July 31, 2025 7:55 PM

समय से पहले आया मानसून बना तबाही का कारण: हिमाचल-उत्तराखंड में 100 से अधिक मौतें, कई राज्यों में बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त

  • देश के कई हिस्सों में मूसलाधार बारिश, बाढ़, भूस्खलन और बादल फटने की घटनाओं से व्यापक जनहानि और संपत्ति का नुकसान हुआ

नई दिल्ली। देश में इस वर्ष समय-पूर्व आया मानसून राहत के बजाय आफत बनकर आया है। 20 जुलाई तक देश के कई हिस्सों में मूसलाधार बारिश, बाढ़, भूस्खलन और बादल फटने की घटनाओं से व्यापक जनहानि और संपत्ति का नुकसान हुआ है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार इस बार अब तक देश में औसतन 6 प्रतिशत अधिक वर्षा रिकॉर्ड की गई है, लेकिन यह बारिश हर राज्य में समान नहीं रही। कुछ क्षेत्रों में सामान्य से 40 प्रतिशत अधिक तो कुछ में बहुत कम वर्षा हुई है, जिससे विपरीत परिस्थितियां उत्पन्न हुई हैं।

सबसे अधिक प्रभावित राज्य

हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, असम, महाराष्ट्र और गुजरात में हालात सबसे ज्यादा खराब हैं।

  • हिमाचल और उत्तराखंड में भूस्खलन, बादल फटना और मूसलाधार बारिश से 100 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। सैकड़ों गांव प्रभावित हुए हैं और करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ है।
  • असम में ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों में आई बाढ़ से लाखों लोग प्रभावित हैं।
  • महाराष्ट्र और गुजरात में कोल्हापुर, नासिक और सौराष्ट्र जैसे जिलों में जलभराव, फसल क्षति और यातायात ठप हो गया है।

खतरे के निशान से ऊपर बह रहीं नदियां

गुजरात के सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्रों में जून महीने में ही सामान्य से 300 प्रतिशत अधिक वर्षा हो चुकी है। नदियों के उफान से हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। राहत और बचाव कार्यों में एनडीआरएफ और सेना की सहायता ली जा रही है।

  • बिहार के सात जिलों में गंगा, कोसी और अन्य नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। पटना सहित कई जिले बाढ़ की चपेट में हैं।
  • उत्तर प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्रों में सामान्य से 45 प्रतिशत कम वर्षा दर्ज की गई है जिससे खरीफ फसल की बुआई पर गंभीर असर पड़ा है।
  • झारखंड और बुंदेलखंड में अतिवृष्टि के चलते खेतों में पानी भर गया है, जिससे बुआई रुक गई है।

वर्षा की असमानता बनी समस्या

देश के कुछ हिस्से अभी भी वर्षा के लिए तरस रहे हैं।

  • पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पूर्वी राजस्थान में सबसे कम वर्षा दर्ज की गई है।
  • हरियाणा के महेन्द्रगढ़, फतेहाबाद और रेवाड़ी, पंजाब के मालवा क्षेत्र तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ, बागपत, शामली जैसे जिलों में औसत से 50 प्रतिशत कम बारिश हुई है। इससे धान और गन्ने की खेती पर बुरा असर पड़ा है।

मानसून रहेगा सक्रिय

आईएमडी ने पूर्वानुमान में बताया है कि अगस्त और सितंबर में पूर्वी और दक्षिण भारत में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है। दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा और पंजाब में जुलाई के अंतिम सप्ताह से भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है। मौसम वैज्ञानिक मृत्युंजय महापात्र के अनुसार 2025 का मानसून अल नीनो से मुक्त है, लेकिन इससे चरम मौसमी घटनाएं और बढ़ सकती हैं।

राजस्थान में भी वर्षा का कहर

राजस्थान के अजमेर समेत कई शहरों में जलभराव की स्थिति बन गई है। आनासागर झील के उफान के कारण कई मार्ग बंद कर दिए गए हैं। अस्पतालों तक में पानी भर गया है, जिससे मरीजों और स्वास्थ्य सेवाओं पर असर पड़ा है।

अरुणाचल में 15 लोगों की मौत

पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश में मूसलाधार बारिश के कारण कई क्षेत्रों में भूस्खलन और बाढ़ से तबाही मच गई है। अब तक 15 लोगों की मौत हो चुकी है और कई गांवों का संपर्क टूट गया है। देशभर में असमान मानसून की मार से जहां एक ओर बाढ़ और अतिवृष्टि ने कहर ढाया है, वहीं दूसरी ओर सूखे जैसे हालातों ने कृषि संकट को गहरा कर दिया है। आने वाले सप्ताहों में स्थिति और गंभीर हो सकती है।

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