नई दिल्ली।
दिल्ली के द्वारका सेक्टर-13 स्थित शब्द अपार्टमेंट की सातवीं मंजिल पर मंगलवार सुबह दिल दहला देने वाली घटना घटी, जब एक फ्लैट में भीषण आग लग गई। इस हादसे में एक पिता और उसके दो मासूम बच्चों की जान चली गई। आग से बचने के लिए तीनों ने बालकनी से छलांग लगा दी, लेकिन अस्पताल में डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
जान बचाने के लिए सातवीं मंजिल से कूदी मासूम ज़िंदगी
घटना सुबह करीब 10 बजे की है, जब शब्द अपार्टमेंट के सातवें फ्लोर पर स्थित फ्लैट से धुएं और आग की लपटें उठने लगीं। फ्लैट में मौजूद 35 वर्षीय यश यादव अपने 10 वर्षीय बेटे और बेटी के साथ आग में फंस गए थे। जैसे-जैसे आग ने विकराल रूप लिया, तीनों के पास बचने का कोई रास्ता नहीं बचा।
बचाव के लिए बच्चों ने अपने पिता के साथ सातवीं मंजिल की बालकनी से छलांग लगा दी। मौके पर पहुंचे अन्य लोगों ने तत्काल उन्हें अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने तीनों को मृत घोषित कर दिया।

दमकल की 8 गाड़ियों ने संभाला मोर्चा
दिल्ली फायर सर्विस को सुबह 10:01 बजे घटना की सूचना मिली, जिसके बाद 8 फायर टेंडर मौके पर भेजे गए। दमकलकर्मियों ने बिना देर किए रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया और आग पर काबू पाने की कोशिश की। आग लगने के कारण का अभी तक स्पष्ट रूप से पता नहीं चल पाया है, लेकिन अधिकारियों के अनुसार इसकी जांच जारी है।
कुल 5 लोग घायल, दो का इलाज जारी
फायर डिपार्टमेंट के अनुसार, इस हादसे में कुल 5 लोग घायल हुए। इनमें से चार को आकाश अस्पताल और एक को इंदिरा गांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
- आकाश अस्पताल में भर्ती दो बच्चों को मृत घोषित किया गया।
- इंदिरा गांधी अस्पताल में भर्ती यश यादव को भी डॉक्टरों ने मृत बताया।
- अन्य दो घायलों का इलाज अब भी जारी है।
हादसे की भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दमकलकर्मियों के पहुंचने से पहले ही घायलों को स्थानीय लोगों ने अस्पताल पहुंचा दिया था।
नांगलोई में भी हो चुका है ऐसा हादसा
इससे पहले फरवरी में नांगलोई इलाके में एक दो मंजिला मकान में आग लगने की घटना सामने आई थी। आग इतनी तेजी से फैली कि ऊपर की मंजिलों में मौजूद 6 लोगों को बिल्डिंग से कूदकर जान बचानी पड़ी। इस घटना में दो महिलाएं, तीन युवक और एक किशोर घायल हुए थे। प्राथमिक जांच में यह हादसा गैस लीक के कारण बताया गया था।
फिर उठे सवाल: ऊंची इमारतों में अग्निशमन सुरक्षा कितनी कारगर?
द्वारका और नांगलोई जैसी घटनाओं से यह सवाल फिर उठता है कि क्या राजधानी दिल्ली की बहुमंजिला इमारतें अग्निशमन मानकों पर खरी उतरती हैं? क्या समय पर सुरक्षा उपकरणों की जांच होती है? और क्या निवासियों को आपात स्थिति में बचने के उपायों की जानकारी दी जाती है?
द्वारका की इस घटना ने एक बार फिर फ्लैट संस्कृति में सुरक्षा के अभाव की पोल खोल दी है। अब देखना होगा कि प्रशासन और सोसाइटी प्रबंधन इस घटना से क्या सबक लेते हैं।
स्वदेश ज्योति के द्वारा और भी दिलचस्प खबरें आपके लिए… सिर्फ़ स्वदेश ज्योति पर!