संजय के ग्रे-ज़ोन वाले जटिल किरदार पर अभिनेता ने खोले कई दिलचस्प राज
सोनी सब का लोकप्रिय शो ‘इत्ती सी खुशी’ अपनी भावनात्मक, पारिवारिक और रिश्तों से बुनी कहानी के कारण दर्शकों के दिलों में जगह बना चुका है। शो की नायिका अन्विता (सुम्बुल तौकीर खान) अपनी कठिनाइयों, पारिवारिक जिम्मेदारियों और रिश्तों के संघर्षों के बीच खड़ी दिखाई देती है। उसके जीवन में दो विपरीत ताकतें हैं विराट (रजत वर्मा), जो खामोश, सच्चा और स्थिर प्रेम का प्रतीक है, और संजय (ऋषि सक्सेना), जिसका प्रेम धीरे-धीरे एक खतरनाक जुनून में बदलता जाता है। एक विशेष बातचीत में अभिनेता ऋषि सक्सेना ने संजय के इस बहुस्तरीय और जटिल किरदार के बारे में खुलकर बात की। उनका कहना है कि संजय कोई सीधा-सादा खलनायक नहीं, बल्कि एक ऐसा व्यक्ति है जिसकी दुनिया प्यार, डर, असुरक्षा और हताशा में घिरी हुई है।
“संजय काला-सफेद नहीं, कई परतों वाला इंसान है”
ऋषि सक्सेना कहते हैं “इंसान किसी एक रंग में नहीं होता। अलग हालात में अलग प्रतिक्रिया देता है। संजय की कमियाँ, आवेग और भावनाएँ उसे वास्तविक बनाती हैं। वह एकदम से खलनायक नहीं है। वह अपने प्यार, डर और हताशा से प्रेरित है। यही उसे गहराई वाला किरदार बनाता है।”
‘प्यार से जुनून’— इस बदलाव को कैसे निभाया?
अभिनेता के अनुसार यह रूपांतरण लेखन में बेहद बारीकी से रचा गया था। ऋषि बताते हैं “मुझे बस उस धीमी आग को महसूस करना था। लेखक और निर्देशक के विज़न ने इसे सहज बनाया। किरदार स्पष्ट था, इसलिए उसे भीतर से महसूस कर पाना आसान रहा।”
विराट को ब्लैकमेल करने वाला तीव्र सीन— कैसे तैयार हुए?
ऋषि कहते हैं “मैं चाहता था वह अभिनय रॉ और ईमानदार लगे। रजत (विराट) के साथ मेरी ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री ने इसे और बेहतर बनाया। जब सह-अभिनेता अच्छा रिस्पॉन्स दे, तो आधा काम आसान हो जाता है।”
संजय कितनी दूर जा सकता है? अभिनेता का जवाब—“सीमा नहीं है”
शादी वाले ट्रैक पर बोले “संजय सच में मानता है कि वह जो कर रहा है, वह अन्विता के लिए कर रहा है। उसके मन में वह उसे बचा रहा है। जब किसी की सोच इतनी पुख्ता हो, तो वह अपनी मंशा पूरी करने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।”
ग्रे किरदार निभाने की चुनौती और मजा
ऋषि सक्सेना के लिए संजय जैसा किरदार अभिनेता होने का रोमांच देता है। वे कहते हैं “मुझे रियल और रॉ परफॉर्मेंस पसंद है। संजय अनिश्चित, भावुक, दोषपूर्ण और मानवीय है— भारतीय टीवी पर ऐसा किरदार दुर्लभ है। इसमें खोजने के लिए बहुत कुछ है, जो किसी भी एक्टर के लिए रोमांचक होता है।”
भारी-भरकम सीन के बाद कैसे स्विच-ऑफ करते हैं?
वे जवाब देते हैं “सीन खत्म होते ही मैं तुरंत स्विच-ऑफ हो जाता हूँ। यह प्रोफेशनलिज़्म है। अलगाव जरूरी है ताकि अगले दिन नया महसूस हो।”
किरदार की मानसिकता में उतरने की तकनीक
ऋषि बताते हैं— “मैं किरदार के मकसद को सरल रखता हूँ। जब इरादा साफ हो, मानसिकता खुद आ जाती है। और हाँ—मेरी टीम हमेशा मुझे सही हेडस्पेस में लाने में मदद करती है।” ‘इत्ती सी खुशी’ में संजय की भूमिका कहानी को एक नए मोड़, नई तीव्रता और भावनात्मक गहराई देती है। दर्शकों के लिए यह किरदार जितना आकर्षक है, उतना ही चुनौतीपूर्ण इसे पर्दे पर जीवंत करना—और ऋषि सक्सेना इसे पूरे समर्पण से निभा रहे हैं।
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