चुनाव आयोग देशभर में लागू करेगा वोटर्स लिस्ट का विशेष पुनरीक्षण, सुप्रीम कोर्ट ने दी अहम शर्तें

नई दिल्ली। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बुधवार को दिल्ली में एक अहम बैठक बुलाई, जिसमें चुनाव आयोग के वरिष्ठ अधिकारी और देशभर के राज्य चुनाव अधिकारी शामिल हुए। इस बैठक में वोटर्स लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) यानी मतदाता सत्यापन अभियान की तैयारियों पर विस्तार से चर्चा की गई। आयोग का उद्देश्य है कि मतदाता सूची को पूरी तरह पारदर्शी और सटीक बनाया जाए और अवैध प्रवासियों को मतदाता सूची से बाहर रखा जाए।


बिहार मॉडल पर पूरे देश में लागू होगी प्रक्रिया

बैठक में आयोग ने साफ किया कि बिहार में SIR के प्रयोग के बाद अब इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा।

  • यह प्रक्रिया इस साल के अंत में असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों से पहले शुरू की जा सकती है।
  • मुख्य मकसद जन्म स्थान की जांच और दस्तावेजों के आधार पर अवैध प्रवासियों की पहचान करना है।
  • बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने इस बैठक में अपने अनुभव साझा किए, ताकि अन्य राज्यों में भी इसे बेहतर तरीके से लागू किया जा सके।

आधार कार्ड को मान्यता, लेकिन नागरिकता का प्रमाण नहीं

इससे पहले मंगलवार को चुनाव आयोग ने बिहार चुनाव आयोग को पत्र भेजकर यह निर्देश दिया कि मतदाता पहचान की प्रक्रिया में आधार कार्ड को 12वें दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया जाए।

  • यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के बाद लिया गया।
  • सुप्रीम कोर्ट ने 8 सितंबर को कहा था कि आधार पहचान का दस्तावेज है, नागरिकता का प्रमाण नहीं।
  • जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने स्पष्ट किया कि अगर किसी व्यक्ति के आधार को लेकर संदेह है तो उसकी जांच की जा सकती है।
  • अदालत ने यह भी कहा कि कोई भी नहीं चाहता कि अवैध प्रवासी मतदाता सूची में शामिल हों।
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मुख्य चुनाव आयुक्त की तीसरी बड़ी बैठक

ज्ञानेश कुमार ने फरवरी में मुख्य चुनाव आयुक्त का पदभार संभाला था। तब से यह उनकी तीसरी बड़ी समीक्षा बैठक है।

  • बैठक में वरिष्ठ अधिकारियों ने SIR की पूरी प्रक्रिया और इसके तकनीकी पहलुओं पर प्रजेंटेशन दिया।
  • राज्यों को यह भी बताया गया कि मतदाता सत्यापन के दौरान किन दस्तावेजों को प्राथमिकता दी जाएगी और कैसे मतदाता सूची को अद्यतन किया जाएगा।

क्यों अहम है यह पहल?

भारत में मतदाता सूची की सटीकता पर लंबे समय से सवाल उठते रहे हैं। कई जगहों पर दोहरी प्रविष्टि, मृत व्यक्तियों के नाम और अवैध प्रवासियों के नाम शामिल होने की शिकायतें आती रही हैं।

  • आयोग मानता है कि SIR से यह समस्या काफी हद तक दूर होगी।
  • जन्म स्थान की जांच और बहुस्तरीय दस्तावेजी सत्यापन से केवल वास्तविक भारतीय नागरिक ही वोटर लिस्ट में बने रहेंगे।
  • इससे चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता और पारदर्शिता दोनों मजबूत होंगी।
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चुनाव आयोग का यह कदम देश की चुनावी व्यवस्था में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है। बिहार के अनुभव को आधार बनाकर SIR को पूरे देश में लागू करने से मतदाता सूची ज्यादा पारदर्शी और सटीक बनेगी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट की यह स्पष्ट चेतावनी भी अहम है कि आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है। अब आने वाले महीनों में असम, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल जैसे संवेदनशील राज्यों में इस प्रक्रिया का असर देखने को मिलेगा।