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April 19, 2025 10:53 PM

प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा का आईआईएम में संबोधन: भारत अब वैश्विक नवाचार पावर हाउस बन चुका है

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प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा ने 18 अप्रैल को संबलपुर (ओडिशा) स्थित भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) के 9वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने भारत के विकास और भविष्य के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण पर जोर दिया और बताया कि भारत अब एक वैश्विक नवाचार पावर हाउस बन चुका है।

5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था: केवल आंकड़ा नहीं, सामाजिक और वैश्विक परिवर्तन का प्रतीक

डॉ. मिश्रा ने भारत के 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को सिर्फ एक जीडीपी आंकड़ा न मानकर उसे लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने, विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे, ऊर्जा, सुरक्षा और डिजिटल सशक्तिकरण के लिए एक दृष्टिकोण के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा, “यह लक्ष्य केवल आर्थिक विकास के बारे में नहीं है, बल्कि यह सामाजिक समृद्धि और सभी के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने के बारे में है।”

प्रधानमंत्री मोदी का ‘सुधार, प्रदर्शन, परिवर्तन’ दृष्टिकोण

डॉ. मिश्रा ने प्रधानमंत्री मोदी के ‘सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन’ के मंत्र को दोहराया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री चाहते हैं कि हम देश को अगले स्तर तक पहुंचाने के लिए हर क्षेत्र में सुधार लाएं। यह सुनिश्चित करने के लिए हमें सभी को मिलकर काम करना होगा ताकि भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बन सके।

वैश्विक अवसर और चुनौतियां

अपने संबोधन में डॉ. मिश्रा ने वर्तमान वैश्विक भू-राजनीतिक और आर्थिक स्थिति पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि हम एक ऐतिहासिक मोड़ पर खड़े हैं, जहाँ वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान, संरक्षणवादी नीतियां और बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव जैसे जटिल मुद्दे सामने आ रहे हैं। इसके बावजूद, उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि तकनीकी प्रगति और नए व्यापार संबंधों के निर्माण के साथ भारत इन अवसरों का लाभ उठाने के लिए तैयार है।

भारत का वैश्विक प्रभाव और नवाचार में प्रमुख भूमिका

डॉ. मिश्रा ने भारत की बढ़ती वैश्विक स्थिति को सकारात्मक रूप से देखा। उन्होंने कहा कि भारत की ताकत उसकी बढ़ती अर्थव्यवस्था, युवा आबादी, बुनियादी ढांचे का विस्तार और तकनीकी प्रगति में निहित है। वैश्विक स्तर पर, भारत का भू-राजनीतिक प्रभाव और रणनीतिक साझेदारियां उसके बढ़ते वैश्विक प्रभाव को दर्शाती हैं।

उन्होंने भारत के ‘स्टार्ट-अप इकोसिस्टम’ का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत अब दुनिया में तीसरे नंबर पर है, जहाँ 100 से अधिक यूनिकॉर्न (हजारों करोड़ रुपये मूल्य वाली कंपनियां) हैं। इसके साथ ही, उन्होंने विभिन्न उद्योगों जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मा और सौर ऊर्जा में उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजनाओं के माध्यम से भारत में विनिर्माण क्षेत्र में हो रहे सुधारों की भी चर्चा की।

भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था का भविष्य

डॉ. मिश्रा ने भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था के महत्व पर भी प्रकाश डाला। 800 मिलियन से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के साथ, भारत का डिजिटल क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहा है। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन और उद्योग 4.0 अब केवल शब्द नहीं हैं, बल्कि वे वास्तविकता बन चुके हैं।

संपूर्ण विश्व एक परिवार

अपने विचारों का समापन करते हुए डॉ. मिश्रा ने कहा कि भारत का वैश्विक दृष्टिकोण ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ (संपूर्ण विश्व एक परिवार है) पर आधारित है। उन्होंने छात्रों को प्रेरित किया कि वे केवल व्यवसायों का प्रबंधन नहीं, बल्कि मूल्यों, विविधता और परिवर्तन का भी प्रबंधन करें।

डॉ. मिश्रा का यह संबोधन न केवल छात्रों के लिए प्रेरणादायक था, बल्कि यह भारत के भविष्य के विकास की दिशा और प्रधानमंत्री मोदी के विजन के प्रति प्रतिबद्धता को भी स्पष्ट करता है।

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