भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में 1975 की इमरजेंसी एक ऐसा दौर था, जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। इसी पृष्ठभूमि पर आधारित कंगना रनौत की बहुप्रतीक्षित राजनीतिक ड्रामा फिल्म ‘इमरजेंसी’ अब वर्ल्ड टेलीविज़न प्रीमियर के लिए तैयार है। यह फिल्म सत्ता, राजनीति और लोकतांत्रिक मूल्यों पर पड़े गहरे घावों को दर्शाते हुए हर भारतीय को उस समय की याद दिलाएगी, जब लोगों की आवाज़ को दबा दिया गया था।

12 सितंबर, शुक्रवार रात 8 बजे ज़ी सिनेमा पर प्रसारित होने जा रही यह फिल्म केवल एक सिनेमाई प्रस्तुति नहीं, बल्कि लोकतंत्र की असली परीक्षा की कहानी है। इसमें दिखाया गया है कि कैसे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल लागू कर लोकतंत्र को निलंबित कर दिया और देश में सेंसरशिप तथा राजनीतिक दमन का दौर शुरू हुआ।

फिल्म में प्रमुख कलाकारों ने ऐतिहासिक किरदारों को जीवंत किया है। कंगना रनौत, जिन्होंने इस फिल्म का निर्देशन भी किया है, इंदिरा गांधी की भूमिका निभा रही हैं। अनुपम खेर जयप्रकाश नारायण के रूप में नज़र आते हैं, जिन्होंने उस समय की राजनीतिक लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी। श्रेयस तलपड़े ने युवा अटल बिहारी वाजपेयी का किरदार निभाया है, वहीं मिलिंद सोमन फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की भूमिका में दिखेंगे। इसके अलावा महिमा चौधरी और दिवंगत सतीश कौशिक भी महत्वपूर्ण भूमिकाओं में नज़र आते हैं।

अनुपम खेर का कहना है – “इमरजेंसी सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि उस दौर की गवाही है जब लोकतंत्र की असली परीक्षा हुई थी। मैंने छात्र जीवन में उस खामोशी और डर को अपनी आंखों से देखा था। जयप्रकाश नारायण जी का किरदार निभाना मेरे लिए गर्व और भावुकता का क्षण था।”

वहीं श्रेयस तलपड़े ने कहा – “अटल बिहारी वाजपेयी का किरदार निभाना एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी थी। यह केवल एक राजनीतिक किरदार नहीं, बल्कि राष्ट्र की आत्मा का प्रतीक था। मुझे गर्व है कि मैं इस फिल्म का हिस्सा हूं और दर्शक इसे जरूर सराहेंगे।”

‘इमरजेंसी’ सिर्फ सत्ता संघर्ष या राजनीतिक टकराव की कहानी नहीं है, बल्कि यह साहस, सच्चाई और आज़ादी की रक्षा के लिए लड़ी गई लड़ाई का चित्रण है। यह फिल्म हर पीढ़ी को यह याद दिलाती है कि लोकतंत्र किसी भी देश की सबसे बड़ी ताकत है और इसकी रक्षा करना हम सबकी जिम्मेदारी है।