जा प्रदान करती है।
आध्यात्मिकता और सेवा का संकल्प
देवेंद्र फडणवीस ने शपथ ग्रहण से पहले यह भी कहा कि वे राज्य के कल्याण, समृद्धि और विकास के लिए पूरी निष्ठा से कार्य करेंगे। उनका यह कदम न केवल आध्यात्मिकता को महत्व देता है, बल्कि महाराष्ट्र की जनता के साथ उनके गहरे संबंधों को भी दर्शाता है।
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