- कोल्ड्रिफ सिरप कांड ने हिलाया देश, अब ईडी की सख्त कार्रवाई
चेन्नई। मध्य प्रदेश में 25 बच्चों की जान लेने वाले ‘कोल्ड्रिफ कफ सिरप’ मामले ने अब एक बार फिर गंभीर मोड़ ले लिया है। तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स कंपनी से जुड़े सात ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। यह वही कंपनी है, जिसने वह सिरप बनाया था जिसे पीने के बाद कई बच्चों की मौत हुई थी। ईडी के अधिकारियों के अनुसार, छापे चेन्नई जोनल ऑफिस की कई टीमों ने एक साथ चलाए। एजेंसी ने कंपनी से जुड़े प्रमुख लोगों और तमिलनाडु ड्रग्स कंट्रोल ऑफिस के वरिष्ठ अधिकारियों के आवासों पर भी तलाशी ली। ईडी इस मामले में अवैध वित्तीय लेन-देन, मिलावटी दवाओं से हुई कमाई और संभावित मनी लॉन्ड्रिंग के पहलुओं की जांच कर रही है।
कंपनी मालिक रंगनाथन गोविंदन पहले ही गिरफ्तार
इस कार्रवाई से पहले, मध्य प्रदेश पुलिस ने इस मामले के मुख्य आरोपी और श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स के मालिक रंगनाथन गोविंदन (75 वर्ष) को गिरफ्तार कर लिया था। गोविंदन को 9 अक्टूबर को चेन्नई के कोडम्बक्कम इलाके में स्थित उसके अपार्टमेंट से पकड़ा गया था। गिरफ्तारी के बाद रविवार शाम उसे पुलिस तमिलनाडु लेकर रवाना हुई, ताकि मामले की गहराई से जांच की जा सके।
जानकारी के अनुसार, गोविंदन की कंपनी श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स ने न केवल घटिया कच्चे माल का उपयोग किया बल्कि दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के सभी मानकों की भी अनदेखी की। यह लापरवाही ही मध्य प्रदेश में दर्जनों मासूमों की मौत का कारण बनी।
फैक्ट्री में 350 से ज्यादा गंभीर गड़बड़ियां उजागर
तमिलनाडु सरकार द्वारा गठित जांच समिति ने श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स की उत्पादन इकाई में 350 से अधिक गड़बड़ियां पाई हैं। इन गड़बड़ियों को ‘क्रिटिकल’ और ‘मेजर’ श्रेणी में रखा गया है, यानी ये न केवल उत्पादन मानकों का उल्लंघन थीं बल्कि सीधे तौर पर उपभोक्ताओं के जीवन के लिए खतरा भी थीं।
इसी रिपोर्ट के बाद तमिलनाडु ड्रग्स कंट्रोल विभाग ने 7 अक्टूबर को कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी किया। विभाग ने कंपनी से पांच दिन के भीतर जवाब मांगा, लेकिन अब तक कंपनी का कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला है।
जांच में सामने आया जहर: कोल्ड्रिफ सिरप में मिला 48% जहरीला रसायन
कांचीपुरम जिले के सुंगुवर्चत्रम में स्थित श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स की यूनिट से जब्त किए गए कोल्ड्रिफ सिरप (बैच नंबर SR-13) के नमूनों की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। सरकारी ड्रग टेस्टिंग लैब चेन्नई में हुई जांच में पाया गया कि सिरप में नॉन-फार्माकॉपिया ग्रेड ‘प्रोपीलीन ग्लाइकॉल’ का उपयोग किया गया था, जो डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) और एथिलीन ग्लाइकॉल से दूषित था।
इन दोनों रासायनिक तत्वों को अत्यंत जहरीला माना जाता है और ये किडनी को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि कोल्ड्रिफ सिरप का यह बैच 48.6 प्रतिशत तक दूषित था, जिससे यह ‘Not of Standard Quality’ घोषित किया गया। वहीं, कंपनी की अन्य चार दवाएं — रेस्पोलाइट D, GL, ST और हेप्सैंडिन सिरप — मानक गुणवत्ता की पाई गईं।
बच्चों की मौत के बाद देशभर में बढ़ी चिंता
मध्य प्रदेश में पिछले महीने जब यह मामला सामने आया था, तब स्वास्थ्य विभाग ने कोल्ड्रिफ सिरप को तुरंत प्रतिबंधित कर दिया था। शुरुआती जांच में पाया गया था कि यह दवा सेवन करने वाले बच्चों में अचानक उल्टी, सांस रुकने और किडनी फेल होने जैसी गंभीर प्रतिक्रियाएं हुईं। अब तक 25 बच्चों की जान जा चुकी है, जबकि कई की हालत लंबे समय तक गंभीर बनी रही।
इसके बाद केंद्र सरकार ने भी सभी राज्यों को निर्देश दिए कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में श्रीसन फार्मा की बनी दवाओं की गुणवत्ता की जांच करें।
ईडी के निशाने पर अब वित्तीय लेन-देन
ईडी के सूत्रों के अनुसार, छापेमारी के दौरान कई ऐसे दस्तावेज और डिजिटल रिकॉर्ड मिले हैं जिनसे संकेत मिलता है कि कंपनी ने घटिया कच्चे माल की खरीद-फरोख्त में बड़े पैमाने पर वित्तीय गड़बड़ियां कीं। यह भी शक है कि कंपनी ने दवा की बिक्री से हुई कमाई को हवाला चैनलों के जरिये ट्रांसफर किया।
अधिकारियों का कहना है कि इस जांच का मकसद न केवल अपराधियों को सजा दिलाना है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि भविष्य में किसी कंपनी की लापरवाही से निर्दोष बच्चों की जान न जाए।
सरकार सख्त, कंपनी का लाइसेंस रद्द करने की तैयारी
तमिलनाडु ड्रग्स कंट्रोल डिपार्टमेंट और स्वास्थ्य मंत्रालय इस मामले में बेहद गंभीर हैं। सूत्रों का कहना है कि यदि श्रीसन फार्मा अपना जवाब संतोषजनक नहीं दे पाती है, तो उसका लाइसेंस स्थायी रूप से रद्द किया जा सकता है। साथ ही, कंपनी के सभी प्रोडक्ट्स को बाजार से वापस मंगाने की प्रक्रिया भी शुरू की जा सकती है।