ईडी की बड़ी कार्रवाई: साइबर धोखाधड़ी मामले में 11 ठिकानों पर छापेमारी, खुला अंतरराष्ट्रीय रैकेट
नई दिल्ली। देश और विदेश में फैले एक बड़े साइबर धोखाधड़ी गिरोह के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को सख्त कार्रवाई करते हुए दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम और देहरादून स्थित 11 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। यह तलाशी अभियान धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत दर्ज केस की जांच के तहत चलाया गया है।
ईडी की यह कार्रवाई सीबीआई और दिल्ली पुलिस की दर्ज एफआईआर के आधार पर शुरू की गई है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैले इस साइबर रैकेट द्वारा भारतीय और विदेशी नागरिकों को शिकार बनाने की बात सामने आई थी।

कैसे चल रहा था साइबर धोखाधड़ी का जाल?
ईडी अधिकारियों के अनुसार, यह गिरोह अत्यंत संगठित तरीके से कार्य कर रहा था। इसके सदस्य पुलिस अधिकारी, जांच एजेंसी अधिकारी, या तकनीकी सहायता विशेषज्ञ बनकर आम लोगों को फंसाते थे। उनके दो प्रमुख तरीके थे:
🔸 1. फर्जी गिरफ्तारी की धमकी देकर वसूली
- आरोपियों ने खुद को जांच एजेंसी के अधिकारी बताकर कई भारतीय और विदेशी नागरिकों को कॉल किया।
- उन्हें बताया जाता कि उनका नाम किसी आपराधिक मामले में है या उनके दस्तावेजों का दुरुपयोग हुआ है।
- डर और भ्रम की स्थिति में पीड़ितों से भारी रकम ट्रांसफर करवा ली जाती थी।
🔸 2. फर्जी तकनीकी सहायता बनकर कंप्यूटर हैकिंग
- एक दूसरी योजना में ये आरोपी माइक्रोसॉफ्ट और अमेज़न जैसी कंपनियों के फर्जी तकनीकी सहायता कर्मी बन जाते थे।
- लोगों को यह झांसा देते थे कि उनके कंप्यूटर या खातों में तकनीकी गड़बड़ी है और उसे सुधारने के लिए वे मदद कर सकते हैं।
- रिमोट एक्सेस के बहाने पीड़ितों के सिस्टम तक पहुंच प्राप्त कर लेते थे और फिर बैंक डिटेल्स व पासवर्ड चुराकर खातों से पैसा निकाल लेते थे।
किन-किन स्थानों पर हुई छापेमारी?
ईडी ने इस रैकेट से जुड़े संदिग्ध व्यक्तियों और कंपनियों के दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम और देहरादून स्थित कुल 11 परिसरों पर एक साथ छापेमारी की। छापे के दौरान महत्वपूर्ण दस्तावेज, लैपटॉप, मोबाइल फोन, हार्ड डिस्क, फर्जी आईडी और बैंक लेनदेन के रिकॉर्ड जब्त किए गए हैं।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैला नेटवर्क
जांच एजेंसियों को संदेह है कि यह साइबर गिरोह भारत में बैठकर अमेरिका, यूरोप, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के नागरिकों को भी ठग रहा था। फर्जी कॉल सेंटरों के जरिए अंतरराष्ट्रीय नंबरों से कॉल किए जाते थे, जिससे शक न हो।
इनके पास विदेशी नागरिकों की व्यक्तिगत जानकारी पहले से उपलब्ध होती थी, जिसे किसी अन्य डेटा ब्रीच या डार्क वेब से खरीदा गया हो सकता है। ईडी अब इस गिरोह के विदेशी संपर्कों और हवाला चैनलों की भी जांच कर रही है।
जांच का दायरा और बढ़ सकता है
ईडी सूत्रों के मुताबिक, छापेमारी के दौरान मिले डिजिटल सबूतों और दस्तावेजों के आधार पर आने वाले दिनों में और कई नाम और कंपनियां जांच के घेरे में आ सकती हैं। इसके अलावा कुछ संदिग्धों से पूछताछ भी की जा रही है।
यह माना जा रहा है कि यह गिरोह करोड़ों रुपये की साइबर ठगी को अंजाम दे चुका है, जिसमें से कई लेनदेन विदेशी खातों में हुए हैं।
डिजिटल सुरक्षा को लेकर चिंता
इस घटना ने एक बार फिर से डिजिटल सुरक्षा और साइबर जागरूकता की कमी को उजागर किया है। आम लोगों को तकनीकी सहायता या पुलिस अधिकारी के नाम पर आई किसी भी कॉल से सतर्क रहना चाहिए और किसी को भी OTP, पासवर्ड, या बैंक विवरण साझा नहीं करना चाहिए।
सरकार और एजेंसियों द्वारा बार-बार साइबर अलर्ट जारी किए जाते हैं, लेकिन आम जनता तक इसकी जागरूकता की कमी का फायदा ऐसे गिरोह उठाते हैं।
ईडी की यह छापेमारी डिजिटल अपराधों के खिलाफ एक सख्त कदम है। यह केवल आर्थिक अपराध नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा मामला बन चुका है। साइबर अपराधों की जड़ें अब केवल तकनीक तक सीमित नहीं रह गईं, बल्कि यह धोखाधड़ी, डर और चालाकी के मेल से संचालित हो रही हैं।
ऐसे में आवश्यक है कि सरकारें, एजेंसियां और आम लोग मिलकर साइबर अपराधों के खिलाफ व्यापक सुरक्षा व्यवस्था और सतर्कता बनाएं।
स्वदेश ज्योति के द्वारा | और भी दिलचस्प खबरें आपके लिए… सिर्फ़ स्वदेश ज्योति पर!