वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का मुद्दा गरमाया, आयोग ने उठाई प्रमाण की मांग

चुनाव आयोग का राहुल गांधी को अल्टीमेटम: आरोप सही हैं तो हलफनामा दें, वरना माफी मांगें

नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा मतदाता सूची में गड़बड़ी और "वोट चोरी" के आरोप लगाने के बाद चुनाव आयोग ने सख्त प्रतिक्रिया दी है। आयोग ने राहुल गांधी से कहा है कि यदि वे अपने आरोपों को सही मानते हैं तो उस पर विधिवत हलफनामा दाखिल करें, अन्यथा अपने बयान के लिए सार्वजनिक रूप से देश से माफी मांगें।

चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी की ओर से लगाए गए आरोप बेहद गंभीर हैं और अगर उनमें सच्चाई है तो उन्हें दस्तावेज़ी रूप से प्रमाणित किया जाना चाहिए। आयोग ने कहा कि इस प्रकार के आरोप न केवल उसकी निष्पक्षता पर सवाल उठाते हैं बल्कि लोकतंत्र की नींव को भी कमजोर करते हैं।

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क्या कहा था राहुल गांधी ने?

7 अगस्त को दिल्ली में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर मतदाता सूची में संगठित गड़बड़ी और 'वोट चोरी' का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था—

“हमने वोट चोरी का एक मॉडल सामने रखा है। मुझे पूरा विश्वास है कि यही मॉडल देश की कई लोकसभा और विधानसभा सीटों पर प्रयोग में लाया गया है।

राहुल गांधी ने एक प्रजेंटेशन के जरिए दावा किया कि दिल्ली सहित कई राज्यों में वोटर डेटा में छेड़छाड़ की गई है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुछ बाहरी एजेंसियों और राजनीतिक संगठनों ने मिलकर मतदाता सूची में हेरफेर की है, जिससे चुनाव की निष्पक्षता प्रभावित हुई।


चुनाव आयोग का सख्त रुख

चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए स्पष्ट किया कि—

“यदि राहुल गांधी को अपने आरोपों पर पूरा भरोसा है, तो वे इस संबंध में एक घोषणापत्र या हलफनामा दाखिल करें। अगर वे ऐसा नहीं कर सकते, तो उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए।” – सूत्र, चुनाव आयोग

आयोग के अनुसार, ऐसी सार्वजनिक टिप्पणियां न केवल संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाती हैं, बल्कि मतदाताओं के बीच भ्रम भी फैलाती हैं। आयोग ने यह भी संकेत दिया कि वह इस मामले में औपचारिक नोटिस भी भेज सकता है।

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राजनीतिक हलकों में प्रतिक्रिया

राहुल गांधी के इस बयान और चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया के बाद देश की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है। कांग्रेस पार्टी ने चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया को "अत्यधिक रक्षात्मक" बताया है और कहा है कि राहुल गांधी ने जो तथ्य प्रस्तुत किए, वे ठोस हैं और आयोग को उनका विश्लेषण करना चाहिए, न कि डराने या धमकाने की भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए।

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा—

“हमने जो तकनीकी और भौगोलिक विश्लेषण पेश किया है, वह मतदाता सूची में गंभीर विसंगतियों को उजागर करता है। आयोग का काम है जांच करना, न कि प्रतिशोध लेना।”

वहीं भाजपा नेताओं ने राहुल गांधी के आरोपों को निराधार बताया और कहा कि यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बदनाम करने की कोशिश है।


विशेषज्ञों की राय

चुनावी प्रक्रिया से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि यदि कोई राजनीतिक दल या नेता मतदाता सूची में गड़बड़ी के आरोप लगाता है, तो उसे स्पष्ट साक्ष्य प्रस्तुत करने होते हैं। ऐसे आरोपों को केवल प्रेस कॉन्फ्रेंस में कह देने से बात नहीं बनती।

चुनाव विश्लेषक प्रो. अशोक तिवारी के अनुसार—

“चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाना बहुत बड़ी बात है। यदि राहुल गांधी के पास ठोस प्रमाण हैं, तो उन्हें कानूनी रास्ता अपनाना चाहिए और उचित दस्तावेज प्रस्तुत करने चाहिए।”


क्या हो सकता है आगे?

चुनाव आयोग यदि आधिकारिक रूप से राहुल गांधी को नोटिस जारी करता है, तो उन्हें या तो अपने दावे पर कानूनी हलफनामा प्रस्तुत करना होगा या सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी पड़ सकती है। यदि यह मामला लंबा खिंचता है, तो यह भविष्य के चुनावों से पहले एक बड़ा राजनीतिक और कानूनी विवाद बन सकता है।


राहुल गांधी द्वारा उठाए गए वोटर लिस्ट में गड़बड़ी के आरोपों ने राजनीतिक वातावरण को गर्म कर दिया है। चुनाव आयोग की सख्त प्रतिक्रिया ने इस मामले को गंभीर बना दिया है। अब यह देखना होगा कि राहुल गांधी अपने दावों को कानूनी रूप से सिद्ध करते हैं या माफी मांगते हैं। इस विवाद का असर आने वाले चुनावों पर भी पड़ सकता है।



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