रोजमर्रा की ज़रूरतों से परे, वॉलेट में छिपे प्यार, संबंधों और प्रेरणा के छोटे–छोटे खज़ाने
हमारा वॉलेट सिर्फ पैसे, कार्ड और ज़रूरी कागज़ रखने की जगह नहीं है। कई बार इसमें छिपी होती हैं वो छोटी–छोटी चीज़ें, जो दिल को छू जाएं—किसी प्रियजन की पुरानी तस्वीर, किसी सफर की याद, किसी का दिया नोट, या कोई भावनात्मक तोहफा। यही छोटी वस्तुएँ हमें रोज़ उन लोगों की याद दिलाती हैं, जिनसे हमारी ज़िंदगी को अर्थ मिलता है। इसी क्रम में सोनी सब के मशहूर कलाकार रजत वर्मा, श्रेय मराड़िया और गौरव चोपड़ा ने खुलासा किया कि वे अपने वॉलेट में कौन–सी भावनात्मक यादें हमेशा साथ रखते हैं। इन कहानियों से झलक मिलती है उन भावनाओं की, जो पर्दे के पीछे इन कलाकारों को इंसान के रूप में गहराई देती हैं।
रजत वर्मा: “मम्मी की एक छोटी-सी तस्वीर… मेरे सपनों की हिम्मत का स्रोत”
‘इत्ती सी ख़ुशी’ में विराट का किरदार निभा रहे रजत वर्मा बताते हैं कि उनके वॉलेट में हमेशा उनकी मां की एक छोटी–सी तस्वीर रहती है। वे कहते हैं, “बचपन से आज तक मम्मी मेरी सबसे मजबूत सहारा रही हैं। जब मैं खुद पर शक करता था, तब भी उन्हें मुझ पर पूरा विश्वास था। मेरे दोस्त मुझे मज़ाक में ‘मम्माज़ बॉय’ कहते हैं—और सच कहूं तो मुझे इस पर गर्व है। ये छोटी तस्वीर मेरे लिए सिर्फ फोटो नहीं, बल्कि मम्मी के बिना शर्त प्यार और मेरे सपनों का पीछा करने की ताकत की याद है।”
श्रेय मराड़िया: “पापा के साथ सफर की एक बस टिकट… जो हर बार दिल छू जाती है”
‘पुष्पा इम्पॉसिबल’ में ऋषभ का किरदार निभाने वाले श्रेय मराड़िया के वॉलेट में एक बहुत खास चीज़ है—एक पुरानी, बेरंग हो चुकी बस की टिकट। वे बताते हैं, “ये बस टिकट मैंने पापा के साथ की गई एक यात्रा की याद में संभालकर रखी है। जैसे ही इसे देखता हूं, वो लम्बी बातचीतें याद आ जाती हैं—हम दोनों, और खिड़की के बाहर भागती दुनिया। ये बहुत साधारण सी चीज़ है, लेकिन मेरे सफर की शुरुआत और पापा से मिले मूल्यों की याद दिलाती है। यह मुझे ज़मीन से जोड़कर रखती है, चाहे मैं कितनी भी दूर निकल जाऊं।”
गौरव चोपड़ा: “पिताजी की लिखी कुछ पंक्तियां… जो कठिन समय में हिम्मत देती हैं”
‘पुष्पा इम्पॉसिबल’ में प्रोफेसर राजवीर शास्त्री की भूमिका निभाने वाले गौरव चोपड़ा अपने वॉलेट में कुछ पंक्तियां रखते हैं, जिन्हें उनके पिता ने अपने हाथ से लिखा था। वे कहते हैं, “जब भी मैं किसी कठिन परिस्थिति या किसी बड़े फैसले के सामने खड़ा होता हूं, पिताजी की ये लिखी हुई पंक्तियां मुझे साहस और स्पष्ट सोच देती हैं। ये मेरे लिए सिर्फ शब्द नहीं हैं—ये पिताजी के प्यार, उनकी बुद्धिमत्ता और उनसे जुड़े हर उस पल का प्रतीक हैं जिन्हें मैं हमेशा अपने साथ रखना चाहता हूं।” इन तीनों कलाकारों की इन निजी कहानियों में एक बात समान है—वॉलेट में रखा हर छोटा सामान उनके जीवन से जुड़ी बड़ी भावनाओं को संजोकर रखता है। चाहे वह मां की तस्वीर हो, पिता के साथ का सफर या हाथ से लिखे कुछ शब्द—ये वस्तुएं उनके लिए प्रेरणा, प्रेम और दृढ़ता का स्रोत हैं, जो सबसे व्यस्त दिनों में भी दिल को मजबूती देती हैं।
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