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February 5, 2025 10:09 AM

अडाणी विल्मर से अलग होगी अडाणी एंटरप्राइजेज: ₹17,101 करोड़ जुटाने की तैयारी

**अडाणी विल्मर से अलग होती अडाणी एंटरप्राइजेज, हिस्सेदारी बिक्री से ₹17,101 करोड़ जुटाने की योजना।**

अडाणी एंटरप्राइजेज ने अडाणी विल्मर जॉइंट वेंचर से एग्जिट का ऐलान किया

अडाणी ग्रुप की प्रमुख कंपनी अडाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (AEL) ने फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) क्षेत्र में काम करने वाली अडाणी विल्मर जॉइंट वेंचर से अलग होने का फैसला किया है। इस प्रक्रिया के तहत कंपनी अडाणी विल्मर में अपनी पूरी 44% हिस्सेदारी बेचने जा रही है। इस हिस्सेदारी की बिक्री से कंपनी को करीब ₹17,101 करोड़ जुटाने की उम्मीद है।

हिस्सेदारी बेचने का कारण और प्रक्रिया

30 दिसंबर को अडाणी एंटरप्राइजेज ने स्टॉक एक्सचेंज में फाइलिंग के जरिए जानकारी दी कि यह निर्णय “मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग रिक्वायरमेंट्स” के अनुपालन के लिए लिया गया है। नियमों के तहत कंपनी को सार्वजनिक शेयरहोल्डिंग की न्यूनतम सीमा बनाए रखनी होती है।

इस उद्देश्य से अडाणी एंटरप्राइजेज पहले चरण में अडाणी विल्मर में अपनी 13% हिस्सेदारी बेचेगी। इसके बाद शेष 31.06% हिस्सेदारी को एक विशेष समझौते के तहत बेचा जाएगा।

लेंस प्राइवेट लिमिटेड खरीदेगी शेष हिस्सेदारी

अडाणी एंटरप्राइजेज, अडाणी कमोडिटीज एलएलपी (ACL) और लेंस प्राइवेट लिमिटेड के बीच हुए एक समझौते के अनुसार, लेंस प्राइवेट लिमिटेड ACL के पास मौजूद अडाणी विल्मर के इक्विटी शेयर्स खरीदेगी। यह बिक्री शेष 31.06% हिस्सेदारी के लिए होगी।

अडाणी ग्रुप के लिए महत्व

इस हिस्सेदारी बिक्री से अडाणी ग्रुप को अपने फंड्स को मजबूत करने का अवसर मिलेगा। ₹17,101 करोड़ की राशि से ग्रुप अपने अन्य प्रोजेक्ट्स में निवेश कर सकेगा और मौजूदा वित्तीय स्थितियों में स्थिरता ला सकेगा।

अडाणी विल्मर का परिचय

अडाणी विल्मर एक प्रमुख FMCG कंपनी है, जो खाद्य तेल, आटा, चावल और अन्य उत्पादों के लिए जानी जाती है। यह कंपनी अडाणी ग्रुप और विल्मर इंटरनेशनल लिमिटेड के बीच एक जॉइंट वेंचर के तौर पर संचालित होती थी।

इस फैसले से अडाणी विल्मर के भविष्य की रणनीतियों और इसके मालिकाना ढांचे में बदलाव की संभावना है, लेकिन इसका सीधा प्रभाव कंपनी के उत्पाद और सेवाओं पर नहीं पड़ेगा।

अडाणी एंटरप्राइजेज का यह कदम ग्रुप की दीर्घकालिक वित्तीय और रणनीतिक योजनाओं का हिस्सा है। इससे न केवल पब्लिक शेयरहोल्डिंग के नियमों का पालन होगा, बल्कि ग्रुप की वित्तीय स्थिति भी मजबूत होगी। दूसरी ओर, यह देखना दिलचस्प होगा कि विल्मर इंटरनेशनल और अन्य साझेदार इस बदलाव के बाद कंपनी की दिशा में क्या कदम उठाते हैं।

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