- 5 अगस्त को दिल्ली स्थित ईडी मुख्यालय में पेश होने का निर्देश दिया
नई दिल्ली। देश के प्रमुख उद्योगपतियों में शामिल अनिल अंबानी को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने ₹17,000 करोड़ के कथित लोन फ्रॉड मामले में पूछताछ के लिए तलब किया है। उन्हें आगामी 5 अगस्त को दिल्ली स्थित ईडी मुख्यालय में पेश होने का निर्देश दिया गया है, जहां उनसे पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) के तहत पूछताछ की जाएगी। ईडी की यह कार्रवाई यस बैंक द्वारा 2017 से 2019 के बीच अंबानी समूह की कंपनियों को दिए गए संदिग्ध ऋणों की जांच से जुड़ी है। इस मामले में वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों के चलते ईडी पहले ही देशभर में बड़े पैमाने पर छापेमारी कर चुका है।
ईडी दर्ज करेगा पीएमएलए के तहत बयान
सूत्रों के अनुसार, अनिल अंबानी से पूछताछ के बाद ईडी धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के अंतर्गत उनका आधिकारिक बयान दर्ज करेगी। यह समन ऐसे समय आया है जब पिछले सप्ताह ईडी ने रिलायंस समूह से जुड़ी कई कंपनियों और अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी की थी। छापेमारी 24 जुलाई को शुरू होकर तीन दिन तक चली थी, जिसमें मुंबई के 35 से अधिक परिसरों को शामिल किया गया। जांच एजेंसी ने बताया कि इन परिसरों में करीब 50 कंपनियों और 25 व्यक्तियों के नाम थे, जिनमें कई रिलायंस समूह की सहयोगी कंपनियों के अधिकारी भी शामिल हैं।
लोन ट्रांजेक्शन में मिली गड़बड़ियां
ईडी की जांच रिपोर्ट के मुताबिक, लोन देने की प्रक्रिया में कई स्तरों पर अनियमितताएं सामने आई हैं:
- कमज़ोर या बिना सत्यापन वाली कंपनियों को करोड़ों के लोन जारी किए गए।
- कई कंपनियों में एक ही निदेशक, एक जैसे पते और कागज़ात पाए गए।
- शेल कंपनियों को लोन पास किए गए, जिनका कोई वास्तविक परिचालन नहीं था।
- पुराने लोन को चुकाने के लिए नए लोन दिए गए, जिससे कर्ज का बोझ और बढ़ा।
- लोन फाइलों में आवश्यक दस्तावेजों का अभाव पाया गया।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह पूरी प्रक्रिया एक सुनियोजित वित्तीय धोखाधड़ी का संकेत देती है, जिसकी जांच अब गहराई से की जा रही है।
रिलायंस समूह की प्रतिक्रिया
इस बीच अनिल अंबानी समूह की दो प्रमुख कंपनियाँ—रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर—ने स्टॉक एक्सचेंजों को जानकारी दी है कि ईडी की कार्रवाई से कंपनी के व्यवसाय, वित्तीय स्थिति, कर्मचारियों या निवेशकों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। कंपनियों ने यह भी कहा है कि वे कानूनी प्रक्रिया का पूरा सम्मान करती हैं और जांच एजेंसियों के साथ सहयोग कर रही हैं।
क्या है मामला?
यह पूरा मामला यस बैंक द्वारा अनिल अंबानी समूह की कंपनियों को दिए गए लगभग ₹3,000 करोड़ के संदिग्ध लोन ट्रांजेक्शन से जुड़ा है। ये लोन कथित तौर पर बिना पर्याप्त जाँच-पड़ताल के जारी किए गए थे, जिनका उपयोग वास्तविक कारोबार के बजाय ऋण चुकाने और धन के गोलमाल में किया गया। ईडी का मानना है कि इस पूरे नेटवर्क में शेल कंपनियों, दस्तावेज़ों की कमी, और जानबूझकर दिए गए लोन जैसी प्रक्रियाओं के ज़रिए देश की वित्तीय व्यवस्था को नुकसान पहुंचाया गया।