नेपाल में राजतंत्र समर्थक नेता दुर्गा प्रसाई जेल से रिहा, उच्च न्यायालय ने दी जमानत पर रिहाई

काठमांडू। नेपाल में राजतंत्र की पुनःस्थापना और वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था के विरोध में सक्रिय आंदोलन चला रहे दुर्गा प्रसाई को सोमवार को उच्च न्यायालय के आदेश के बाद जेल से रिहा कर दिया गया। वे पिछले करीब डेढ़ महीने से दिल्लीबाजार जेल में बंद थे। अदालत ने उन्हें 28 लाख रुपये की जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया।

जेल से बाहर आने के तुरंत बाद प्रसाई ने सोशल मीडिया पर समर्थकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वे राष्ट्र निर्माण की योजनाओं के साथ लौटे हैं और अपने संघर्ष को और तेज करेंगे।

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उच्च न्यायालय से मिली राहत

काठमांडू जिला अदालत ने 13 जून को प्रसाई को न्यायिक हिरासत में भेजा था। उन पर कई मामले लंबित थे, जिनमें सार्वजनिक व्यवस्था भंग करने और भड़काऊ भाषण देने जैसे आरोप शामिल थे। हालांकि, सोमवार को उच्च न्यायालय ने सभी मामलों में उन्हें जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि रिहाई 28 लाख रुपये की जमानत राशि जमा करने की शर्त पर ही दी जाएगी।


समर्थकों को धन्यवाद, न्यायपालिका पर जताया भरोसा

रिहाई के तुरंत बाद फेसबुक पर एक पोस्ट साझा करते हुए दुर्गा प्रसाई ने देश-विदेश के नेपाली नागरिकों को समर्थन देने के लिए धन्यवाद कहा। उन्होंने लिखा—

"मैं उन सभी को नमन करता हूं जिन्होंने इस कठिन समय में मेरा साथ दिया। मैं न्यायपालिका को भी धन्यवाद देता हूं कि उसने यह साबित कर दिया कि नेपाल में न्याय व्यवस्था अभी मृत नहीं है।"

उन्होंने जेल प्रशासन, नेपाल पुलिस और fellow inmates के सहयोग के लिए भी आभार जताया।

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आंदोलन को और मजबूती देने का ऐलान

पत्रकारों से संक्षिप्त बातचीत में दुर्गा प्रसाई ने कहा कि वह देश की सेवा के लिए पहले भी समर्पित थे और आगे भी रहेंगे। उन्होंने दो टूक कहा—

"सत्ता और शासन बदल सकते हैं, लेकिन मेरा चरित्र नहीं बदलेगा। मैं देश के लिए था, हूं और हमेशा रहूंगा।"

प्रसाई ने इशारा किया कि वे राजतंत्र समर्थक आंदोलन को और भी संगठित रूप देंगे और भविष्य में राष्ट्र के हित में कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं।

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कौन हैं दुर्गा प्रसाई?

  • दुर्गा प्रसाई नेपाल के एक उद्योगपति और सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जो पिछले कुछ वर्षों में राजनीतिक और वैचारिक गतिविधियों के कारण चर्चा में रहे।
  • वे राजतंत्र की वापसी और मौजूदा लोकतांत्रिक व्यवस्था की आलोचना के लिए जाने जाते हैं।
  • उनका समर्थन विशेष रूप से युवा वर्ग और पारंपरिक मूल्यों के पक्षधर समूहों में देखा गया है।

सरकार के लिए चुनौती बनते जा रहे हैं प्रसाई

दुर्गा प्रसाई का बढ़ता प्रभाव सरकार के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है। उनके आंदोलनों में बढ़ती भीड़ और युवाओं की भागीदारी ने मौजूदा राजनीतिक दलों के लिए चुनौतीपूर्ण माहौल तैयार किया है। उनकी गिरफ्तारी को लेकर भी सरकार की आलोचना हुई थी कि यह विरोध की आवाज को दबाने का प्रयास है।

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दुर्गा प्रसाई की रिहाई न केवल राजतंत्र समर्थकों के लिए उत्साह का विषय है, बल्कि यह आने वाले दिनों में नेपाल की राजनीति में एक नई हलचल का संकेत भी हो सकती है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वे जेल से बाहर आने के बाद अपने आंदोलन को किस दिशा में आगे ले जाते हैं।



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