रायपुर, दुर्ग, भिलाई और बिलासपुर में ईडी की छापेमारी, कृषि कारोबारियों और बीज निगम पर जांच
रायपुर। छत्तीसगढ़ में बुधवार सुबह से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया। राजधानी रायपुर समेत दुर्ग, भिलाई और बिलासपुर में ईडी की टीमों ने एक साथ कई स्थानों पर छापेमारी शुरू की। यह कार्रवाई कृषि कारोबार से जुड़े व्यापारियों, ठेकेदारों और बिचौलियों के ठिकानों पर धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत की जा रही है।
रायपुर में कई जगह दबिश
पुलिस सूत्रों के मुताबिक रायपुर शहर में करीब 8 से 10 स्थानों पर ईडी की टीमें सुबह से ही दबिश दे रही हैं। शंकर नगर स्थित कारोबारी विनय गर्ग के आवास के साथ ही महावीर नगर और अमलीडीह-विस्टा कॉलोनी में भी छापेमारी चल रही है। टीम के साथ सुरक्षाबल के जवान तैनात किए गए हैं ताकि किसी प्रकार की बाधा या अप्रिय स्थिति पैदा न हो।

भिलाई में अन्न भूमि लिमिटेड पर जांच
भिलाई में ईडी ने अन्न भूमि लिमिटेड के डायरेक्टर शिव कुमार मोदी के आवास और दफ्तर पर छापा मारा है। कंपनी पर कृषि उत्पादों और बीज कारोबार से जुड़ी अनियमितताओं के आरोप लगे हैं। बताया जा रहा है कि जांच एजेंसी वित्तीय लेन-देन से संबंधित अहम दस्तावेजों और डिजिटल रिकॉर्ड की पड़ताल कर रही है।
18 परिसरों पर एक साथ कार्रवाई
ईडी सूत्रों के अनुसार, छत्तीसगढ़ में इस समय कम से कम 18 परिसरों पर छापेमारी की जा रही है। इनमें व्यापारियों, ठेकेदारों और कथित बिचौलियों के ठिकाने शामिल हैं। माना जा रहा है कि यह छापेमारी कई महीनों से जुटाई गई जानकारियों और शिकायतों के आधार पर की जा रही है।
डीएमएफ निधि और बीज निगम से जुड़ा मामला
आरोप है कि छत्तीसगढ़ के बीज निगम के माध्यम से जिला खनिज निधि (DMF) की राशि का दुरुपयोग किया गया। सूत्रों का कहना है कि इस राशि को कृषि से जुड़े अनुबंधों और सौदों के नाम पर हेरफेर किया गया और बाद में धनशोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) के जरिए सफेद बनाने की कोशिश की गई। ईडी इसी संदर्भ में अब कारोबारियों और कंपनियों की भूमिका की जांच कर रही है।

छत्तीसगढ़ में फिर बढ़ा राजनीतिक तापमान
ईडी की इस ताबड़तोड़ कार्रवाई ने छत्तीसगढ़ की राजनीति को भी गरमा दिया है। विपक्ष लंबे समय से राज्य में भ्रष्टाचार और धनशोधन को लेकर सवाल उठाता रहा है। वहीं, सत्तारूढ़ दल इस तरह की कार्रवाइयों को “राजनीतिक दबाव” से जोड़कर देखता आया है। इस बीच, आम जनता के बीच यह चर्चा भी तेज हो गई है कि आखिरकार डीएमएफ जैसी निधि, जो खनन प्रभावित इलाकों के विकास के लिए बनाई गई थी, उसका पैसा कैसे कृषि कारोबारियों और निजी कंपनियों तक पहुंचा।
जांच में हो सकते हैं बड़े खुलासे
ईडी के अधिकारी अभी छापेमारी की आधिकारिक जानकारी साझा नहीं कर रहे हैं। लेकिन सूत्रों का मानना है कि आने वाले समय में इस कार्रवाई से बड़े वित्तीय घोटाले का पर्दाफाश हो सकता है। दस्तावेजों की जब्ती और इलेक्ट्रॉनिक डाटा की जांच के बाद कई नाम और कंपनियां जांच के दायरे में आ सकती हैं।
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