अवैध नाम हटाने और डेटा अपडेट करने का अभियान, पांच राज्यों में पहले चरण की तैयारी पूरी

देशभर में मतदाता सूची का सत्यापन करवाएगा चुनाव आयोग, पश्चिम बंगाल से होगी शुरुआत

नई दिल्ली। चुनाव आयोग अब पूरे देश में मतदाता सूची के सत्यापन (एसआईआर) का व्यापक अभियान शुरू करने जा रहा है। बिहार में सफल प्रयोग के बाद अब आयोग ने इस प्रक्रिया को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने का निर्णय लिया है।
पहले चरण की शुरुआत पश्चिम बंगाल, असम, केरल, पुडुचेरी और तमिलनाडु से की जाएगी। इन राज्यों में वर्ष 2026 में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं।

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने जानकारी दी कि एसआईआर (Special Intensive Revision) का उद्देश्य मतदाता सूची को अधिक सटीक, पारदर्शी और त्रुटिरहित बनाना है ताकि प्रत्येक पात्र नागरिक का नाम शामिल हो और अवैध मतदाताओं को हटाया जा सके।

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क्या है एसआईआर (Special Intensive Revision)?

एसआईआर यानी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन — एक विशेष अभियान होता है, जिसके तहत निर्वाचन आयोग मतदाता सूचियों की गहन जांच करता है।
इस प्रक्रिया में —

  • मृत व्यक्तियों, स्थानांतरित लोगों और विदेशी नागरिकों के नाम हटाए जाते हैं,
  • नए पात्र मतदाताओं को सूची में जोड़ा जाता है,
  • और मतदाताओं के पते, उम्र व पहचान संबंधी डेटा को अद्यतन किया जाता है।

इस अभियान का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक वैध नागरिक का मतदान अधिकार सुरक्षित रहे और किसी प्रकार की दोहराव या फर्जी प्रविष्टि न हो।


बिहार के बाद देशव्यापी विस्तार

चुनाव आयोग ने बिहार में एसआईआर का पायलट प्रोजेक्ट सफलतापूर्वक पूरा किया था।
अब इसी मॉडल को पूरे देश में लागू किया जा रहा है।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि बिहार में इस प्रक्रिया से मतदाता सूची की सटीकता में उल्लेखनीय सुधार हुआ और अब यही प्रणाली अन्य राज्यों में लागू की जाएगी।

उन्होंने बताया कि देश के सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEO) के साथ समीक्षा बैठकें की जा चुकी हैं और फील्ड टीमों को दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं।


पश्चिम बंगाल से शुरुआत, पांच राज्यों में पहला चरण

आयोग के अनुसार, एसआईआर का पहला चरण पश्चिम बंगाल से शुरू होगा।
इसके बाद असम, केरल, पुडुचेरी और तमिलनाडु में क्रमशः इसे लागू किया जाएगा।
इन राज्यों में अगले वर्ष से मतदाता सूची संशोधन की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी, ताकि 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले नई और अद्यतन सूची तैयार की जा सके।

आयोग का मानना है कि विशेषकर पश्चिम बंगाल और असम जैसे सीमावर्ती राज्यों में मतदाता सूचियों की सटीकता और पारदर्शिता अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि यहां अवैध प्रवासियों और स्थानांतरण मामलों की शिकायतें अक्सर मिलती हैं।


पारदर्शिता और तकनीकी साधनों का प्रयोग

एसआईआर के दौरान चुनाव आयोग आधुनिक तकनीकी साधनों का उपयोग करेगा।
आयोग अब डिजिटल वोटर वेरिफिकेशन ऐप (VHA), आधार लिंकिंग, और जियो-टैगिंग जैसी तकनीकों की मदद से मतदाता सूची के प्रत्येक प्रविष्टि की पुष्टि करेगा।
आयोग का कहना है कि मतदाता सूची की सटीकता से चुनाव प्रक्रिया पर जनता का भरोसा और मजबूत होगा।

आयोग ने राज्य सरकारों को भी निर्देश दिया है कि वे अपने स्थानीय निकायों, ग्राम पंचायतों और शहरी निकायों को इस कार्य में सहयोग देने के लिए सक्रिय करें।


मुख्य चुनाव आयुक्त का बयान

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने 6 अक्टूबर को कहा था कि देश के सभी राज्यों में एसआईआर की तैयारी चल रही है और इस पर अंतिम निर्णय चुनाव आयोग की पूर्ण बैठक में लिया जाएगा।
उन्होंने कहा, “मतदाता सूची लोकतंत्र की आत्मा है। यदि इसमें त्रुटियां होंगी, तो चुनाव की विश्वसनीयता पर प्रश्न उठेगा। इसलिए यह अभियान पूरे देश में प्राथमिकता से चलाया जा रहा है।”

आयोग के तीनों आयुक्तों की बैठक जल्द आयोजित की जाएगी, जिसमें राज्यों में एसआईआर शुरू करने की तारीखें तय की जाएंगी।


अवैध मतदाताओं पर कड़ा रुख

सूत्रों के अनुसार, आयोग का विशेष ध्यान उन राज्यों पर है जहां अवैध मतदाता प्रविष्टियों या विदेशी नागरिकों के नाम शामिल होने की शिकायतें सामने आई हैं।
एसआईआर के दौरान इस तरह की प्रविष्टियों को चिन्हित कर स्थायी रूप से हटाया जाएगा।
साथ ही, पात्र नागरिकों के लिए ऑनलाइन पंजीकरण और सत्यापन प्रणाली को और सरल बनाया जाएगा।


नागरिकों की सहभागिता भी जरूरी

चुनाव आयोग ने आम नागरिकों से भी अपील की है कि वे इस प्रक्रिया में सक्रिय भाग लें।
लोग अपने नाम, पते और अन्य विवरणों की जांच राष्ट्रीय मतदाता सेवा पोर्टल (NVSP) या वोटर हेल्पलाइन ऐप के माध्यम से कर सकते हैं।
संदिग्ध या गलत प्रविष्टि मिलने पर नागरिक सीधे बीएलओ या निर्वाचन कार्यालय में शिकायत दर्ज कर सकते हैं।


लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में कदम

एसआईआर अभियान को विशेषज्ञ लोकतांत्रिक पारदर्शिता और नागरिक भागीदारी की दिशा में एक बड़ा कदम मान रहे हैं।
इससे न केवल चुनाव प्रणाली की विश्वसनीयता बढ़ेगी, बल्कि मतदाता सूची की गुणवत्ता भी अंतरराष्ट्रीय मानकों तक पहुंच सकेगी।