July 31, 2025 4:04 PM

अनिल अंबानी की कंपनियों पर तीसरे दिन भी ईडी की छापेमारी, 3,000 करोड़ रुपये के लोन घोटाले की जांच तेज

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अनिल अंबानी की कंपनियों पर ईडी का शिकंजा, 3000 करोड़ लोन घोटाले की जांच जारी

मुंबई। देश के चर्चित उद्योगपतियों में शुमार अनिल अंबानी की कंपनियों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई तीसरे दिन भी जारी रही। ईडी की टीम लगातार शनिवार को तीसरे दिन मुंबई में स्थित रिलायंस ग्रुप की कंपनियों और उनके कार्यालयों में छापेमारी करती रही। यह छापेमारी यस बैंक लोन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोपों के तहत हो रही है, जिसमें हजारों करोड़ रुपये की हेराफेरी का संदेह जताया जा रहा है।

3,000 करोड़ रुपये का लोन, शेल कंपनियों में ट्रांसफर

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, ईडी को प्रारंभिक जांच में यह पता चला है कि 2017 से 2019 के बीच यस बैंक ने अनिल अंबानी की कंपनी को लगभग 3,000 करोड़ रुपये का लोन दिया था। आरोप है कि इस राशि को शेल कंपनियों और रिलायंस ग्रुप की अन्य इकाइयों के जरिए विभिन्न खातों में ट्रांसफर किया गया। इससे यह संदेह और मजबूत हो गया है कि यह पूरा लेन-देन एक सुनियोजित मनी लॉन्ड्रिंग योजना का हिस्सा था।

जांच में यह भी सामने आया है कि यस बैंक के कई अधिकारियों, जिनमें बैंक के प्रमोटर भी शामिल बताए जा रहे हैं, को इस संदिग्ध लेन-देन के बदले में रिश्वत दी गई। दस्तावेजों और डिजिटल डेटा के रूप में जो साक्ष्य ईडी को मिले हैं, वे इन लेन-देन की परतें खोलने में महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं।

एसबीआई ने घोषित किया ‘फ्रॉड’

इस प्रकरण की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अनिल अंबानी और उनकी प्रमुख कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस को आधिकारिक रूप से ‘फ्रॉड’ यानी धोखाधड़ीकर्ता घोषित कर दिया है। इसके बाद ही ईडी ने इस मामले की गहन जांच शुरू की थी और अब तीसरे दिन भी लगातार कार्रवाई जारी है।

रिलायंस समूह का स्पष्टीकरण

ईडी की छापेमारी के बीच रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने एक आधिकारिक बयान जारी कर सफाई दी है। बयान में कहा गया है कि “यह छापेमारी समूह की उन पुरानी कंपनियों से जुड़ी है, जो अब सक्रिय नहीं हैं। वर्तमान में चल रही कंपनियों या उनकी कार्यप्रणाली से इस जांच का कोई संबंध नहीं है।”

बयान में यह भी कहा गया कि “जिन मामलों की जांच चल रही है, वे सार्वजनिक संस्थानों के साथ लोन हेराफेरी, रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी जैसे आरोपों से संबंधित हैं, और इसका आज की व्यावसायिक गतिविधियों पर कोई प्रभाव नहीं है।”

अनिल अंबानी के आवास पर नहीं हुई छापेमारी

एक ओर जहां ईडी की टीम लगातार उनके व्यावसायिक परिसरों में तलाशी अभियान चला रही है, वहीं यह उल्लेखनीय है कि अनिल अंबानी के आवास पर अभी तक कोई छापेमारी नहीं हुई है। हालांकि ईडी के अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि जांच की दिशा में यदि आवश्यकता पड़ी, तो आगे की कार्रवाई से परहेज़ नहीं किया जाएगा।

प्रभाव और संभावित परिणाम

ईडी की यह जांच एक बार फिर देश में कॉरपोरेट क्षेत्र में पारदर्शिता और नैतिकता को लेकर बहस को जन्म दे सकती है। अनिल अंबानी की कंपनियों पर पहले भी कई वित्तीय विवादों और ऋण न चुकाने के आरोप लग चुके हैं। यदि इस मामले में लोन हेराफेरी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप सिद्ध होते हैं, तो यह भारत के कॉरपोरेट क्षेत्र की छवि के लिए एक गंभीर झटका हो सकता है।


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