पटना/गया। भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी संजीव हंस के करीबी सहयोगी और पुल निर्माण विभाग के इंजीनियर सुनील कुमार के ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शनिवार को बड़ी छापेमारी की। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के आरोपों के तहत की गई है, जो संजीव हंस के खिलाफ चल रही जांच का हिस्सा है। ईडी की टीम ने पटना और गया में कुल तीन स्थानों पर एक साथ छापे मारे। इन ठिकानों में गया के तथागत होटल की भी तलाशी ली गई, जिसे सुनील कुमार या उनके किसी रिश्तेदार का माना जा रहा है।
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में छापेमारी
इस छापेमारी का मुख्य उद्देश्य आईएएस अधिकारी संजीव हंस के मनी लॉन्ड्रिंग मामले से जुड़ी संपत्तियों और वित्तीय लेन-देन की जांच करना था। ईडी ने पहले भी संजीव हंस के खिलाफ पटना के स्पेशल कोर्ट में दो हजार पन्नों की सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की थी। इस चार्जशीट में हंस के अलावा, पूर्व राजद विधायक गुलाब यादव और उनके सहयोगियों को भी आरोपित किया गया था। आरोप है कि संजीव हंस ने बिहार सरकार और केंद्रीय प्रतिनियुक्ति में विभिन्न उच्च पदों पर रहते हुए भ्रष्टाचार के जरिए अकूत संपत्ति बनाई।
हंस और उनके रिश्तेदारों के खिलाफ साक्ष्य
ईडी की जांच के दौरान संजीव हंस की पत्नी और उनके रिश्तेदारों के खिलाफ भी ठोस सबूत सामने आए हैं, जिसके आधार पर यह छापेमारी की गई। पहले की छापेमारी में ईडी ने संजीव हंस और गुलाब यादव से जुड़ी संपत्तियों से 90 लाख रुपये नकदी और 13 किलो चांदी की छड़ें जब्त की थीं। इसके अलावा, तलाशी के दौरान बेनामी संपत्तियों से संबंधित दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य भी बरामद हुए थे, जिनसे हंस और उनके सहयोगियों के खिलाफ आरोपों को मजबूती मिली है।
पिछले छापे और जांच का विस्तार
इससे पहले, ईडी ने दिल्ली, कोलकाता और मुंबई में भी संजीव हंस और गुलाब यादव से जुड़ी संपत्तियों और ठिकानों पर छापेमारी की थी। इन छापों में कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और साक्ष्य मिले थे, जो मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों से जुड़े थे। करीब दो महीने पहले भी ईडी ने पटना, पुणे, पंजाब, दिल्ली, नोएडा समेत एक दर्जन से अधिक स्थानों पर छापेमारी की थी। यह छापेमारी मनी लॉन्ड्रिंग के बढ़ते आरोपों और जांच के सिलसिले में की गई थी।
आगे की जांच और कार्रवाई
वर्तमान में की जा रही छापेमारी संजीव हंस और उनके नेटवर्क के वित्तीय लेन-देन की व्यापक जांच का हिस्सा है। ईडी का मानना है कि हंस और उनके सहयोगी अवैध तरीके से संपत्ति निर्माण और मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल हैं, और छापेमारी के दौरान बरामद किए गए दस्तावेज और साक्ष्य इस मामले को और अधिक गहरा कर सकते हैं।
ईडी की टीम संजीव हंस के खिलाफ चल रही जांच को लेकर विभिन्न स्तरों पर कार्रवाई कर रही है। संजीव हंस और उनके साथियों की संपत्तियों और वित्तीय गतिविधियों की पूरी तरह से जांच की जा रही है, ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि उन्होंने अपने सरकारी पदों का दुरुपयोग करके अपनी अकूत संपत्ति कैसे बनाई।
ईडी की यह छापेमारी और जांच संजीव हंस और उनके सहयोगियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के मामले को नया मोड़ दे सकती है। ईडी द्वारा की जा रही कार्रवाई से यह भी स्पष्ट होता है कि सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार और अवैध संपत्ति निर्माण के मामलों में कड़ी जांच की जा रही है।